सावन के पहले दिन पटना के उमानाथ घाट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, हर-हर महादेव के नारों से गूंजा आसमान

पटना। सावन का पवित्र महीना शुरू होते ही आस्था और भक्ति का सागर उमड़ पड़ा है। पटना जिले के बाढ़ अनुमंडल में स्थित प्रसिद्ध उमानाथ गंगा घाट पर पहले ही दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। पूरा वातावरण शिव भक्ति में डूबा हुआ नजर आया और ‘हर हर महादेव’ तथा ‘बोल बम’ के नारों से घाट का कोना-कोना गूंज उठा।
गुरुवार देर रात से जुटने लगे श्रद्धालु
श्रद्धालु गुरुवार की देर रात से ही घाट पर जुटने लगे थे। कई लोग तो अपने गांव-शहरों से पैदल यात्रा करते हुए पहुंचे। सुबह तक पटना सहित बिहार के अलग-अलग जिलों से हजारों श्रद्धालु उमानाथ घाट पर उपस्थित हो चुके थे। खास बात यह रही कि इस बार बड़ी संख्या में महिलाएं भी जल चढ़ाने और कलश यात्रा के लिए पहुंचीं। उन्होंने पहले गंगा में पवित्र स्नान किया और फिर भगवान शिव को गंगाजल अर्पित किया।
उमानाथ घाट का धार्मिक महत्व
उमानाथ घाट न केवल एक गंगा तट है, बल्कि इसका विशेष धार्मिक महत्व भी है। कहा जाता है कि यह स्थान पौराणिक युग से जुड़ा है। मान्यता है कि रामायण काल में भगवान राम ने भी इसी घाट पर महादेव की आराधना की थी। इसके अलावा, यहां गंगा नदी कुछ किलोमीटर तक उत्तर दिशा में बहती है, जिसे ‘उत्तरवाहिनी गंगा’ कहा जाता है। शास्त्रों में उत्तरवाहिनी गंगा में स्नान और पूजा को अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। इसलिए सावन के महीने में यहां हर दिन हजारों श्रद्धालु आते हैं, और विशेषकर सोमवार को यह संख्या लाखों तक पहुंच जाती है।
शिवभक्ति के रंग में रंगा वातावरण
पूरा उमानाथ घाट इन दिनों शिवभक्ति के रंग में रंगा नजर आ रहा है। सड़कों, गलियों और घाट तक जाने वाले रास्तों पर हर ओर शिवभक्तों की कतारें देखी जा रही हैं। पुरुष, महिलाएं और बच्चे सभी भगवा वस्त्रों में नजर आते हैं। मंदिरों में घंटियों की आवाज, घाट पर मंत्रोच्चार, और भक्तों के उत्साह से माहौल पूरी तरह आध्यात्मिक हो गया है।
व्यवस्था और सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने विशेष तैयारियां की हैं। घाट पर बांस की बेरिकेडिंग की गई है ताकि स्नान के दौरान कोई हादसा न हो। सुरक्षा के लिए पुलिस बल को तैनात किया गया है, साथ ही जगह-जगह वॉच टावर और सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। महिला पुलिसकर्मियों की भी तैनाती की गई है ताकि महिला श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।
कलश यात्रा और जलाभिषेक की तैयारी
सावन के महीने में एक और विशेष परंपरा कलश यात्रा की होती है। इसमें भक्त गंगाजल को कलश में भरकर शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। उमानाथ घाट से कई श्रद्धालु जल भरकर बाबा विश्वनाथ, बाबा धरहरनाथ और अन्य प्रमुख मंदिरों की ओर प्रस्थान करते नजर आए। यह यात्रा भक्ति, अनुशासन और तप का प्रतीक मानी जाती है।
सावन भर चलता रहेगा श्रद्धा का सिलसिला
सावन के पहले दिन से ही जो श्रद्धा और भक्ति का रंग चढ़ा है, वह पूरे महीने जारी रहेगा। प्रत्येक सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ अपने चरम पर पहुंचती है, जब भक्त विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना करते हैं। प्रशासन द्वारा साफ-सफाई, चिकित्सा और जलपान की भी सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं। उमानाथ घाट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ और शिवभक्ति से भरा माहौल यह स्पष्ट कर देता है कि सावन सिर्फ एक धार्मिक महीना नहीं, बल्कि आस्था, समर्पण और समाजिक एकजुटता का पर्व भी है। यह घाट आज सिर्फ एक स्थान नहीं, बल्कि लोगों की आस्था का केंद्र बन चुका है।
