October 28, 2025

CM नीतीश ने स्वतंत्रता सेनानी स्व. रामबहादुर सिंह व स्व. पद्मानंद सिंह ‘ब्रह्मचारी’ की आदमकद प्रतिमा का किया अनावरण

  • सीएम नीतीश बोले- आनंद मोहन से मेरा पारिवारिक संबंध है, यह बात किसी से छुपी नहीं

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज सहरसा जिले के पंचगछिया ग्राम के भगवती प्रांगण में ‘कोसी का गांधी स्वातंत्र्यवीर स्व. रामबहादुर सिंह और उनके ज्येष्ठ पुत्र प्रखर स्वतंत्रता सेनानी स्व. पद्मानंद सिंह ‘ब्रह्मचारी’ जी की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया। प्रतिमा अनावरण के पश्चात् मुख्यमंत्री ने स्व. रामबहादुर सिंह एवं स्व. पद्मानंद सिंह ‘ब्रह्मचारी जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी। वही इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व. रामबहादुर सिंह एवं स्व. पद्मानंद सिंह ब्रह्मचारी जी की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में आने का मौका मिला है। आप सबने मुझे आमंत्रित किया इसके लिए आप सभी का मैं अभिनंदन करता हूं और स्व. रामबहादुर सिंह एवं स्व. पद्मानंद सिंह ब्रह्मचारी जी के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं। स्व. रामबहादुर सिंह पूर्व सांसद आनंद मोहन जी के दादाजी थे और स्व. पद्मानंद सिंह ब्रह्माचारी जी इनके चाचाजी थे। पूर्व सांसद आनंद मोहन जी और उनकी पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद जी ने मुझे इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया था। इनलोगों से मेरा पुराना पारिवारिक संबंध है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि रामबहादुर बाबू का जन्म 1901 ई. में हुआ था और उनकी मृत्यु 1950 ई. में हो गई थी। रामबहादुर बाबू स्वामी सहजानंद सरस्वती जी के संपर्क में 1919 ई. में आए और अंग्रेजों द्वारा लाए गए काले कानून ‘रॉलेट एक्ट’ का विरोध करते हुए अपनी गिरफ्तारी दी थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के असहयोग आंदोलन को सफल बनाने के लिए रामबहादुर बाबू 1920 ई. में सैकड़ों लोगों के साथ मिलकर कोसी सेवक दल का गठन किया और कोसी क्षेत्र में विदेशी कपड़ों का बहिष्कार किया तथा खादी ग्राम उद्योग की शुरुआत की। 1925 ई. में जब गांधीजी बिहार आए थे और पूर्णिया, अररिया, फारबिसगंज आदि जगहों पर गए तो भ्रमण के दौरान रामबहादुर बाबू उनके साथ रहे थे। 1930 ई. में उन्होंने गांधीजी के नमक सत्याग्रह आंदोलन में भी भाग लिया। रामबहादुर बाबू ने बापू से प्रेरणा लेकर लोगों को नशा से दूर रहने का आह्वान किया था। आज आपसब यहां उपस्थित हैं मैं यहां आप लोगों से भी कहना चाहता हूं कि बापू की बातों को याद रखें और लोगों को नशा से दूर रहने के लिए प्रेरित करते रहें। वर्ष 1934 ई. में जब बिहार में भूकंप आया था और गांधीजी भूकंप पीड़ितों से मिलने मुंगेर पहुंचे थे तो पंचगछिया ग्राम भी आकर रामबहादुर बाबू से मिले थे क्योंकि इनका घर भी भूकंप में ध्वस्त हो गया था। ऐसी स्थिति में भी रामबहादुर बाबू की धर्मपत्नी कुंती देवी जी ने अपना धन बापू के समक्ष दान में दे दिया था ताकि पीड़ितों की मदद की जा सके। 1942 ई. के भारत छोड़ो आंदोलन में भी रामबहादुर बाबू ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि रामबहादुर बाबू के पुत्र पद्मानंद सिंह ‘ब्रह्माचारी जी ने भी 1942 ई. के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था। पद्मानंद सिंह जी का जन्म वर्ष 1921 में और मृत्यु वर्ष 2016 में हुई थी।

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