पीएम पर टिप्पणी मामले में बढ़ी राहुल गांधी की मुश्किलें, मुजफ्फरपुर कोर्ट में दर्ज हुई शिकायत
 
                मुजफ्फरपुर/पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई टिप्पणी और छठ पर्व को लेकर दिए गए बयान ने नया राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। इस टिप्पणी को लेकर मुजफ्फरपुर की मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) कोर्ट में उनके खिलाफ एक परिवाद दर्ज किया गया है। अदालत ने इस मामले को सुनवाई पर रख लिया है।
सकरा रैली में राहुल गांधी का विवादित बयान
घटना की शुरुआत बुधवार को हुई जब राहुल गांधी ने बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सकरा के मझौलिया में महागठबंधन की चुनावी रैली को संबोधित किया। अपने भाषण में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला करते हुए कहा कि, “अगर वोट के लिए लोगों को पसंद आए, तो प्रधानमंत्री मोदी स्टेज पर नाचने लगेंगे।” इसी के साथ उन्होंने दिल्ली में छठ पूजा को लेकर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि, “यमुना नदी में इतनी गंदगी है कि अगर कोई उसमें नहा ले तो बीमार पड़ जाए। मगर छठ के दिन प्रधानमंत्री के लिए यमुना किनारे पाइप से पानी लाकर तालाब बनवाया गया — यह सब ड्रामा है।” इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। विपक्षी दलों के समर्थकों ने इसे प्रधानमंत्री का अपमान और हिंदू आस्था का अपमान बताया है।
वकील सुधीर ओझा ने दायर किया परिवाद
राहुल गांधी के इस बयान पर मुजफ्फरपुर के अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने गुरुवार को सीजेएम कोर्ट में परिवाद दायर किया है। ओझा ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने जानबूझकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपमान किया और छठ जैसे लोकआस्था के पर्व पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर हिंदू समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई। ओझा ने अदालत में दायर अपने परिवाद में कहा है कि, “राहुल गांधी की यह टिप्पणी न केवल प्रधानमंत्री का अपमान है, बल्कि यह करोड़ों हिंदुओं की आस्था का भी अपमान है। उन्होंने यह कहकर कि मोदी वोट के लिए स्टेज पर नाचेंगे, पूरे लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाया है।” अदालत ने इस परिवाद को स्वीकार कर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर लिया है। संभावना है कि आने वाले दिनों में इस पर पहली सुनवाई की तारीख तय की जाएगी।
राजनीतिक गलियारों में गरमाई बहस
राहुल गांधी के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में नई बहस छिड़ गई है। भाजपा नेताओं ने इसे कांग्रेस की बौखलाहट और निराशा का परिणाम बताया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि राहुल गांधी अब सीमाओं को पार कर चुके हैं। उन्होंने कहा, “छठ पूजा बिहार और पूर्वांचल की आस्था का पर्व है। इस पर राजनीति करना कांग्रेस के असली चरित्र को उजागर करता है।” वहीं, कांग्रेस के नेताओं ने राहुल गांधी का बचाव करते हुए कहा कि उनके बयान को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा, “राहुल गांधी ने सिर्फ यह कहा था कि पीएम मोदी दिखावे की राजनीति करते हैं। उन्होंने किसी धर्म या आस्था का अपमान नहीं किया है।”
छठ पूजा पर टिप्पणी से भड़की भावनाएं
गौरतलब है कि छठ पूजा बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला एक लोक आस्था का सबसे बड़ा पर्व है। इस पर्व के दौरान लोग सूर्य और छठी माई की उपासना करते हैं। ऐसे में इस पर्व को “ड्रामा” कहने वाली टिप्पणी ने लोगों की धार्मिक भावनाओं को गहराई से आहत किया है। मुजफ्फरपुर समेत कई जिलों में स्थानीय संगठनों और लोगों ने राहुल गांधी के बयान की निंदा की है। कई जगहों पर कांग्रेस के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं।
कानूनी विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, अगर अदालत प्राथमिक सुनवाई में यह मान लेती है कि राहुल गांधी की टिप्पणी धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली है, तो यह मामला भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295(A) (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने) और 504 (जानबूझकर अपमान कर शांति भंग करने) के तहत आगे बढ़ सकता है। हालांकि, फिलहाल अदालत ने केवल सुनवाई पर नोटिस जारी किया है।
चुनावी माहौल में बढ़ा विवाद का असर
बिहार विधानसभा चुनाव के बीच यह मामला राजनीतिक रूप से भी बेहद संवेदनशील माना जा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी की टिप्पणी का असर भाजपा के पक्ष में जा सकता है, क्योंकि यह सीधे तौर पर लोक आस्था और प्रधानमंत्री की छवि से जुड़ा मामला है। दूसरी ओर, कांग्रेस का दावा है कि भाजपा इस बयान को चुनावी लाभ के लिए तूल दे रही है।
अदालत की अगली सुनवाई पर निगाहें
फिलहाल, मुजफ्फरपुर सीजेएम कोर्ट ने वकील सुधीर ओझा द्वारा दायर परिवाद को दर्ज कर सुनवाई के लिए रखा है। अदालत इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख जल्द तय करेगी। राहुल गांधी के इस बयान ने बिहार की राजनीति में नई हलचल मचा दी है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि अदालत इस मामले में आगे क्या रुख अपनाती है।



 
                                             
                                             
                                             
                                        