उत्तराखंड में दूसरी बार बादल फटा, चंदौली में सात लोग लापता, 2500 पर्यटक फंसे, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
चंदौली। उत्तराखंड प्राकृतिक आपदाओं से लगातार जूझ रहा है। 17 सितंबर की रात चमोली जिले के नंदानगर घाट में दोबारा बादल फटने की घटना हुई। इस हादसे में कुंटरी लंगाफली वार्ड के छह घर मलबे में दब गए। अब तक सात लोग लापता बताए जा रहे हैं, जबकि दो लोगों को रेस्क्यू टीम ने बाहर निकाल लिया है। भारी बारिश और मलबे के कारण इलाके का संपर्क टूट गया है और हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं।
लगातार दो दिन की घटनाएँ
यह घटना उत्तराखंड में पिछले दो दिनों में दूसरी बार घटी है। इससे पहले 16 सितंबर को राजधानी देहरादून में बादल फटा था। इसके चलते देहरादून से मसूरी जाने वाला 35 किलोमीटर लंबा रास्ता कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गया। परिणामस्वरूप मसूरी में लगभग 2500 पर्यटक लगातार तीसरे दिन फंसे हुए हैं। प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है, लेकिन खराब मौसम और सड़कों के टूटने के कारण राहत कार्यों में कठिनाई आ रही है।
प्रभावित इलाकों में मलबा और पानी
चमोली जिले के नंदानगर घाट में बादल फटने के बाद घरों में कई फीट तक मलबा और पानी भर गया। कुछ घर बहते पानी के कारण क्षतिग्रस्त हो गए हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, अचानक आई इस आपदा ने पूरे इलाके को अव्यवस्थित कर दिया है। रास्ते कट जाने से बचाव दल को घटनास्थल तक पहुँचने में दिक्कत हो रही है। फिलहाल राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं।
हिमाचल में भी तबाही
उत्तराखंड के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश में भी इस वर्ष भारी बारिश और भूस्खलन ने बड़ी तबाही मचाई है। अब तक राज्य में 419 लोगों की मौत बारिश, बाढ़ और लैंडस्लाइड जैसी घटनाओं में हो चुकी है। हाल ही में हिमाचल के किन्नौर जिले के निगुलसरी के पास बड़ा भूस्खलन हुआ था, जिससे नेशनल हाईवे-5 बंद हो गया। लगातार मलबा हटाने के प्रयास किए जा रहे हैं और धीरे-धीरे वाहनों को निकालने की कोशिश की जा रही है।
मौसम विभाग का अलर्ट
मौसम विभाग ने उत्तराखंड और हिमाचल दोनों राज्यों को अगले 48 घंटों के लिए हाई अलर्ट पर रखा है। विभाग के अनुसार, आगामी दिनों में और भी तेज बारिश की संभावना है। इसके अलावा, देश के अन्य हिस्सों में भी मानसून के अंतिम चरण में व्यापक प्रभाव देखने को मिल सकता है।
मानसून की स्थिति
इस साल 24 मई को दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल पहुँचा था। 17 सितंबर तक देश में सामान्य से 8 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की जा चुकी है। हालांकि, पश्चिम राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में मानसून की विदाई शुरू हो चुकी है, फिर भी जाते-जाते यह कई राज्यों में भारी वर्षा कर रहा है।
नए सिस्टम की संभावना
मौसम विभाग और ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम के मुताबिक, 25 या 26 सितंबर को बंगाल की खाड़ी में एक बड़े लो प्रेशर एरिया के बनने की संभावना है। इसके असर से पूर्वी और पश्चिमी मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में दो से तीन दिनों तक तेज बारिश हो सकती है। कई क्षेत्रों में तीन इंच तक पानी गिरने की संभावना जताई गई है।
पर्यटन और आम जीवन पर असर
देहरादून-मसूरी मार्ग क्षतिग्रस्त होने से हजारों पर्यटक प्रभावित हैं। मसूरी में फंसे करीब 2500 पर्यटकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वहीं, चमोली के ग्रामीण इलाकों में मलबा भर जाने और घरों के क्षतिग्रस्त होने से आम लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इन घटनाओं ने पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था दोनों को प्रभावित किया है। उत्तराखंड और हिमाचल में लगातार हो रही प्राकृतिक आपदाएँ पर्वतीय क्षेत्रों की संवेदनशीलता को उजागर करती हैं। बादल फटना, भूस्खलन और बाढ़ जैसी घटनाएँ न केवल जान-माल का नुकसान करती हैं, बल्कि पूरे क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक ढांचे को भी हिला देती हैं। ऐसे में जरूरी है कि सरकार और प्रशासन आपदा प्रबंधन की तैयारियों को और मजबूत करें। साथ ही, पर्वतीय इलाकों में रहने वाले लोगों और पर्यटकों को सतर्क रहना होगा ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं के प्रभाव को कम किया जा सके।


