पटना में साइकिल और बाइक की टक्कर से दर्दनाक हादसा, राजमिस्त्री की मौत
पटना। जिले में एक दर्दनाक सड़क हादसे ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। बाढ़ थाना क्षेत्र के नदावां गांव के पास साइकिल और बाइक की टक्कर में एक व्यक्ति की मौत हो गई। मृतक की पहचान इस्माइलपुर गांव निवासी कमलेश पासवान के रूप में की गई है, जो राजमिस्त्री का काम करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। इस घटना के बाद ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा और उन्होंने हादसे के विरोध में करीब तीन घंटे तक एनएच-30ए जाम कर दिया।
हादसे की घटना
घटना तब हुई जब कमलेश पासवान रोज की तरह शाम को काम से घर लौट रहे थे। वे अपनी साइकिल पर सवार थे कि उसी दौरान नदावां गांव के पास एक बाइक ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। हादसे में कमलेश पासवान गंभीर रूप से घायल हो गए और मौके पर ही उनकी मौत हो गई। उनके भाई धर्मेंद्र पासवान ने बताया कि बाइक की तेज स्पीड और लापरवाही इस हादसे की वजह बनी।
मृतक का परिवार और स्थितियां
कमलेश पासवान एक साधारण परिवार से आते थे और राजमिस्त्री का काम कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। उनकी मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। पीछे वह तीन बेटे और दो बेटियां छोड़ गए हैं, जिनकी पढ़ाई-लिखाई और परवरिश की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर थी। अचानक हुई इस घटना ने पूरे परिवार को गहरे संकट में डाल दिया है।
बाइक सवार की स्थिति
हादसे में बाइक सवार भी घायल हो गया जिसे पुलिस की टीम ने मौके से अस्पताल पहुंचाया। घायल की पहचान ग्वार धर्मपुर गांव के निवासी के रूप में हुई है। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस इस पूरे मामले में शुरुआती दौर से ही लापरवाह रही।
ग्रामीणों का आक्रोश
हादसे से गुस्साए ग्रामीणों ने एनएच-30ए को लगभग तीन घंटे तक जाम कर दिया। ग्रामीणों का आरोप था कि जब वे वारदात की जानकारी देने के लिए पुलिस को कई बार फोन कर रहे थे, तब भी थाना पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। ग्रामीण धर्मराज कुमार ने कहा कि घटना को तीन घंटे गुजर चुके थे, लेकिन बाढ़ थाना की पुलिस ने पीड़ित परिवार की सुध तक नहीं ली। ग्रामीणों ने मृतक का शव मुख्य सड़क से करीब एक किलोमीटर दूर रखकर जाम कर दिया। उनका कहना था कि यह केवल एक साधारण हादसा नहीं बल्कि पुलिस की लापरवाही और सिस्टम की निष्क्रियता का नतीजा है।
पुलिस पर आरोप
ग्रामीणों ने पुलिस पर यह भी आरोप लगाया कि वह घटनास्थल से जल्दबाजी में लौट गई और गंभीरता से मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। उनकी नाराजगी इस बात को लेकर ज्यादा थी कि हादसे का शिकार व्यक्ति गरीब परिवार से था, इसलिए पुलिस ने तुरंत जिम्मेदारी नहीं दिखाई। ग्रामीणों का यह भी कहना था कि यदि पुलिस सतर्कता से कार्यवाही करती, तो पीड़ित परिवार को न्याय की उम्मीद मिलती।
प्रशासनिक कार्रवाई की मांग
हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि मृतक के परिवार को मुआवजा दिया जाए ताकि उनके बच्चों का भरण-पोषण हो सके। ग्रामीण चाहते हैं कि भविष्य में इस तरह के हादसों को रोकने के लिए प्रशासन सड़क सुरक्षा पर गंभीर कदम उठाए।
सामाजिक प्रभाव
कमलेश पासवान की मौत ने न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे गांव को शोकग्रस्त कर दिया है। उनका परिवार पूरी तरह से उन पर निर्भर था और अब उनकी गैरमौजूदगी ने ग्रामीणों के सामने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि गरीब तबके के लोगों की सुरक्षा और जीविका सुनिश्चित करने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। नदावां गांव के पास हुआ यह हादसा सड़क सुरक्षा और पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी दोनों पर सवाल खड़े करता है। एक मेहनतकश व्यक्ति की जान गई, जिसने अपने परिवार का सहारा बनने के लिए प्रतिदिन कठिन परिश्रम किया। अब उनकी मृत्यु ने परिवार को असहाय स्थिति में छोड़ दिया है। यह घटना सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक संवेदनशीलता की एक बड़ी परीक्षा है। अब आवश्यकता इस बात की है कि प्रशासन पीड़ित परिवार की मदद करे और सड़क सुरक्षा के उपायों को मजबूत बनाए ताकि भविष्य में ऐसी दर्दनाक घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।


