पटना में भारी बारिश के बीच बिहार कांग्रेस ने निकाली तिरंगा यात्रा, प्रशासन ने राजापुर पुल के पास रोका

  • शकील अहमद के नेतृत्व में सात शहीद स्मारक तक पहुचें कांग्रेसी, भारत छोड़ो आन्दोलन के 81वीं वर्षगांठ पर किया मार्च

पटना। भारत छोड़ो आंदोलन की याद में कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम से भारी बारिश के बीच तिरंगा यात्रा निकाली गई। भारी बारिश के बीच कांग्रेस की तिरंगा यात्रा राजापुर पुल तक पहुंची, तब प्रशासन ने यात्रा को रोक दिया। इसके विरोध में कई कांग्रेसी नेता वहीं पर धरना पर बैठ गए। लेकिन थोड़ी देर के बाद उसमें से सात-आठ नेता नेता पैदल चलते हुए साथ सात शहीद स्मारक तक पहुंचे। इस बीच पुलिस निगरानी करती रही। कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉ शकील अहमद खान के नेतृत्व में कांग्रेस सेवा दल के कार्यकर्ता राजापुर पुल से पैदल चलते हुए सात शहीद स्मारक की ओर बढ़े थे। इसमें कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉ शकील अहमद खान, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा, कांग्रेस सेवा दल के अध्यक्ष संजय यादव, आनंद माधव सहित कई नेता कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। कई महिला कांग्रेस नेता कार्यकर्ता भी मौजूद रहीं। भारत छोड़ो आन्दोलन के 81वीं वर्षगांठ पर बिहार कांग्रेस की ओर से शहीद स्मारक पर अमर शहीदों को सलामी देने का कार्यक्रम था। सात शहीदों का स्मारक इस बात की याद दिलाता है कि 11 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी के आह्वान पर बिहार के सात युवाओं ने तिरंगा फहराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। गांधी जी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का आह्वान किया था। हालांकि कांग्रेस हर साल यह आयोजन करती है। लेकिन इस बार सामने 2024 का लोक सभा चुनाव है। हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता फिर से बहाल हुई है। इस वजह से कांग्रेसियों में उत्साह ज्यादा है।
सात युवा हुए थे शहीद
11 अगस्त को दो बजे दिन में पटना के सचिवालय पर झंडा फहराने ये युवा निकले थे। तब पटना के जिलाधिकारी डब्ल्यू जी आर्थर थे। उनके आदेश पर पुलिस ने 13 से 14 राउंड गोलियां चलाई। इसमें बिहार के सात सपूत शहीद हो गए। ये सात सपूत हैं उमाकांत प्रसाद सिंह, रामानंद सिंह, सतीश प्रसाद झा, जगपति कुमार, देवीपद चौधरी, राजेन्द्र सिंह और राम गोविंद सिंह। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद इस जगह पर शहीद स्मारक का निर्माण कराया गया। इसका शिलान्यास स्वतन्त्रता दिवस को बिहार के प्रथम राज्यपाल जयराम दौलत राय के हाथों हुआ। औपचारिक अनावरण देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 1956 में किया।

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