September 10, 2025

वैशाली में गंगा घाट पर डूबकर 13 वर्ष के बच्चे की मौत, परिजनों में मचा कोहराम

वैशाली। बिहार के वैशाली जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। बिदुपुर के कष्टहरिया घाट पर गंगा स्नान के दौरान मात्र 13 वर्ष के एक किशोर की डूबकर मौत हो गई। इस हादसे ने न केवल मृतक के परिवार को शोक से भर दिया बल्कि पूरे गाँव को गमगीन कर दिया है।
कैसे हुआ हादसा
जानकारी के अनुसार मृतक किशोर का नाम विक्रांत कुमार था। वह अपने दो-तीन दोस्तों के साथ गंगा स्नान करने घाट पर गया था। नहाने के दौरान अचानक उसका पैर फिसल गया और वह गहरे पानी में चला गया। उसके साथ मौजूद बच्चों ने चीख-पुकार कर आसपास के लोगों को खबर दी। देखते ही देखते घाट पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। स्थानीय लोग तुरंत मौके पर पहुंचे और बच्चे को खोजने लगे। करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद विक्रांत का शव पानी से बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक उसकी सांसें थम चुकी थीं।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
विक्रांत के पिता विकास राय दिल्ली की एक निजी कंपनी में काम करते हैं। जैसे ही बेटे की मौत की खबर उन्हें मिली, उनका परिवार गहरे सदमे में डूब गया। घर पर मां, दादा-दादी और रिश्तेदारों का रो-रोकर बुरा हाल है। इकलौते बेटे को खोने का गम किसी भी माता-पिता के लिए असहनीय होता है। विक्रांत के दादा लखन राय ने बताया कि उनका पोता गंगा स्नान के लिए गया था, जहाँ यह हादसा हो गया।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही बिदुपुर पुलिस मौके पर पहुँची। उन्होंने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए हाजीपुर स्थित सदर अस्पताल भेज दिया। पुलिस का कहना है कि यह पूरी तरह से एक दुर्घटना का मामला है। आवश्यक कानूनी औपचारिकताओं को पूरा किया जा रहा है।
गाँव में पसरा मातम
विक्रांत की असमय मौत ने पूरे गाँव को गहरे दुख में डाल दिया। लोग स्तब्ध हैं कि जिस बच्चे को वे चहकते और खेलते देखते थे, वह अचानक इस तरह सबको छोड़कर चला गया। ग्रामीणों का कहना है कि यह घाट गहराई की वजह से पहले भी खतरनाक माना जाता रहा है। लेकिन लोग गंगा स्नान की परंपरा के कारण यहाँ आते रहते हैं। इस बार हादसे ने एक परिवार की खुशियाँ छीन लीं।
परंपरा और खतरा
गंगा स्नान हिंदू समाज की धार्मिक परंपराओं से गहराई से जुड़ा है। खास अवसरों और त्योहारों पर बड़ी संख्या में लोग गंगा तटों पर पहुंचते हैं। लेकिन कई बार सुरक्षा इंतजामों की कमी और लापरवाही के कारण ऐसी दुर्घटनाएँ हो जाती हैं। बच्चे और किशोर अक्सर गहराई का अंदाजा नहीं लगा पाते और पानी में डूब जाते हैं। यह घटना एक बार फिर हमें सतर्क करती है कि धार्मिक आस्था और परंपरा निभाते समय सुरक्षा को नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
प्रशासन और समाज की जिम्मेदारी
ऐसे हादसों से बचाव के लिए प्रशासन को गंगा घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करनी चाहिए। चेतावनी बोर्ड, गोताखोरों की तैनाती और स्थानीय लोगों को जागरूक करने जैसे कदम आवश्यक हैं। दूसरी ओर, अभिभावकों और समाज को भी यह समझना होगा कि बच्चों को अकेले या बिना सुरक्षा के गहरे पानी में जाने देना कितना खतरनाक हो सकता है। यदि थोड़ी सावधानी बरती जाती तो शायद विक्रांत जैसी मासूम जान को बचाया जा सकता था। वैशाली जिले में हुए इस दर्दनाक हादसे ने एक परिवार को हमेशा के लिए अधूरा कर दिया। 13 साल का विक्रांत, जो अपने दोस्तों संग मासूमियत से गंगा स्नान करने गया था, अब इस दुनिया में नहीं है। इकलौते बेटे की मौत ने उसके माता-पिता और दादा-दादी को गहरे अंधकार में धकेल दिया है। यह घटना हमें चेतावनी देती है कि धार्मिक परंपराओं और आस्थाओं का पालन करते समय सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी। प्रशासन और समाज दोनों की संयुक्त जिम्मेदारी है कि भविष्य में ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों।

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