दिल्ली अध्यादेश बिल देश के संघीय ढांचे पर आघात है : ललन सिंह

पटना। लोकसभा में दिल्ली अध्यादेश बिल के विरोध में बोलते हुए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह माननीय सांसद ललन सिंह ने कहा कि देश में संविधान के प्रावधानों का व्याख्या करने का अधिकार सिर्फ देश के सर्वोच्च न्यायालय को है और संविधान पीठ ने 11 मई के अपने फैसले में इसकी विस्तृत व्याख्या भी की है। देश के गृह मंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय के पूरे जजमेंट को नहीं पढ़ा, उन्होंने सिर्फ अपनी सुविधानुसार न्यायालय के जजमेंट की व्याख्या की। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि 11 मई को जजमेंट आता है, 19 मई को सुप्रीम कोर्ट बंद होने वाला है और 19 मई को ही केंद्र सरकार अध्यादेश लाती है और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन डाला जाता है। क्या यह लोकतंत्र का चरित्र है? लोकतंत्र चलता है लोक-लाज से लेकिन इस सरकार ने सारे लोक-लाज को ताखे पर रख दिया है। उन्होंने आगे कहा की केंद्र सरकार पिछले दरवाजे से दिल्ली में शासन करना चाहती है। आगे उन्होंने कहा कि दिल्ली की सरकार जनहित में कार्य कर रही है या नहीं कर रही है यह तय करने का अधिकार दिल्ली की जनता के पास है। देश के गृह मंत्री इस बात का फैसला कैसे कर सकते हैं और यह अधिकार उन्हें किसने दिया? यह बिल देश के संघीय ढांचे पर आघात है, देश के लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ‘इंडिया’ गठबंधन की फोबिया से ग्रस्त हैं। इतने वर्षों में कभी भी NDA गठबंधन की बैठक नहीं बुलाई गई थी, लेकिन ‘इंडिया’ गठबंधन के डर से NDA का बैठक आयोजित की गई। गृह मंत्री दिल्ली के घोटालों के बारे में बात कर रहे थे मगर उन्होंने महाराष्ट्र का जिक्र करना उचित नहीं समझा। 4 दिन पहले प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि 70 हजार करोड़ का घोटाला हुआ और 4 दिन के बाद ही सभी को वाशिंग मशीन में डालकर भाजपा ने साफ कर दिया। पूरा देश देख रहा है कि भाजपा किस भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहती है। ये लोग भ्रष्टाचार का भय दिखाकर सिर्फ अपना राजनीतिक फायदा हासिल करना चाहते हैं। जनता देख रही है 2024 में इसका फैसला जरूर करेगी। उन्होंने कहा की दिल्ली अध्यादेश बिल लोकतंत्र का विरोधी है, भाजपा का एकमात्र मंशा है लोकतंत्र की सारी संस्थाओं को ध्वस्त करना।
