मुंबई में बुजुर्ग महिला से साइबर ठगी, शेयर मार्केट इन्वेस्टमेंट का झांसा देकर अपराधियों ने 8 करोड़ उड़ाये

मुंबई। मुंबई जैसे महानगर में जहां तकनीक और सुविधाओं का स्तर ऊंचा है, वहीं साइबर अपराधियों की गतिविधियां भी तेजी से बढ़ रही हैं। हाल ही में सामने आए एक मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि किस तरह ठग लोगों को झांसे में लेकर उनकी जीवन भर की पूंजी उड़ा रहे हैं। इस बार ठगी का शिकार बनी हैं एक 62 वर्षीय महिला, जिनसे लगभग 7.88 करोड़ रुपये की ठगी की गई है।
व्हाट्सएप से शुरू हुई ठगी की पटकथा
ठगी की शुरुआत एक सामान्य व्हाट्सएप मैसेज से हुई थी। महिला को एक अनजान नंबर से मैसेज आया जिसमें खुद को एक प्रतिष्ठित कंपनी का वरिष्ठ अधिकारी बताकर शेयर बाजार में निवेश करने का सुझाव दिया गया। मैसेज के साथ एक वेबसाइट लिंक और फोन नंबर भी साझा किया गया, ताकि संदेह की कोई गुंजाइश न बचे। इसके बाद महिला को एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया, जहां शेयर बाजार और निवेश से जुड़े आकर्षक प्रस्तावों की जानकारी दी जाती थी। इस ग्रुप में कई लोग मौजूद थे जो खुद को निवेशक बताते हुए लाभ की कहानियां शेयर करते थे, जिससे महिला को भरोसा हो गया कि यह एक वैध और लाभदायक निवेश योजना है।
भरोसा जमाकर करोड़ों ऐंठे
ठगों ने दो महीने के भीतर महिला से अलग-अलग बैंक खातों में 7 करोड़ 88 लाख 87 हजार रुपये ट्रांसफर करवा लिए। उन्होंने महिला को लगातार आश्वस्त किया कि उसका पैसा शेयर बाजार में लगाया जा रहा है और जल्द ही उसे भारी मुनाफा मिलेगा। कुछ नकली स्क्रीनशॉट और वेबसाइट डैशबोर्ड भी दिखाए गए जिससे महिला को भरोसा होता रहा। लेकिन जब महिला ने अपनी जमा राशि वापस लेने की कोशिश की, तो उसे बताया गया कि पहले उसे कुल रकम का 10 प्रतिशत टैक्स और ट्रांजैक्शन शुल्क के रूप में जमा करना होगा, तभी पैसे निकाले जा सकते हैं। इस मांग से महिला को संदेह हुआ और उसने फौरन पूरे मामले की शिकायत साइबर क्राइम पोर्टल पर दर्ज करवाई।
पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया और जांच
शिकायत मिलते ही साइबर पुलिस स्टेशन के अधिकारी सक्रिय हुए और मामले की जांच शुरू की गई। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि ठगों ने महिला को पूरी योजना के तहत फंसाया। अधिकारियों के अनुसार, इस तरह की ठगी में ठग पहले विश्वसनीयता बनाने पर काम करते हैं और फिर धीरे-धीरे पीड़ित को बड़ा निवेश करने के लिए प्रेरित करते हैं। पुलिस ने उन बैंक खातों की जानकारी जुटानी शुरू कर दी है जिनमें पैसे ट्रांसफर किए गए थे। इसके साथ ही महिला को भेजे गए व्हाट्सएप मैसेज, ग्रुप चैट और वेबसाइट लिंक की भी जांच की जा रही है, ताकि अपराधियों की पहचान की जा सके।
बढ़ती साइबर ठगी और जागरूकता की आवश्यकता
यह घटना केवल एक व्यक्ति की ठगी नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। खासकर वरिष्ठ नागरिकों को तकनीकी मामलों में अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। ठग अब हाईटेक तरीके से लोगों को फंसाते हैं और उन्हें आकर्षक लाभ का लालच देकर जीवन भर की कमाई लूट लेते हैं। इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए लोगों को कभी भी अनजान नंबरों से आए निवेश के प्रस्तावों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। किसी भी वित्तीय लेन-देन से पहले उसकी वैधता की जांच करना आवश्यक है। मुंबई में हुई इस साइबर ठगी की घटना ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि साइबर अपराध अब केवल छोटे स्तर की धोखाधड़ी तक सीमित नहीं रहे, बल्कि करोड़ों की ठगी आम होती जा रही है। पुलिस भले ही अपनी जांच में जुटी है, लेकिन जब तक आम नागरिक सतर्क नहीं होंगे, ऐसे अपराधों को पूरी तरह रोकना संभव नहीं होगा। समय की मांग है कि समाज में डिजिटल जागरूकता को बढ़ावा दिया जाए और साइबर सुरक्षा को लेकर गंभीरता से कदम उठाए जाएं।

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