स्ट्रोक पीड़ित मरीज को जल्द इलाज मिले तो मृत्यु व विकलांगता से बचाव संभव : डॉ. आजाद

पटना। इस वक्त स्ट्रोक दुनिया में मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा और स्थायी विकलांगता का तीसरा सबसे बड़ा कारण बना हुआ है। ऐसे में अगर मरीज को गोल्डन आवर्स (4.5 घंटे) के अंदर नजदीक अस्पताल पहुंचा दिया जाये तो 80 फीसदी मामलों में प्रभावित मरीज की जान के साथ ही उनको स्थायी विकलांगता से भी बचाया जा सकता है। उक्त बातें मेडाज हॉस्पिटल के डायरेक्टर व चीफ कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. जेड आजाद ने शुक्रवार को विश्व स्ट्रोक (लकवा) दिवस पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा।
नि:शुल्क जागरूकता व चिकित्सा शिविर
इस मौके पर बिस्कोमान कॉलोनी, गायघाट रोड स्थित अस्पताल परिसर में नि:शुल्क स्ट्रोक जागरूकता एवं चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। इसमें डॉ. आजाद के साथ ही चीफ कंसल्टेंट न्यूरो सर्जन डॉ. जफर कमाल अंजुम, अस्पताल के चीफ न्यूरो कंसल्टेंट डॉ. अतिकुर रहमान व रिहैबिलिटेशन विभाग के कंसल्टेंट डॉ. राजीव सहित कई विशेषज्ञों ने आम लोगों को स्ट्रोक की वजह, इसकी रोकथाम, लक्षण व तत्काल इलाज से संबंधित उपायों की जानकारी दी।

वॉकथॉन का आयोजन
चिकित्सक व कर्मियों ने सुबह-सुबह वॉकथॉन का आयोजन भी किया। इस दौरान अस्पताल से लेकर बिस्कोमान गोलंबर गायघाट तक पदयात्रा कर आम लोगों को जागरूक करते हुए इससे बचाव का संदेश दिया गया।
तत्काल पहुंचाएं अस्पताल तो जान बचाना संभव
लोगों को स्ट्रोक के सामान्य लक्षणों जैसे कि चेहरे का एक तरफ झुकना, बांह की कमजोरी व सुन्नता और बिगड़ी हुई आवाज के बारे में बताया एवं समझाया गया। उन्होंने सलाह दी कि ऐसे लक्षण दिखने पर मरीज को तत्काल सिटी स्कैन की सुविधा वाले किसी पास के अस्पताल में पहुंचाया जाये तथा किसी न्यूरोलॉजिस्ट की देखरेख भर्ती कराना चाहिए। ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और हाई कॉलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण तथा धूम्रपान से बचाव कर इसे रोका जा सकता है।