October 28, 2025

एनडीए में चिराग पासवान ने की बड़ी मांग, कहा- प्रदेश में पहले सरकार बने, फिर करेंगे डिप्टी सीएम की दावेदारी

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आते ही प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। हर दल अपनी रणनीति और एजेंडे के साथ मैदान में उतर चुका है। इस बीच एनडीए गठबंधन के प्रमुख चेहरों में से एक और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान का बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने कहा कि अभी किसी पद की दावेदारी करना सही नहीं है, पहले सरकार बनना जरूरी है।
एनडीए में पदों को लेकर चिराग का स्पष्ट रुख
हाल में दिए एक साक्षात्कार में चिराग पासवान ने साफ कहा कि “अभी सरकार बने, फिर बात करेंगे डिप्टी सीएम की।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव से पहले पदों की होड़ में पड़ना किसी भी गठबंधन के लिए नुकसानदायक होता है। उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति में कई बार देखा गया है कि गठबंधन के भीतर पद की महत्वाकांक्षाएं संगठन को कमजोर कर देती हैं। यही वजह है कि उन्होंने अपने सहयोगियों से भी अपील की कि पहले जनता का विश्वास जीतने पर ध्यान दिया जाए।
“महत्वाकांक्षाओं ने महागठबंधन को कमजोर किया”
चिराग पासवान ने विपक्षी महागठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि “महागठबंधन की सबसे बड़ी समस्या यही है कि वहां नेतृत्व को लेकर स्पष्टता नहीं है। हर कोई मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री बनने की दौड़ में है। ऐसे में जनता के मुद्दे पीछे छूट जाते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि इसी वजह से महागठबंधन का जनाधार कमजोर हो रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि “अगर मुकेश सहनी डिप्टी सीएम बनने की जिद नहीं करते, तो शायद उनकी स्थिति कुछ और होती।”
“पहले जीत, फिर जिम्मेदारी का बंटवारा
जब उनसे पूछा गया कि क्या एलजेपी (रामविलास) चुनाव बाद डिप्टी सीएम पद की दावेदारी करेगी, तो उन्होंने जवाब दिया, “पहले बड़ी जीत तो हासिल करें। उसके बाद हम देखेंगे कि कौन-सा दल कैसा प्रदर्शन करता है। उसी के आधार पर तय होगा कि किसे क्या भूमिका मिलेगी।” यह बयान यह स्पष्ट करता है कि चिराग पासवान वर्तमान में सत्ता के समीकरणों से अधिक जनादेश और गठबंधन की सफलता पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।
एनडीए में एलजेपी (रामविलास) की भूमिका
बिहार एनडीए में एलजेपी (रामविलास) की भूमिका को लेकर लगातार अटकलें लगती रही हैं। इस पर चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी एनडीए के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है। उन्होंने कहा कि एलजेपी (रामविलास) का लक्ष्य बिहार में “बदलाव और विकास” का नया अध्याय शुरू करना है। “हम बिहार को उसी दिशा में ले जाना चाहते हैं जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने देश को आगे बढ़ाया है,”
विकास और रोजगार पर फोकस
चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी की प्राथमिकता पद या सत्ता नहीं, बल्कि विकास है। उन्होंने बताया कि बिहार में युवाओं, किसानों और महिलाओं को सशक्त बनाना ही उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। उनकी पार्टी का विजन डॉक्यूमेंट “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” इन्हीं विषयों पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि बिहार को शिक्षा, रोजगार और औद्योगिक क्षेत्र में सुधार की सख्त जरूरत है, ताकि राज्य आत्मनिर्भर बन सके।
महागठबंधन पर सीधा हमला
साक्षात्कार के दौरान चिराग पासवान ने महागठबंधन की कार्यप्रणाली पर भी सीधा हमला किया। उन्होंने कहा कि महागठबंधन की सबसे बड़ी कमी “नेतृत्व की अस्पष्टता” और “आंतरिक खींचतान” है। “एक तरफ कोई खुद को मुख्यमंत्री बनाना चाहता है, तो दूसरी तरफ कोई डिप्टी सीएम की कुर्सी के लिए अड़ा हुआ है। ऐसे में जनता के असली मुद्दे—रोजगार, शिक्षा और विकास—कहीं पीछे छूट जाते हैं,” उन्होंने कहा।
“मैं जनता का सिपाही हूं”
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे खुद भविष्य में मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, तो चिराग पासवान ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं खुद को जनता का सिपाही मानता हूं। मुख्यमंत्री पद हो या कोई और पद, यह सब जनता तय करेगी। मेरा काम जनता की सेवा करना है और वही मेरी प्राथमिकता है।” उनके इस बयान से साफ झलकता है कि वे फिलहाल अपनी छवि एक जनसेवक और युवा नेता के रूप में बनाए रखना चाहते हैं।
“यह चुनाव तय करेगा बिहार की दिशा”
चिराग पासवान ने अंत में कहा कि 2025 का चुनाव बिहार की राजनीति की दिशा तय करेगा। “यह चुनाव यह तय करेगा कि बिहार पुरानी सोच के साथ रहेगा या एक नई सोच और नए विजन के साथ आगे बढ़ेगा।” उन्होंने दावा किया कि जनता अब बदलाव चाहती है, और यह बदलाव एनडीए की नीतियों के ज़रिए ही संभव है। चिराग पासवान ने अपने बयान के माध्यम से एक परिपक्व और रणनीतिक नेता की छवि प्रस्तुत की है। उन्होंने सत्ता की होड़ से ऊपर उठकर गठबंधन की एकता और जनता के मुद्दों को प्राथमिकता दी है। उनका संदेश साफ है—पहले सरकार बने, जनता का विश्वास जीता जाए, और फिर सत्ता की जिम्मेदारी तय की जाए। बिहार की राजनीति में यह बयान आने वाले चुनावी समीकरणों को गहराई से प्रभावित कर सकता है।

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