केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा जातिगत जनगणना कराने का फैसला सामाजिक न्याय की जीत है: अरुण यादव

पटना। राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता अरुण कुमार यादव ने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा जातिगत जनगणना कराने के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद जी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव जी के संघर्षों की जीत है। सामाजिक न्याय और समाजवाद की जीत है। जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते लालू प्रसाद जी के प्रयास से संयुक्त मोर्चा की केंद्र सरकार ने 1996-97 में कैबिनेट से 2001 की जनगणना में जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया था जिस पर बाद में NDA की वाजपेयी सरकार ने अमल नहीं किया। देश में जातिगत जनगणना कराने की मांग को लेकर पिछले कई वर्षों से लगातार राजद प्रमुख लालू प्रसाद जी और तेजस्वी यादव जी सड़क से लेकर सदन तक संघर्षरत रहे। राजद प्रवक्ता ने कहा कि जातिगत जनगणना की मांग करने पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद जी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जी को जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला है। आज भाजपा-संघ को भी लालू प्रसाद जी और तेजस्वी जी के एजेंडे को स्वीकार करना पड़ा। केंद्र सरकार ने प्रथम दृष्टया में माना है कि जातिगत जनगणना देश की जरूरत है। राजद प्रवक्ता ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जी के नेतृत्व में राजद का संघर्ष जारी तबतक जारी रहेगा जबतक पिछड़ों/अति पिछड़ों के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र नहीं हो जाता। निजी क्षेत्र में आरक्षण, ठेकेदारी में आरक्षण और न्यायपालिका में आरक्षण की व्यवस्था लागू नहीं हो जाता है। मंडल कमीशन की शेष सिफारिशों को लागू नहीं हो जाता। आबादी के अनुपात में आरक्षण नहीं लागू हो जाता। राजद प्रवक्ता ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जी के 17 माह के सेवाकाल में महागठबंधन सरकार द्वारा बिहार में बढ़ायी गई 65% आरक्षण सीमा को रोक देने से अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ा-अतिपिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को 16% आरक्षण का सीधा नुकसान हो रहा है जिससे इन वर्गों के 50,000 से अधिक युवाओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। इसके लिए पूरी तरह केंद्र और राज्य की सरकार दोषी है। इन सभी मुद्दों को लेकर राजद का संघर्ष जारी रहेगा।

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