तेजस्वी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किया चुनावी ऐलान, जीविका दीदी को सरकारी दर्जा देने का वादा, महागठबंधन पर भी कहीं बड़ी बात
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक माहौल तेजी से गर्म होता जा रहा है। इसी कड़ी में राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर तीन बड़े चुनावी ऐलान किए, जिनसे राज्य की राजनीति में नई हलचल मच गई है। उन्होंने न केवल जीविका दीदियों और संविदा कर्मियों के लिए बड़ी घोषणाएं कीं, बल्कि बेरोजगारी और सुशासन के मुद्दे को भी केंद्र में रखा।
तीन बड़ी घोषणाएं
प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने तीन प्रमुख चुनावी वादों का ऐलान किया। पहला, जीविका दीदियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाएगा और उन्हें हर महीने 30 हजार रुपये का वेतन मिलेगा। दूसरा, प्रदेश में कार्यरत सभी संविदा कर्मियों को स्थायी किया जाएगा ताकि उन्हें रोजगार की सुरक्षा मिल सके। तीसरा, उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बनने के बाद हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की योजना लागू की जाएगी। इन तीनों घोषणाओं को तेजस्वी यादव ने “ऐतिहासिक फैसला” बताते हुए कहा कि यह आम जनता, विशेषकर महिलाओं और युवाओं के सम्मान और सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम होगा।
जीविका दीदियों के लिए बड़ा ऐलान
तेजस्वी यादव ने कहा कि “सालों से जीविका दीदियों के साथ अन्याय हुआ है। उन्होंने बिहार के हर गांव में विकास और स्वावलंबन का काम किया, लेकिन उन्हें कभी उनका हक नहीं मिला।” उन्होंने कहा कि जीविका दीदियों को अब स्थायी सरकारी कर्मचारी बनाया जाएगा और उनकी मासिक सैलरी 30 हजार रुपये तय की जाएगी। तेजस्वी ने कहा कि बिहार में आज कोई भी विकास कार्य जीविका दीदियों के बिना पूरा नहीं हो सकता, इसलिए उन्हें सम्मानजनक दर्जा और आर्थिक सुरक्षा देना उनकी प्राथमिकता होगी।
संविदा कर्मियों को स्थायित्व का वादा
राजद नेता ने संविदा कर्मियों की स्थिति पर बोलते हुए कहा कि वे शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण का शिकार हैं। बिना कारण बताए उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाती हैं। इतना ही नहीं, उनके वेतन से 18 प्रतिशत जीएसटी काटा जाता है और महिला कर्मियों को दो दिन की छुट्टी का भी अधिकार नहीं दिया जाता। उन्होंने कहा कि “हमारी सरकार आने पर सभी संविदा कर्मियों को स्थायी किया जाएगा। उन्हें एक झटके में इस अस्थिरता और शोषण से मुक्त किया जाएगा।”
महिलाओं के लिए ‘BETI’ और ‘MAA’ योजना
तेजस्वी यादव ने महिलाओं के कल्याण के लिए दो नई योजनाओं की भी घोषणा की। पहली योजना ‘BETI’ होगी, जिसका उद्देश्य राज्य की बेटियों को शिक्षा, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता से जोड़ना है। दूसरी योजना ‘MAA’ होगी, जिसका मतलब उन्होंने बताया – M से मकान, A से अन्न और A से आमदनी। उन्होंने कहा कि “हर महिला को रहने के लिए मकान, खाने के लिए अन्न और जीने के लिए स्थायी आमदनी का साधन देना हमारी प्राथमिकता है।” इन योजनाओं को उन्होंने बिहार के सामाजिक ढांचे को मजबूत करने का आधार बताया और कहा कि “बिना महिलाओं के सशक्तिकरण के कोई भी राज्य आगे नहीं बढ़ सकता।”
महागठबंधन पर बयान और सियासी समीकरण
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब मीडिया ने महागठबंधन के अंदरूनी मतभेदों पर सवाल किया, तो तेजस्वी यादव ने कहा, “इस पर कल बात करेंगे।” हालांकि, उन्होंने इतना जरूर कहा कि इस बार बिहार की जनता बदलाव चाहती है और महागठबंधन की एकता से राज्य में नई शुरुआत होगी। इधर, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कई सीटों पर राजद और कांग्रेस प्रत्याशी आमने-सामने हैं, जिससे दोनों पार्टियों के बीच मतभेद बढ़े हैं। साझा घोषणा पत्र को लेकर भी मतैक्य नहीं बन पाया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत पटना पहुंचने वाले हैं और उनकी तेजस्वी यादव से मुलाकात की संभावना है, जिससे मतभेद सुलझाने की कोशिशें तेज हो सकती हैं।
पप्पू यादव का बयान और राहुल गांधी का चेहरा
इस बीच पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा कि बिहार की जनता राहुल गांधी के चेहरे पर चुनाव लड़ना चाहती है। उन्होंने कहा कि “यदि हम राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे, तो इंडिया गठबंधन की सरकार बना पाएंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि “इस बार का चुनाव दो चेहरों के बीच है — एक ओर राहुल गांधी हैं और दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।” पप्पू यादव ने आगे कहा कि “नीतीश कुमार अब मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं हैं। हमें राहुल गांधी के नेतृत्व में एकजुट होकर चुनाव लड़ना चाहिए ताकि भाजपा को कड़ी टक्कर दी जा सके।” उनके इस बयान से स्पष्ट है कि महागठबंधन में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
बिहार की जनता और चुनावी माहौल
तेजस्वी यादव ने अपने संबोधन में कहा कि “बिहार के लोगों ने बदलाव का मन बना लिया है। नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है और अब प्रचार का समय है। जनता बेरोजगारी, अपराध और महंगाई से त्रस्त है। मौजूदा सरकार ने हमारे घोषणाओं की नकल कर ली, लेकिन जनता असली और नकली में फर्क समझती है।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने रिश्वत के रूप में 10 हजार रुपये बांटकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की है। तेजस्वी यादव की घोषणाएं स्पष्ट रूप से बिहार की महिलाओं, युवाओं और सरकारी कर्मियों को साधने की रणनीति का हिस्सा हैं। उनके वादे रोजगार, स्थायित्व और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित हैं, जो बिहार की सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों से सीधा जुड़ाव रखते हैं। हालांकि, राजनीतिक स्तर पर महागठबंधन के भीतर असहमति और नेतृत्व का मुद्दा अभी भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। बिहार की जनता अब यह देखने को उत्सुक है कि क्या तेजस्वी यादव के वादे सिर्फ चुनावी घोषणाएँ रह जाएँगे या वे वास्तव में बदलाव का आधार बन पाएंगे। आने वाले दिनों में उनके इन ऐलानों का असर न केवल बिहार की राजनीति बल्कि चुनावी समीकरणों पर भी गहराई से पड़ने वाला है।


