कटिहार में करंट लगने से 28 मवेशियों की तड़प-तड़पकर मौत, लोगों ने सड़क जाम कर किया हंगामा
कटिहार। बिहार के कटिहार जिले में शनिवार सुबह एक ऐसा हादसा हुआ जिसने पूरे क्षेत्र को दहला दिया। कोढ़ा थाना क्षेत्र के मूसापुर गाँव में अचानक हाईवोल्टेज तार टूटकर नीचे गिर पड़ा और देखते ही देखते 28 मवेशियों की मौत हो गई। यह घटना इतनी भयावह थी कि पूरे गाँव में मातम का माहौल छा गया। किसानों के लिए यह सिर्फ मवेशियों की मौत नहीं थी, बल्कि उनकी रोज़ी-रोटी पर गहरा प्रहार था।
नहर किनारे चर रहे थे मवेशी
ग्रामीणों के अनुसार सुबह के समय मवेशी नहर किनारे चर रहे थे। इसी दौरान अचानक हाईवोल्टेज तार टूटकर जमीन पर आ गिरा। तार गिरते ही बिजली पूरे इलाके में फैल गई और पास में मौजूद मवेशी एक-एक कर गिरने लगे। कुछ ही मिनटों में 28 मवेशी तड़पते हुए मौके पर ही दम तोड़ गए। इस दृश्य को देखकर गाँव में चीख-पुकार मच गई और लोग अपने मवेशियों को पकड़कर रोने-बिलखने लगे।
किसानों की रोज़ी-रोटी पर संकट
ग्रामीण समाज में मवेशियों का महत्व केवल पशुधन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह किसानों की आय और जीवन का अहम हिस्सा हैं। दूध उत्पादन, खेती और अन्य घरेलू ज़रूरतें इन्हीं मवेशियों से पूरी होती हैं। ऐसे में एक साथ 28 मवेशियों की मौत ने किसानों को गहरे संकट में धकेल दिया है। कई परिवारों की जीविका एक झटके में छिन गई और उनकी मेहनत का आधार टूट गया।
ग्रामीणों का आरोप
गाँव वालों का आरोप है कि यह घटना प्राकृतिक नहीं, बल्कि बिजली विभाग की लापरवाही का नतीजा है। उन्होंने बताया कि लंबे समय से तार जर्जर अवस्था में लटका हुआ था। कई बार विभाग को इसकी जानकारी दी गई थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। अगर समय रहते तार की मरम्मत कर दी जाती, तो शायद यह दुर्घटना टल सकती थी। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी अनदेखी का खामियाजा बेगुनाह मवेशियों की जान देकर चुकाना पड़ा।
गुस्से में उतरे लोग
हादसे के बाद ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। बड़ी संख्या में लोग सड़क पर उतर आए और राष्ट्रीय राजमार्ग-31 को जाम कर दिया। सैकड़ों की भीड़ ने बिजली विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उनका कहना था कि जब तक मवेशियों के मालिकों को मुआवज़ा नहीं मिलेगा और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक वे सड़क खाली नहीं करेंगे।
मुआवज़े की मांग
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांग थी कि जिन किसानों के मवेशी मरे हैं, उन्हें तुरंत आर्थिक मदद दी जाए। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए और उनकी लापरवाही पर सख्त कार्रवाई हो। लोगों का कहना था कि अगर ऐसी घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया गया तो आगे भी इस तरह के हादसे होते रहेंगे और ग्रामीण हमेशा नुकसान झेलते रहेंगे।
प्रशासन की कोशिशें
जैसे ही घटना और सड़क जाम की जानकारी प्रशासन को मिली, पुलिस और अधिकारी मौके पर पहुँचे। उन्होंने लोगों को समझाने की कोशिश की और शांत करने के प्रयास किए। प्रशासन ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि मामले की जांच कराई जाएगी और पीड़ितों को हरसंभव मदद दी जाएगी। अधिकारियों ने कहा कि दोषियों की पहचान की जाएगी और किसानों को मुआवज़ा दिलाने की प्रक्रिया पर भी काम होगा।
बिजली विभाग पर सवाल
यह हादसा बिजली विभाग की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग केवल बिल वसूली में सक्रिय रहता है, लेकिन मरम्मत और सुरक्षा उपायों पर ध्यान नहीं देता। अगर समय रहते तारों की हालत की जाँच की जाती और उन्हें दुरुस्त किया जाता, तो यह त्रासदी नहीं घटती। यह घटना याद दिलाती है कि बिजली की लापरवाही केवल आर्थिक नुकसान ही नहीं पहुँचाती, बल्कि जानलेवा भी हो सकती है।
गाँव में मातम का माहौल
हादसे के बाद मूसापुर गाँव में हर तरफ ग़म का साया है। किसान अपने मवेशियों को खोने का दर्द सहन नहीं कर पा रहे हैं। जिन परिवारों ने वर्षों की मेहनत से मवेशी पाले थे, उनके लिए यह किसी कत्लेआम से कम नहीं है। कई किसान अपने घरों के बाहर मरे हुए मवेशियों के पास बैठकर रोते-बिलखते देखे गए। कटिहार की यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि लापरवाही कितनी बड़ी त्रासदी का कारण बन सकती है। 28 मवेशियों की मौत न केवल किसानों के जीवन पर गहरा असर डालती है, बल्कि यह प्रशासन और बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा करती है। अब प्रशासन ने जांच और मुआवज़े का आश्वासन तो दिया है, लेकिन असली न्याय तभी होगा जब दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ। यह हादसा चेतावनी है कि सुरक्षा और रखरखाव की अनदेखी ग्रामीण जीवन को कितना गहरा नुकसान पहुँचा सकती है।


