फतुहा का श्मशान घाट : पहले की अपेक्षा चार गुना शवों का हो रहा अंतिम संस्कार
फतुहा (भूषण प्रसाद)। कोरोना की विकट परिस्थिति में पटना के बाद अबर कहीं शवों की अंत्येष्टि के लिए ज्यादा भीड़ कहीं लगी है तो वह फतुहा का श्मशान घाट है। गंगा किनारे अवस्थित इस श्मशान घाट पर इन दिनों एक साथ 25 शवों की चिताएं जल रही है। साथ ही बाद में आने वाले शवों को जलाने के लिए परिजनों को जगह खाली होने का घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। उक्त श्मशान घाट पर पटना, मसौढ़ी, जहानाबाद, नालंदा व नवादा जिले के साथ साथ स्थानीय लोग भी अपने परिजनों की अंत्येष्टि करने के लिए इस पहुंच रहे हैं। हालात यह है कि इस श्मशान घाट पर रात को काफी अधिक संख्या में शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है।
पहले की अपेक्षा चार गुना शवों का हो रहा अंतिम संस्कार
स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले की अपेक्षा चार गुना शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। दिन में लोग लहलहाते दोपहरिया में भी लोग खुले आसमान के नीचे खड़े होकर अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने में जुटे हैं। लेकिन नगर प्रशासन के द्वारा न तो शेड की कोई व्यवस्था की गई है और न ही बैठने के लिए किसी सिटिंग की व्यवस्था है। पेयजल का भी अभाव है।
मुक्ति धाम बनने की मामला अधर में
विदित हो कि वर्ष 2016 में स्थानीय प्रशासन ने फतुहा में करीब 42 लाख रुपये की लागत से मुक्तिधाम बनाने का निर्णय लिया था। इसमें पार्किंग, शेड, पेयजल व शवों की अंत्येष्टि के लिए शेडनुमा प्लेटफार्म बनना तय हुआ था। बताया तो यहां तक जाता है कि इसके लिए पैसे आवंटित भी कर दिए गए थे। वहीं पदाधिकारियों की माने जमीन का आवंटन नहीं होने से मुक्ति धाम बनने की मामला अधर में लटक गया। यदि मुक्ति धाम बना रहता तो शायद अंत्येष्टि करने आए परिजनों को इतनी परेशानी नही उठानी पड़ती।