October 28, 2025

आईआरसीटीसी घोटाले में राजद को बड़ा झटका, लालू परिवार के खिलाफ कोर्ट ने तय किए आरोप, चुनाव से पहले बढ़ी मुश्किलें

नई दिल्ली। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में आईआरसीटीसी घोटाले से जुड़ी सुनवाई ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के लिए नई परेशानी खड़ी कर दी है। कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। अदालत ने कहा कि पूरे टेंडर घोटाले की साजिश लालू यादव की जानकारी में रची गई थी और उन्होंने इसमें प्रत्यक्ष हस्तक्षेप किया था।
लालू यादव ने किया आरोपों से इनकार
कोर्ट की कार्यवाही के दौरान जब लालू यादव से पूछा गया कि क्या वे आरोप स्वीकार करते हैं या मुकदमे का सामना करेंगे, तो उन्होंने कहा कि सभी आरोप गलत हैं। उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने का निर्णय लिया। इस मामले में सुनवाई लंबे समय से चल रही है और अब अदालत ने औपचारिक रूप से आरोप तय कर दिए हैं।
लैंड फॉर जॉब्स केस से भी जुड़ी सुनवाई
आईआरसीटीसी घोटाले के साथ ही “लैंड फॉर जॉब्स” मामले में भी आज सुनवाई होनी है। हालांकि, इस मामले में लालू या तेजस्वी यादव की मौजूदगी अदालत ने जरूरी नहीं बताई है। यह मामला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव केंद्र में रेल मंत्री थे। सीबीआई का आरोप है कि उस दौरान रेलवे में नौकरी देने के बदले में लालू परिवार को जमीनें दी गईं। अदालत ने 25 अगस्त 2025 को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, और अब आरोप तय करने की प्रक्रिया चल रही है।
आईआरसीटीसी होटल घोटाले का आरोप
सीबीआई के अनुसार, जब लालू यादव रेल मंत्री थे, तब रेलवे के रांची और पुरी स्थित बीएनआर होटल को आईआरसीटीसी के अधीन कर दिया गया था। इन होटलों को सुधारने और उनके रख-रखाव के लिए लीज पर देने की योजना बनाई गई थी। इसके लिए टेंडर जारी किया गया और यह ठेका “सुजाता होटल्स” नामक निजी कंपनी को दिया गया, जिसके निदेशक विजय और विनय कोचर हैं। जांच एजेंसी का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी की गई और यह सौदा लालू परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया।
पटना में जमीन के बदले सौदा
सीबीआई का आरोप है कि इस सौदे के बदले लालू परिवार को पटना में कीमती जमीन दी गई। यह पूरी साजिश 2004 से 2009 के बीच रची गई थी। इस दौरान आईआरसीटीसी के तत्कालीन ग्रुप जनरल मैनेजर वी.के. अस्थाना और एमडी पी.के. गोयल ने टेंडर प्रक्रिया को पूरा किया। जांच एजेंसी ने कहा कि टेंडर देने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी और जानबूझकर एक ही कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों की अनदेखी की गई।
सीबीआई और ईडी की कार्रवाई
सीबीआई ने 17 जुलाई 2017 को इस मामले में लालू प्रसाद यादव समेत पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद देशभर में 12 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। जांच में यह भी सामने आया कि कई लोगों से उनकी जमीनें लालू परिवार के नाम कराई गईं ताकि उनके परिजनों को रेलवे में नौकरी दिलाई जा सके। सीबीआई का दावा है कि यह सब लालू यादव की जानकारी और सहमति से हुआ था। लैंड फॉर जॉब्स केस में भी ईडी ने लालू और तेजस्वी से लंबी पूछताछ की थी। 20 जनवरी 2024 को ईडी की टीम ने लालू प्रसाद से करीब 10 घंटे तक पूछताछ की, जिसमें 50 से अधिक सवाल पूछे गए। ज्यादातर सवालों के जवाब उन्होंने ‘हां’ या ‘ना’ में दिए और कई बार झल्ला भी गए। तेजस्वी यादव से भी 30 जनवरी को करीब 11 घंटे तक पूछताछ की गई।
चुनाव से पहले राजनीतिक प्रभाव
इन दोनों मामलों में आरोप तय होने से राजद के लिए राजनीतिक मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले यह मामला विपक्ष के लिए बड़ा मुद्दा बन सकता है। लालू यादव पहले से ही चारा घोटाले में सजा काट चुके हैं और अब इन नए आरोपों ने उनकी पार्टी की छवि पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन मामलों का असर न केवल राजद की छवि पर पड़ेगा, बल्कि बिहार की राजनीति में विपक्ष की रणनीति पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलेगा। लालू परिवार का यह मुकदमा अब सीधे चुनावी राजनीति से जुड़ गया है, और कोर्ट की अगली सुनवाई पर सभी की निगाहें टिकी हैं।

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