बिहार चुनाव में एनडीए और इंडिया के टेंशन बढ़ाएंगे चंद्रशेखर रावण, 100 सीटों पर लड़ने का किया ऐलान

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी अब और तेज हो गई है। अब तक जहां मुख्य मुकाबला एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच माना जा रहा था, वहीं अब इस मुकाबले में एक नया खिलाड़ी उतर आया है। उत्तर प्रदेश के भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी कांशीराम ने बिहार की 100 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दी है।
दलित वोट बैंक पर नजर
चंद्रशेखर आजाद की पार्टी की नजर बिहार के दलित वोट बैंक पर है, खासकर रविदास समाज पर। उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर आजाद को एक उभरते हुए दलित नेता के तौर पर देखा जाता है। अब वे उसी छवि के साथ बिहार में भी अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी का दावा है कि उसने 100 में से 60 सीटों पर विधानसभा प्रभारी भी नियुक्त कर दिए हैं और बाकी सीटों पर तैयारी अंतिम दौर में है।
महागठबंधन के लिए बढ़ सकती है मुश्किल
आजाद समाज पार्टी का दावा है कि जिन 100 सीटों पर वह चुनाव लड़ेगी, उनमें से 46 सीटों पर सीधा मुकाबला महागठबंधन से होगा। पार्टी के नेता जौहर आजाद ने कहा कि महागठबंधन सभी वर्गों को साथ लेकर नहीं चल रहा है, जिससे जनता में असंतोष है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर चंद्रशेखर आजाद रविदास समाज के कुछ हिस्से को भी अपने पक्ष में करने में सफल होते हैं तो इसका नुकसान सीधे तौर पर महागठबंधन को हो सकता है, खासकर आरजेडी को।
एनडीए को सीधा नुकसान नहीं
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार एनडीए को आजाद समाज पार्टी के चुनाव लड़ने से सीधा नुकसान नहीं होगा। पासवान वोटर और रविदास वोटर आमतौर पर अलग-अलग ध्रुव पर रहते हैं। पासवान वोटर पर एनडीए की पकड़ मजबूत है और चिराग पासवान दलित राजनीति में खुद को एक बड़े नेता के रूप में स्थापित कर चुके हैं। लोजपा (रामविलास) के प्रवक्ता शशि भूषण प्रसाद ने भी कहा कि लोकतंत्र में सभी को चुनाव लड़ने का अधिकार है लेकिन चिराग पासवान के नेतृत्व में दलित समाज एनडीए के साथ मजबूती से खड़ा है।
छोटे वोट प्रतिशत का बड़ा असर
चंद्रशेखर आजाद यूपी की तरह बिहार में भी मायावती के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश करेंगे। रविदास समाज अब तक मायावती या भाकपा (माले) के समर्थन में देखा जाता था। अगर आजाद समाज पार्टी इस समाज के 500 से 1000 वोट भी काट ले जाती है तो कई सीटों पर समीकरण बदल सकते हैं। बिहार में अक्सर बहुत कम वोटों से सीटों का फैसला होता है, ऐसे में यह वोट शिफ्ट महागठबंधन के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
राष्ट्रीय अधिवेशन में बनेगी रणनीति
आजाद समाज पार्टी ने घोषणा की है कि 21 जुलाई को पटना में पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित होगा। इसमें चंद्रशेखर आजाद खुद शामिल होंगे और बिहार चुनाव के लिए पार्टी की अंतिम रणनीति बनाएंगे। इस अधिवेशन में उम्मीदवारों की सूची और क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर पार्टी का दृष्टिकोण सामने आएगा।
कड़ी टक्कर के संकेत
बिहार में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच मुकाबला पहले ही रोचक माना जा रहा था। अब चंद्रशेखर आजाद के मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है। इससे सीटों पर जीत-हार का अंतर बहुत कम हो सकता है। ऐसे में छोटे वोट प्रतिशत भी निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। चुनाव पर नजर रखने वाले विश्लेषक मानते हैं कि अगर आजाद समाज पार्टी अपने संगठन को बूथ स्तर तक सक्रिय रख पाती है तो वह कुछ सीटों पर कड़ी चुनौती दे सकती है। हालांकि यह देखना होगा कि बिहार की जमीनी राजनीति में यूपी की तर्ज पर चंद्रशेखर आजाद कितने असरदार साबित होते हैं। आने वाले दिनों में आजाद समाज पार्टी की गतिविधियां और घोषणाएं यह तय करेंगी कि बिहार चुनाव के इस मुकाबले में उसका कितना असर होगा। फिलहाल इतना तय है कि चंद्रशेखर आजाद की एंट्री ने महागठबंधन के लिए नए सियासी समीकरण जरूर खड़े कर दिए हैं।
