प्रदेश में स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड लोन लेकर 55 हज़ार अभ्यर्थी गायब, नोटिस जारी, मुकदमा दर्ज करने का आदेश

पटना। बिहार सरकार द्वारा युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने हेतु शुरू की गई “स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना” अब खुद सवालों के घेरे में है। इस योजना के तहत बड़ी संख्या में छात्रों ने शिक्षा ऋण लिया, लेकिन अब लगभग 55 हजार अभ्यर्थी ऐसे पाए गए हैं जो ऋण लेने के बाद गायब हो गए हैं और न तो उन्होंने ऋण चुकाया है और न ही योजना के किसी शर्त का पालन किया है। इससे राज्य सरकार की वित्तीय और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
शिक्षा ऋण की समीक्षा में खुलासा
बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम द्वारा हाल ही में की गई समीक्षा में यह तथ्य सामने आया कि कुल 60,722 अभ्यर्थियों की सूची भेजी गई थी, जिनमें से मात्र 5,737 छात्रों ने या तो शपथपत्र दिया या किस्त भुगतान की प्रक्रिया शुरू की। इसका मतलब है कि शेष लगभग 55 हजार अभ्यर्थियों ने कोई जवाब नहीं दिया और ऋण की अदायगी से पूरी तरह पीछे हट गए। इससे यह स्पष्ट होता है कि योजना का एक बड़ा वर्ग अनुचित तरीके से लाभ उठाकर सरकार और बैंक दोनों को आर्थिक नुकसान पहुँचा रहा है।
नीलामपत्र और नोटिस की स्थिति
राज्य भर में 11,850 अभ्यर्थियों को अब तक नोटिस भेजे जा चुके हैं जबकि 27,258 पर नीलामपत्र दायर किया गया है। हालांकि अभी भी 27,277 ऐसे अभ्यर्थी बचे हैं जिन पर कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं की गई है। इसका अर्थ है कि इन पर या तो न नीलाम वाद दायर हुआ है और न ही नोटिस भेजा गया है, जिससे शासन की निष्क्रियता और लचर प्रणाली का संकेत मिलता है।
पटना और समस्तीपुर की स्थिति
पटना और समस्तीपुर ऐसे जिले हैं जहां सबसे अधिक छात्र ऋण लेकर गायब हुए हैं। पटना में 4374 अभ्यर्थियों के खिलाफ नीलाम वाद दायर करने का निर्देश दिया गया, लेकिन केवल 1733 पर ही यह वाद दायर किया जा सका। हैरानी की बात यह है कि अब तक एक भी अभ्यर्थी को नोटिस तक नहीं भेजा गया है। समस्तीपुर में 2498 अभ्यर्थियों की सूची भेजी गई, जिसमें से 1358 पर वाद दायर हुआ और 540 को नोटिस भेजा गया। बावजूद इसके, 804 अभ्यर्थी अब भी कार्रवाई से बाहर हैं।
गया और दरभंगा जैसे जिलों में राहत की स्थिति
राज्य के कुछ जिले जैसे गया और दरभंगा में स्थिति तुलनात्मक रूप से थोड़ी बेहतर है। गया के 2494 में से 429 अभ्यर्थियों ने या तो शपथपत्र दिया या किस्त का भुगतान किया। इसी तरह दरभंगा में 1459 में से 524 छात्रों ने जवाबदारी दिखाई। हालांकि इन जिलों में भी सैकड़ों मामलों में अब तक कोई भी नीलामी वाद दर्ज नहीं हो सका है।
प्रशासन की भूमिका और कार्रवाई के निर्देश
बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी मीनेन्द्र कुमार ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट निर्देश दिया है कि बचे हुए सभी अभ्यर्थियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए। 18 जुलाई तक की स्थिति की समीक्षा के आधार पर संबंधित अधिकारियों को रिपोर्ट प्रस्तुत करने और जल्द से जल्द नोटिस जारी करने का आदेश दिया गया है।
योजना के उद्देश्य और हकीकत
स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का मुख्य उद्देश्य था कि कोई भी छात्र सिर्फ आर्थिक कमी के कारण उच्च शिक्षा से वंचित न रह जाए। लेकिन वर्तमान स्थिति यह दर्शाती है कि न सिर्फ योजना की निगरानी में चूक हुई है, बल्कि छात्रों में भी जिम्मेदारी की भावना की कमी दिख रही है। यह मामला अब एक सामाजिक और प्रशासनिक चुनौती बन गया है, जिसका समाधान सख्त निगरानी, पारदर्शिता और जवाबदेही के जरिए ही संभव है। बिहार में शिक्षा ऋण को लेकर उत्पन्न यह संकट न केवल सरकारी संसाधनों की बर्बादी है बल्कि यह युवाओं के बीच गलत प्रवृत्तियों को भी जन्म दे सकता है। अब जरूरत है कि इस पूरे तंत्र की पुनर्रचना की जाए और दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तव में जरूरतमंदों तक पहुंच सके।
