विधान परिषद चुनाव के लिए मुख्यमंत्री ने किया नामांकन, निर्विरोध होगा नीतीश का निर्वाचन

  • नीतीश लगातार चौथी बार बनेंगे बिहार विधान परिषद के सदस्य, 11 एमएलसी की सीटों पर चुनाव की प्रक्रिया शुरू

पटना। बिहार विधान परिषद की 11 सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए सीएम नीतीश कुमार ने मंगलवार नामांकन दाखिल कर दिया है। जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह के साथ नीतीश विधानसभा पहुंचे थे। इस दौरान जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, पूर्व मंत्री अशोक चौधरी, बिजेंद्र यादव समेत भारी तादाद में पार्टी कार्यकर्ता मौजूद रहे। इनके अलावा दोनों डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा भी मौजूद हैं। एमएलसी के लिए नीतीश कुमार का ये चौथी बार नामांकन है। और उनका निर्विरोध चुना जाना तय है। इसके अलावा जेडीयू की ओर से खालिद अनवर ने भी पर्चा दाखिल किया। एमएलसी की खाली हो रहीं 11 सीटों पर चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इन सीटों पर निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल मई में खत्म हो रहा है। जिन सदस्यों की सीटें खाली हो रही हैं। उनमें जदयू अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मंत्री संजय झा, खालिद अनवर, रामेश्वर महतो शामिल हैं। इनके अलावा राजद की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, और रामचंद्र पूर्वे। वहीं भाजपा से शाहनवाज हुसैन, मंगल पांडेय, संजय पासवान का नाम शामिल हैं। कांग्रेस से प्रेमचंद्र मिश्रा और हम सेक्युलर से संतोष कुमार सुमन की सीट खाली हो रही है। एमएलसी चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 11 मार्च है। लेकिन 7 मार्च को मुख्यमंत्री नीतीश इंग्लैंड के दौरे पर निकल रहे हैं। इसी के चलते उन्होने आज ही नामांकन कर दिया है। इससे पहले नीतीश 6 मार्च को पीएम मोदी के बेतिया दौरे में भी शामिल होंगे। नीतीश कुमार सात मार्च को इंग्लैंड के लिए रवाना होंगे। देश की सबसे बड़ी साइंस सिटी पटना में 17 एकड़ में बन रही है। इसके लिए इंग्लैंड में मुख्यमंत्री वहां के साइंस म्यूजियम को देखेंगे। पहले से ही प्रोग्राम बन रहा था, लेकिन पॉलिटिकल डेवलपमेंट हो गया, सदन की कार्यवाही शुरू हो गयी। आगे लोकसभा का चुनाव भी होने वाला है।
1985 में नीतीश कुमार ने जीता था पहला विधानसभा चुनाव
नीतीश कुमार सबसे लंबे समय तक बिहार के मुख्यमंत्री रहने वाले नेता हैं। उनका राजनीतिक सफर जय प्रकाश नारायण (जेपी) आंदोलन से शुरू हुआ था। नीतीश कुमार 1977 में सत्येंद्र नारायण सिन्हा की अध्यक्षता में वाली समता पार्टी में शामिल हुए। नीतीश ने पहली बार 1977 में हरनौत से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। इसके बाद 1980 के चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। आखिरकार नीतीश कुमार को विधानसभा चुनाव में पहली जीत 1985 में हरनौत से ही मिली।
नीतीश कुमार केंद्र सरकार में भी रहें मंत्री
1985 के बाद नीतीश कुमार ने कभी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा। उन्होंने अपना रुख केंद्रीय राजनीति की तरफ कर लिया। वर्ष 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की। वह वाजपेयी सरकार में पहले कृषि मंत्री और फिर रेल मंत्री भी रहें।
2000 में पहली बार सीएम बने नीतीश कुमार
नीतीश कुमार पहली बार 3 मार्च 2000 में बिहार के मुख्यमंत्री बने। हालांकि उनका यह कार्यकाल महज सात दिन का ही रहा था। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में जब एनडीए को हार मिली तो नीतीश कुमार ने एक बार फिर से अपना रुख राज्य की राजनीति की ओर कर लिया। उन्होंने बिहार में बढ़ रहे अपराध के विरुद्ध अभियान छेड़ दिया, जिसके फलस्वरूप 2005 में बिहार में एनडीए की सरकार बन गई और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री।
नीतीश कुमार लगातार चौथी बार बनेंगे बिहार विधान परिषद के सदस्य
2005 में जब बिहार में एनडीए की सरकार बनी तो नीतीश कुमार सांसद थे। उन्होंने सीएम बनने के बाद सांसदी से इस्तीफा दिया और विधान परिषद के सदस्य बन गए। 2006 में नीतीश पहली बार विधान परिषद के सदस्य बने। इसके बाद 2012 और 2018 में भी वो विधान परिषद के सदस्य बने। अब 2024 में वो लगातार चौती बार बिहार विधान परिषद के सदस्य बनेंगे।
इन सदस्यों का कार्यकाल हो रहा समाप्त
बिहार विधान परिषद के जिन सदस्यों का कार्यकाल छह मई 2024 को समाप्त हो रहा है उसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, खालिद अनवर, प्रेमचंद्र मिश्रा, मंगल पांडेय, विरोधी दल की नेता राबड़ी देवी, उप सभापति रामचंद्र पूर्वे, रामईश्वर महतो, संजय पासवान, सैयद शाहनवाज हुसैन, संजय कुमार झा और मंत्री संतोष कुमार सुमन के नाम शामिल हैं। इनमें संजय कुमार झा राज्यसभा के लिए निर्वाचित हो चुके हैं।

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