गोपालगंज और सीवान में आज चुनावी जनसभा करेंगे सीएम नीतीश, एनडीए प्रत्याशी के लिए मांगेंगे वोट
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राज्य का सियासी माहौल और अधिक गर्म होता जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरी तरह से चुनावी मोड में आ चुके हैं और लगातार रैलियों के माध्यम से जनता से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं। आज वे गोपालगंज और सीवान जिलों में चुनावी जनसभाओं को संबोधित करेंगे, जहां वे एनडीए प्रत्याशियों के लिए वोट मांगेंगे और अपनी सरकार की उपलब्धियों को जनता के सामने रखेंगे।
गोपालगंज और सीवान में नीतीश की ताबड़तोड़ रैलियां
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आज दो बड़े जिलों—गोपालगंज और सीवान—में व्यस्त दिनचर्या रहने वाली है। वे गोपालगंज जिले के कटेया और मांझा में जनसभाएं करेंगे। इसके बाद वे सीवान जिले के बड़कागांव में बड़ी चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। प्रशासन की ओर से इन सभाओं के लिए व्यापक तैयारियां कर ली गई हैं। मंच के आस-पास बैरिकेडिंग कर दी गई है और सुरक्षा बलों की तैनाती भी सुनिश्चित की गई है। उम्मीद है कि इन सभाओं में भारी संख्या में लोग शामिल होंगे।
तैयारियों में जुटा प्रशासन
नीतीश कुमार के आगमन को लेकर दोनों जिलों में प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा और व्यवस्थाओं की पूरी समीक्षा की गई है। स्थानीय पुलिस प्रशासन और खुफिया एजेंसियां अलर्ट पर हैं ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो। कार्यक्रम स्थल पर सुरक्षा के मद्देनज़र चेकिंग अभियान चलाया गया है और वाहनों की आवाजाही को भी नियंत्रित किया गया है। मंच पर एनडीए के स्थानीय नेता और प्रत्याशी भी उपस्थित रहेंगे, जो मुख्यमंत्री के साथ चुनावी रणनीति पर चर्चा करेंगे।
जनता से सीधा संवाद और वोट की अपील
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इन सभाओं का मुख्य उद्देश्य जनता से संवाद स्थापित करना और एनडीए प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाना है। वे अपनी रैलियों में विकास के मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहे हैं। नीतीश कुमार का कहना है कि उनकी सरकार ने पिछले 20 वर्षों में बिहार को नई दिशा दी है। वे बार-बार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि उनकी सरकार ने शिक्षा, सड़क, बिजली, और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में जो काम किए हैं, वे राज्य को आगे बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हुए हैं।
पिछली रैली में विपक्ष पर साधा निशाना
21 अक्टूबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर के मीनापुर में राम कृष्णा हाई स्कूल मैदान में एक चुनावी सभा को संबोधित किया था। वहां उन्होंने एनडीए प्रत्याशी के समर्थन में लोगों से वोट की अपील की थी। इस दौरान उन्होंने विपक्षी दलों पर तीखे प्रहार किए। उन्होंने कहा था कि “हमारी सरकार लगातार 20 वर्षों से विकास के कार्यों में जुटी है, लेकिन हमारे पहले जो सरकारें थीं, उन्होंने केवल वादे किए। उस समय बिहार की हालत इतनी खराब थी कि शाम के बाद लोग घरों से बाहर निकलने से डरते थे। न सड़कें थीं, न बिजली, और न ही शिक्षा की सही व्यवस्था।”
विकास के एजेंडे पर नीतीश का जोर
मुख्यमंत्री ने अपनी पिछली रैली में यह भी कहा था कि जब उन्हें काम करने का अवसर मिला, तो उन्होंने बिहार की तस्वीर बदलने का प्रयास किया। आज हर गांव में बिजली है, सड़कों का जाल बिछाया गया है और शिक्षा के क्षेत्र में बड़े सुधार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को पंचायती राज में 50 प्रतिशत आरक्षण देने से लेकर जीविका समूहों के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने तक, उनकी सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। यही कारण है कि वे जनता से दोबारा मौका देने की अपील कर रहे हैं।
महागठबंधन में बढ़ती खींचतान
वहीं, दूसरी ओर महागठबंधन के नेता भी अब पूरी सक्रियता के साथ चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। हालांकि, गठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे और साझा घोषणा पत्र को लेकर मतभेद की स्थिति बनी हुई है। कई सीटों पर कांग्रेस और राजद के उम्मीदवारों के आमने-सामने आने की खबरें हैं, जिससे दोनों दलों के बीच दूरी बढ़ती जा रही है। इस बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज पटना पहुंचेंगे। वे गठबंधन के शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर स्थिति को संभालने की कोशिश करेंगे।
23 अक्टूबर को महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस
सूत्रों के मुताबिक, महागठबंधन 23 अक्टूबर को एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करेगा, जिसमें गठबंधन के साझा एजेंडे और प्रचार रणनीति की घोषणा की जाएगी। इसके बाद सभी दलों के प्रमुख नेता राज्यभर में प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगे। महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव, कांग्रेस के अशोक गहलोत और अन्य वरिष्ठ नेता प्रचार की कमान संभालेंगे।
एनडीए बनाम महागठबंधन में सीधी टक्कर
बिहार का चुनाव इस बार दो ध्रुवों के बीच सीमित होता दिखाई दे रहा है — एक ओर एनडीए है, जिसका नेतृत्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर रहे हैं, और दूसरी ओर महागठबंधन है, जिसमें राजद, कांग्रेस और वामदलों की अहम भूमिका है। दोनों गठबंधन विकास और रोजगार को मुख्य चुनावी मुद्दा बना रहे हैं, लेकिन एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। आज की रैलियों के माध्यम से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार न केवल एनडीए प्रत्याशियों के पक्ष में समर्थन जुटाने की कोशिश करेंगे, बल्कि जनता को अपनी सरकार की उपलब्धियों की याद भी दिलाएंगे। बिहार की राजनीति इस समय अपने चरम पर है, और ऐसे में हर सभा, हर भाषण और हर बयान चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। गोपालगंज और सीवान की यह रैली निश्चय ही बिहार चुनाव की दिशा तय करने में अहम साबित हो सकती है।


