बिहार कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव आयोग पर हमला, कहा- करोड़ वोटरों के नाम हटेंगे, अब लोकतंत्र की रक्षा जरूरी

पटना। बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ होती जा रही हैं। सभी दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। ऐसे में कांग्रेस ने चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाकर एक नई बहस छेड़ दी है। बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने आयोग की कार्यप्रणाली को लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं।
चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में अनियमितता का आरोप
राजेश राम का कहना है कि बिहार में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियाँ हो रही हैं। उन्होंने आशंका जताई कि करोड़ों मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा सकते हैं। उनका कहना है कि यह सीधे-सीधे लोकतंत्र पर हमला है और कांग्रेस इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस ने इस संबंध में बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से मिलने के लिए समय मांगा है और एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही उनसे मिलकर इस मामले में विस्तार से चर्चा करेगा।
लोकतंत्र को बचाने की आवश्यकता पर जोर
राजेश राम ने कहा कि वर्तमान समय में सबसे अहम कार्य लोकतंत्र की रक्षा करना है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि चुनाव आयोग कोई भगवान नहीं है और उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाना किसी भी राजनीतिक दल का अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं, तो यह पूरी चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है और जनता का भरोसा डगमगा सकता है।
गठबंधन और सीट बंटवारे के सवाल पर संयमित रुख
जब उनसे वीआईपी प्रमुख मुकेश साहनी द्वारा महागठबंधन में 60 सीटों की मांग को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इस पर संयमित प्रतिक्रिया दी। उनका कहना था कि इस तरह की बातें उचित समय पर गठबंधन के सभी घटक दलों के बीच मिलकर तय की जाएंगी। उन्होंने फिलहाल चुनाव आयोग की कार्यशैली को ही सबसे बड़ा मुद्दा बताया।
राजनीतिक प्रस्तावों पर अभी चर्चा नहीं
एआईएमआईएम द्वारा राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को महागठबंधन में शामिल होने के लिए पत्र लिखे जाने के सवाल पर भी राजेश राम ने यही रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में इस तरह के राजनीतिक प्रस्तावों पर चर्चा करना उचित नहीं है। सबसे पहले जरूरी है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर होने से बचाया जाए और मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा की जाए।
चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग
बिहार कांग्रेस का यह रुख दर्शाता है कि वह आगामी चुनावों में पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग कर रही है। मतदाता सूची में किसी तरह की अनियमितता न हो, इसके लिए पार्टी सजग है और हर स्तर पर इस मुद्दे को उठाने के लिए तैयार है। राजेश कुमार के इस बयान ने बिहार की राजनीति में चुनाव आयोग की भूमिका को केंद्र में ला दिया है। कांग्रेस स्पष्ट रूप से यह संदेश दे रही है कि यदि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप या गड़बड़ी हुई, तो वह इसका कड़ा विरोध करेगी। अब देखना होगा कि चुनाव आयोग इन आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया देता है और मतदाता सूची की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं। फिलहाल, बिहार की राजनीति में यह एक अहम मोड़ है, जहां लोकतंत्र की रक्षा और निष्पक्ष चुनाव की मांग ने एक बार फिर केंद्र में जगह बना ली है।
