आरा में दो बच्चों को आवारा कुत्ते ने काटा, एक की मौत, एक पीएमसीएच रेफर

आरा। बिहार के आरा शहर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। एक आवारा कुत्ते द्वारा दो मासूम बच्चों पर किए गए हमले में एक की मौत हो गई, जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। यह हादसा न केवल उस परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी बन गया है कि आवारा कुत्तों की समस्या अब जानलेवा रूप लेती जा रही है।
भाईयों पर कुत्ते का हमला
घटना में कुत्ते ने जिन बच्चों को निशाना बनाया वे दोनों सगे भाई थे। बड़ा भाई मात्र 6 वर्ष का था, जबकि छोटा भाई 4 साल का है। बच्चों पर उस समय हमला हुआ जब वे अपने घर के बाहर खेल रहे थे। अचानक एक खतरनाक आवारा कुत्ता उन पर टूट पड़ा और बेरहमी से काटना शुरू कर दिया। जब तक आसपास के लोग कुछ समझ पाते, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
एक की मौत, दूसरे की हालत गंभीर
कुत्ते के हमले में बड़ा भाई गंभीर रूप से घायल हो गया और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। उसकी मौत ने न केवल परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया, बल्कि स्थानीय लोगों को भी आक्रोशित कर दिया है। वहीं छोटा भाई भी बुरी तरह जख्मी हुआ है। उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है और उसे पहले आरा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में डॉक्टरों ने उसे पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (पीएमसीएच) रेफर कर दिया, जहां उसका इलाज चल रहा है।
स्थानीय प्रशासन और नगर निगम पर उठे सवाल
इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और नगर निगम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं। लोगों का कहना है कि शहर में आवारा कुत्तों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है, लेकिन नगर निगम इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। लोगों का गुस्सा इस बात को लेकर भी है कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं की गई है।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
घटना के बाद मोहल्ले में भारी तनाव का माहौल बन गया। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक आवारा कुत्तों को पकड़ने और उनके लिए अलग व्यवस्था करने की दिशा में काम नहीं किया जाएगा, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी। लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वे आंदोलन करेंगे।
बच्चों की सुरक्षा पर चिंता
यह घटना बच्चों की सुरक्षा को लेकर समाज और प्रशासन दोनों के लिए एक बड़ा सबक है। सार्वजनिक स्थानों पर बच्चों का सुरक्षित खेलना भी अब चुनौती बन गया है। यह जरूरी हो गया है कि प्रशासन न केवल आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के लिए अभियान चलाए, बल्कि लोगों को इस संबंध में जागरूक भी करे।
सरकार से मदद की गुहार
मृतक बच्चे के परिजनों ने सरकार से आर्थिक सहायता और घायल बच्चे के बेहतर इलाज की मांग की है। साथ ही उन्होंने यह भी अपील की है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए राज्य स्तर पर नीति बनाई जाए। यह दर्दनाक घटना न केवल एक मासूम की जान ले गई, बल्कि समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर कब तक लापरवाही की कीमत मासूम जिंदगियों को चुकानी पड़ेगी। प्रशासन को अब जागने की जरूरत है, ताकि भविष्य में कोई और परिवार इस तरह के हादसे का शिकार न हो।
