बांका में दसवीं के छात्र ने प्रिंसिपल से की साइबर ठगी की कोशिश, मोबाइल किया हैक, चार नाबालिग गिरफ्तार

बांका। बिहार के बांका जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां दसवीं कक्षा के छात्रों ने अपने ही विद्यालय के प्रधानाध्यापक के साथ साइबर ठगी करने का प्रयास किया। यह घटना न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है बल्कि समाज में बढ़ते साइबर अपराध के खतरनाक विस्तार की ओर भी इशारा करती है।
हेडमास्टर का मोबाइल किया हैक
घटना बांका के अमरपुर थाना अंतर्गत मध्य विद्यालय लौसा की है, जहां के हेडमास्टर संजीव कुमार तिवारी को एक दिन उनके सरकारी मोबाइल नंबर पर कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) बताया और बातचीत के दौरान एक ओटीपी साझा करने को कहा। हेडमास्टर ने जब बिना पुष्टि के ओटीपी साझा कर दिया, तो उनके मोबाइल और ई-शिक्षा कोष अकाउंट का पूरा एक्सेस ठगों के पास चला गया।
सतर्कता से बची सरकारी राशि
हालांकि जल्द ही हेडमास्टर को संदेह हुआ और उन्होंने स्वयं डीईओ को फोन करके मामले की पुष्टि करनी चाही। जब डीईओ ने किसी भी प्रकार की कॉल करने से इनकार किया, तब सच्चाई सामने आई। तत्परता दिखाते हुए हेडमास्टर ने संबंधित विभाग को सूचित कर ई-शिक्षा कोष के खाते से लेनदेन पर तुरंत रोक लगवा दी, जिससे सरकारी राशि की निकासी टल गई।
चार नाबालिग छात्रों की गिरफ्तारी
इस गंभीर मामले की जानकारी 23 जुलाई को साइबर थाने को दी गई, जिसके बाद पुलिस ने वैज्ञानिक तरीकों से जांच शुरू की। जांच में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि इस साइबर ठगी में शामिल चारों आरोपी खुद स्कूल के छात्र थे और दसवीं कक्षा में पढ़ते थे। इन छात्रों को नालंदा से गिरफ्तार किया गया।
साइबर गिरोह से संबंध की आशंका
डीएसपी अनुपेश नारायण के अनुसार, यह संभव है कि ये छात्र किसी बड़े साइबर गिरोह के संपर्क में हों, जो बच्चों को गुमराह कर अपराध की राह पर धकेल रहा है। फिलहाल बच्चों से पूछताछ की जा रही है ताकि उनके पीछे सक्रिय गिरोह की जानकारी प्राप्त की जा सके। पुलिस ने यह भी बताया कि राज्य में साइबर अपराध के खिलाफ लगातार मुहिम जारी है और आधुनिक तकनीक के ज़रिए अपराधियों को पकड़ने का काम जारी है।
समाज और शिक्षा के लिए खतरे की घंटी
यह घटना समाज और शिक्षा जगत के लिए एक चेतावनी है। छोटे उम्र के बच्चे कैसे अपराध की ओर बढ़ रहे हैं, यह बेहद चिंताजनक है। टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग किस प्रकार समाज में जड़ें जमा रहा है, यह उदाहरण उसी का प्रतीक है।
समाधान की ज़रूरत
इस तरह की घटनाओं से बचाव के लिए ज़रूरी है कि स्कूलों में साइबर सुरक्षा की शिक्षा दी जाए और बच्चों को नैतिक मूल्यों से जोड़ा जाए। साथ ही अभिभावकों को भी जागरूक रहना चाहिए कि उनके बच्चे ऑनलाइन क्या कर रहे हैं और किन लोगों के संपर्क में हैं। बांका की यह घटना सिर्फ एक साइबर अपराध नहीं, बल्कि हमारी शिक्षा प्रणाली और सामाजिक संरचना के सामने एक चेतावनी है। वक्त रहते अगर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में साइबर अपराध की जड़ें और गहरी हो सकती हैं।

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