बिहार के दौरे पर आएंगे मुख्य चुनाव आयुक्त, चुनावी तैयारियों का लेंगे जायजा, चुनावी तारीखों की घोषणा जल्द
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी अब तेज होती जा रही है। राजनीतिक दलों ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं, वहीं चुनाव आयोग भी चुनावी व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने में जुट गया है। इसी क्रम में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और उनकी टीम इस हफ्ते बिहार का दौरा करने वाले हैं। उनके इस दौरे को चुनावी काउंटडाउन की शुरुआत माना जा रहा है, क्योंकि इसके बाद चुनावी तारीखों की घोषणा कभी भी हो सकती है। इस बार चुनावी कार्यक्रम त्योहारों और विशेष परिस्थितियों को देखते हुए तय किया जाएगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त का बिहार दौरा
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में भारत निर्वाचन आयोग की पूर्ण पीठ जल्द ही बिहार का दौरा करेगी। आयोग का यह दौरा चुनावी तैयारियों का जायजा लेने और राज्य के प्रशासनिक तंत्र को आवश्यक दिशा-निर्देश देने के उद्देश्य से होगा। चुनावी तारीखों का ऐलान इसी दौरे के बाद जल्द होने की उम्मीद है।
चुनावी तारीखों को लेकर अटकलें
इस समय बिहार में सबसे बड़ा सवाल यही है कि विधानसभा चुनाव आखिर कब होंगे और कितने चरणों में कराए जाएंगे। अटकलों का दौर जारी है कि आयोग दशहरा (2 अक्टूबर) और दिवाली (19 अक्टूबर) के बीच चुनावी कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है। इसके साथ ही छठ पूजा (25-28 अक्टूबर) भी चुनावी कैलेंडर के बीच में पड़ रही है, इसलिए आयोग को तारीखें तय करते समय इन पर्वों को ध्यान में रखना होगा।
विधानसभा गठन की समय-सीमा
संविधान के अनुसार, 22 नवंबर तक बिहार में नई विधानसभा का गठन होना जरूरी है। इस वजह से आयोग के पास भी चुनाव कार्यक्रम घोषित करने और सभी चरणों को पूरा कराने के लिए सीमित समय बचा है। यही कारण है कि बहुत जल्द चुनावी तारीखों का ऐलान संभावित है।
मतदाता सूची का पुनरीक्षण
चुनाव आयुक्त के बिहार दौरे का कार्यक्रम विशेष गहन पुनरीक्षण पर भी निर्भर करता है। इस प्रक्रिया के तहत नए मतदाताओं को सूची में जोड़ा जाएगा और त्रुटियों को सुधारा जाएगा। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर तक प्रकाशित होनी है। आयोग तभी चुनाव की सटीक तारीखों की घोषणा करेगा, जब मतदाता सूची तैयार हो जाएगी।
पिछली बार का अनुभव
पांच साल पहले 2020 में हुए विधानसभा चुनाव तीन चरणों में कराए गए थे। पहले चरण की वोटिंग 28 अक्टूबर को हुई थी, दूसरे चरण की 3 नवंबर और तीसरे चरण की वोटिंग 7 नवंबर को कराई गई थी। इस बार भी संभावना जताई जा रही है कि चुनाव 5 से 15 नवंबर के बीच तीन चरणों में आयोजित कराए जा सकते हैं।
त्योहारों का ध्यान
त्योहारों का मौसम चुनावी कार्यक्रम तय करने में बड़ी भूमिका निभाता है। दशहरा और दिवाली जैसे त्योहारों में लोगों की व्यस्तता बढ़ जाती है, वहीं छठ पूजा का बिहार में खास महत्व है। ऐसे में इन पर्वों के दौरान मतदान से बचना आयोग की प्राथमिकता होगी ताकि मतदाताओं की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।
राष्ट्रीय स्तर पर विशेष गहन पुनरीक्षण
आयोग दशहरे के तुरंत बाद राष्ट्रीय स्तर पर विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू करने की तैयारी में है। हालांकि इसे एकसाथ सभी राज्यों में शुरू करने की बजाय, चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। इसके पीछे कारण यह है कि कई राज्यों में फिलहाल बाढ़ या प्राकृतिक आपदाओं से निपटने का काम चल रहा है।
अन्य राज्यों की स्थिति
उदाहरण के लिए, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में फिलहाल पुनर्वास कार्यों के लिए प्रशासनिक अमला व्यस्त है। इस कारण वहां अभी एसआईआर कराना संभव नहीं है। इसी तरह, कुछ राज्यों में निकट भविष्य में स्थानीय निकाय चुनाव प्रस्तावित हैं, इसलिए वहां भी अलग समय पर मतदाता सूची का पुनरीक्षण कराया जाएगा। अगले दो से तीन महीनों में लगभग आठ राज्यों में स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं।
चुनावी माहौल में बढ़ती हलचल
बिहार में चुनावी सरगर्मी बढ़ने लगी है। विभिन्न दल अपने प्रचार अभियान और उम्मीदवारों की सूची को अंतिम स्वरूप देने में जुट गए हैं। सत्ताधारी दल हो या विपक्ष, सबकी नजर चुनाव आयोग के ऐलान पर टिकी हुई है। आयोग की ओर से तारीखों की घोषणा के बाद ही राजनीतिक गतिविधियां और तेज गति पकड़ेंगी। मुख्य चुनाव आयुक्त का बिहार दौरा चुनावी तैयारियों का सबसे अहम हिस्सा साबित होगा। आयोग सुरक्षा व्यवस्था, मतदाता सूची और प्रशासनिक तैयारियों का बारीकी से निरीक्षण करेगा। अटकलें यही हैं कि नवंबर के पहले पखवाड़े में चुनाव तीन चरणों में कराए जाएंगे। त्योहारों को ध्यान में रखते हुए तारीखें तय की जाएंगी, ताकि मतदाताओं का अधिकतम सहयोग मिल सके। बिहार की जनता फिलहाल चुनावी घोषणा का इंतजार कर रही है, जो प्रदेश की राजनीति की दिशा और दशा तय करेगी।


