October 28, 2025

दरभंगा में बाल सुधार गृह में किशोर की संदिग्ध मौत से हड़कंप, फंदे से लटका मिला शव, छानबीन जारी

दरभंगा। जिले में शनिवार को हुई एक दर्दनाक और रहस्यमय घटना ने प्रशासनिक तंत्र को झकझोर कर रख दिया। लहेरियासराय थाना क्षेत्र स्थित बाल सुधार गृह में एक 16 वर्षीय किशोर का शव फंदे से लटका हुआ मिला। घटना के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह आत्महत्या का मामला है या इसके पीछे कोई साज़िश छिपी हुई है। इस घटना ने न सिर्फ स्थानीय प्रशासन बल्कि राज्य स्तर पर बाल सुधार गृहों की सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सुबह-सुबह बाल सुधार गृह में मचा हड़कंप
शनिवार की सुबह जब बाल सुधार गृह के कर्मचारी अपनी दिनचर्या शुरू कर रहे थे, तभी एक कमरे में किशोर का शव फंदे से लटका हुआ देखा गया। यह नज़ारा देखकर वहां मौजूद सभी कर्मचारी और अन्य किशोर भयभीत हो गए। तुरंत इसकी सूचना पुलिस और जिला प्रशासन को दी गई। कुछ ही देर में लहेरियासराय थाना पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और जांच शुरू कर दी।
प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे
घटना की जानकारी मिलते ही दरभंगा के जिलाधिकारी कौशल कुमार और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) जगन्नाथ रेड्डी मौके पर पहुंचे। दोनों अधिकारियों ने बाल सुधार गृह का निरीक्षण किया और वहां की सुरक्षा प्रणाली तथा निगरानी व्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने वहां मौजूद कर्मचारियों और अधिकारियों से कड़ी पूछताछ की ताकि यह पता लगाया जा सके कि घटना से पहले क्या कोई असामान्य गतिविधि हुई थी।
मृत किशोर का परिचय और पृष्ठभूमि
मृतक किशोर की उम्र लगभग 16 वर्ष बताई जा रही है। वह सिंहवाड़ा थाना क्षेत्र का निवासी था और कुछ दिन पहले ही चोरी के एक मामले में उसे इस बाल सुधार गृह में लाया गया था। यहां आने के बाद से वह सामान्य व्यवहार कर रहा था, लेकिन अचानक उसकी मौत ने सभी को हैरान कर दिया।
आत्महत्या या साज़िश? जांच में उलझा मामला
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण किया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। शुरुआती जांच में यह संभावना जताई जा रही है कि यह आत्महत्या हो सकती है, लेकिन कुछ ऐसे पहलू भी सामने आए हैं जो इस घटना को संदिग्ध बनाते हैं। पुलिस अब हर कोण से जांच कर रही है — यह पता लगाने के लिए कि क्या किसी ने किशोर को आत्महत्या के लिए मजबूर किया या फिर यह हत्या का मामला है जिसे आत्महत्या का रूप दिया गया है। एसएसपी जगन्नाथ रेड्डी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि “हम हर एंगल से जांच कर रहे हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि मौत का कारण क्या था। बाल सुधार गृह के कर्मचारियों से पूछताछ जारी है और फॉरेंसिक टीम ने भी घटनास्थल से नमूने जुटाए हैं।”
बाल सुधार गृह की व्यवस्था पर उठे सवाल
इस घटना के बाद बाल सुधार गृह की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पहले भी किशोरों के साथ दुर्व्यवहार और लापरवाही की शिकायतें सामने आती रही हैं, लेकिन प्रशासन ने कभी ठोस कार्रवाई नहीं की। कुछ लोगों का यह भी आरोप है कि सुधार गृह में निगरानी व्यवस्था बेहद कमजोर है और कई बार किशोरों के बीच झगड़े व मारपीट की घटनाएं भी हो चुकी हैं। जांच के दौरान अधिकारियों को भी यह स्पष्ट हुआ कि निगरानी में लापरवाही हुई है। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि रात के समय पर्याप्त स्टाफ मौजूद नहीं था और सीसीटीवी कैमरों की स्थिति भी ठीक नहीं थी। यह भी संभव है कि यदि निगरानी सही होती तो यह घटना रोकी जा सकती थी।
परिजनों का आरोप, प्रशासन की सफाई
मृतक किशोर के परिजनों ने इस मौत को साज़िशन हत्या बताया है। उनका कहना है कि उनके बेटे की हत्या की गई है और इसे आत्महत्या का रूप दिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सुधार गृह में कुछ लोगों द्वारा किशोरों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। वहीं, प्रशासनिक अधिकारी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए निष्पक्ष जांच का आश्वासन दे रहे हैं। जिलाधिकारी कौशल कुमार ने कहा कि “यह घटना बेहद दुखद है। हमने तत्काल जांच टीम गठित कर दी है और सभी तथ्यों की बारीकी से जांच की जा रही है। किसी भी स्तर पर लापरवाही पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
बाल संरक्षण प्रणाली पर गंभीर सवाल
दरभंगा की यह घटना केवल एक संस्थान की लापरवाही नहीं, बल्कि राज्य में बाल सुधार गृहों की समग्र स्थिति पर भी प्रश्नचिह्न लगाती है। सुधार गृहों का उद्देश्य किशोरों को सुधार और पुनर्वास का अवसर देना है, लेकिन जब वहां ही बच्चों की सुरक्षा खतरे में हो, तो यह व्यवस्था पर गहरा आघात है। दरभंगा के बाल सुधार गृह में हुई यह संदिग्ध मौत प्रशासन और समाज दोनों के लिए एक चेतावनी है। किशोर की मौत चाहे आत्महत्या हो या साज़िश, दोनों ही स्थितियों में यह घटना व्यवस्था की नाकामी को उजागर करती है। अब उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन पारदर्शी जांच कर सच्चाई सामने लाएगा और बाल सुधार गृहों में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। जब तक इन संस्थानों में जवाबदेही और निगरानी की मजबूत व्यवस्था नहीं होगी, तब तक ऐसे हादसे रुकना मुश्किल है।

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