वक्फ संशोधन विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी कांग्रेस, शीर्ष अदालत में जल्द दाखिल करेगी याचिका

नई दिल्ली। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर देश की राजनीति में हलचल मच गई है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बाद अब कांग्रेस ने भी इस विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान किया है। शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी ने कहा कि वह इस विधेयक की संवैधानिकता को चुनौती देगी।
विधेयक को संसद से मिली मंजूरी
इस विधेयक को पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में पेश किया गया, जहां इसे मंजूरी दे दी गई। हालांकि, विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया और इसे असंवैधानिक करार दिया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने तो पहले ही इस विधेयक को अदालत में चुनौती देने की बात कही थी। उन्होंने इसे संविधान के मूल ढांचे पर हमला बताया और विधानसभा में विरोध स्वरूप काली पट्टी बांधकर पहुंचे।
कांग्रेस का विरोध और सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी
कांग्रेस पार्टी इस विधेयक को लेकर पूरी तरह से विरोध की मुद्रा में आ गई है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए जानकारी दी कि पार्टी जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा संविधान पर किए जा रहे कथित हमलों का डटकर विरोध करेगी।
कांग्रेस ने पहले भी कानूनों को दी है चुनौती
कांग्रेस ने इससे पहले भी कई कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) 2019 पर कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इसके अलावा, सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 में किए गए 2019 के संशोधनों को लेकर भी पार्टी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। चुनाव संचालन नियम (2024) में हुए संशोधनों और पूजा स्थल अधिनियम, 1991 की मूल भावना को बनाए रखने के लिए भी कांग्रेस अदालत में अपना पक्ष रख रही है।
विधेयक को लेकर राजनीतिक विवाद
इस विधेयक के पारित होने के बाद विपक्षी दलों ने इसे सरकार की मनमानी करार दिया है। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने कुछ राजनीतिक सहयोगियों के दबाव में इस विधेयक को देर रात पास कराया, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। तमिलनाडु की डीएमके पार्टी भी इस विधेयक को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रही है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने स्पष्ट किया है कि उनकी पार्टी इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी और इसे लागू होने से रोकने की पूरी कोशिश करेगी।
आगे की राह
इस विधेयक को लेकर अब कानूनी लड़ाई शुरू होने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर होने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस पर क्या रुख अपनाती है। इस विधेयक के समर्थकों और विरोधियों के तर्कों को ध्यान में रखते हुए अदालत का फैसला आने वाले समय में बड़ा राजनीतिक असर डाल सकता है।
