हाजीपुर सीट को लेकर बोले चिराग पासवान, कहा- इस बारे में एनडीए से मेरी बात चुकी, कोई ताकत मुझे रोक नहीं सकती

- चाचा भतीजे में मची खींचतान के बीच चिराग ने पारस को दी सलाह, गठबंधन ने मुझे अधिकार दिया, आप जाकर उनसे बात करें
पटना। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपने चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस पर एक बार फिर से निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जब दो घटक दल एक सीट को लेकर खींचतान करते हुए नजर आते हैं तो गठबंधन गलत स्थिति में दिखता है। जो बातचीत उन्हें करनी है। वह गठबंधन के भीतर करें। जब गठबंधन से आपको ग्रीन सिग्नल मिल जाए तो आप पूरी तरीके से दावा कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि मैं इसलिए इस सीट पर दावा कर रहा हूं क्योंकि मैंने गठबंधन में जाने से पहले इन सारी चीजों पर बात कर ली है। आज अगर मैं ऐसा बोल रहा हूं तो गठबंधन ने मुझे अधिकार दिया है। इसलिए मैं ऐसा कह रहा हूं। आपको किसी सीट पर दावा करना है तो पहले गठबंधन में बात लीजिए। इसके बाद ही कुछ बोलिए। इस तरीके का दावा करना कि यह सिर्फ मेरा है दुनिया की कोई ताकत मुझे लड़ने से नहीं रोक सकती है यह सब बेकार की बातें हैं। वही बीते दिन केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा था कि हाजीपुर से मैं ही चुनाव लडूंगा। मेरे अलावा कौन है, जो चुनाव लड़ेगा। उन्होंने कहा कि बड़े भैया राम विलास पासवान ने जहां हाथ पकड़कर चुनाव लड़ना सिखाया है और यहां से चुनाव लड़ें। वहीं, केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने बिना नाम लिए भतीजे चिराग पासवान को मेंढक बताया था। उन्होंने कहा कि बरसात के दिनों में नदी-नाले के मेंढक टर्र-टर्र करने लगता है। चुनावी बरसात में बहुत से लोग आएंगे और जाएंगे। कुछ होना नहीं है।
चिराग ने पलटवार कर चाचा पारस को दी सलाह
इसका जवाब देते हुए चिराग पासवान ने शुक्रवार को कहा कि उनके पास अधिकार है कि वह आने वाले समय में मुझ पर हाथ भी उठा सकते हैं। लेकिन मेरे ये संस्कार नहीं है कि मैं उनको उलट कर जवाब भी दूं। नीतीश कुमार भी हमारे सीनियर हैं इसलिए मैं सिर्फ उनकी नीतियों का विरोध करता हूं। चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री के दिल्ली एम्स में अपनी आंखों के इलाज करवाने को लेकर कहा कि मैं कामना करता हूं कि मुख्यमंत्री स्वस्थ रहें। क्योंकि उम्र में, तजुर्बे में और रुतबे में वो हमसे बड़े हैं। आखिरकार वो हैं तो हमारे मुख्यमंत्री ही। इसके आगे उन्होंने कहा कि अच्छा हुआ उन्होंने अपना इलाज बिहार में नहीं करवाया। मुजफ्फरपुर में एक दर्जन लोगों की आंखें निकाल ली गई, मोतियाबिंद के ऑपरेशन के दौरान। इसलिए अच्छा हुआ कि मुख्यमंत्री ने दिल्ली एम्स में जाकर मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया बिहार में नहीं कराया।
