पटना में नीट एग्जाम से पहले अभ्यर्थी ने की आत्महत्या, तनाव में आकर लगाई फांसी

पटना। पटना में मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट से ठीक पहले एक दर्दनाक घटना सामने आई है। शुक्रवार रात को एक छात्र ने खुदकुशी कर ली। यह घटना गांधी मैदान थाना क्षेत्र के सालिमपुर अहरा रोड स्थित सविता कुंज लॉज में हुई, जहां 20 वर्षीय विवेक मंडल अपनी बहन के साथ किराए पर रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था।
मृतक छात्र की पहचान और पारिवारिक पृष्ठभूमि
विवेक मंडल मूल रूप से बिहार के मधुबनी जिले के भोलापुर गांव का रहने वाला था। वह अपने पिता राजकुमार मंडल का इकलौता बेटा था और उसकी तीन बहनें हैं। फिलहाल वह पटना में अपनी बहन के साथ रहकर नीट की तैयारी कर रहा था। उसकी बहन भी कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि दोनों भाई-बहन मिलकर अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए संघर्षरत थे।
बहन के लौटने पर हुआ खुलासा
घटना के वक्त विवेक की बहन लाइब्रेरी गई हुई थी। जब वह देर रात लौटी, तो कमरे में भाई को पंखे से फंदा लगाए हुए देखकर सदमे में आ गई। उसने तुरंत मकान मालिक और स्थानीय लोगों को सूचना दी। इसके बाद पुलिस को बुलाया गया। शनिवार की सुबह पुलिस ने शव को फंदे से उतारकर पोस्टमॉर्टम के लिए पीएमसीएच भेज दिया। पुलिस द्वारा प्रारंभिक जांच के अनुसार छात्र डिप्रेशन में था और परीक्षा को लेकर अत्यधिक दबाव में था।
परिजनों ने बताया तनाव का कारण
मृतक के चाचा अरुण कुमार ने बताया कि विवेक परीक्षा को लेकर मानसिक दबाव में था। उन्हें किसी तरह की साजिश की आशंका नहीं है। उनका कहना है कि विवेक पढ़ाई को लेकर काफी गंभीर था और नीट परीक्षा को लेकर उस पर बहुत अधिक मानसिक तनाव था। इस तनाव ने उसे यह कठोर कदम उठाने को मजबूर कर दिया।
पुलिस कर रही है जांच
गांधी मैदान थाना प्रभारी राजेश कुमार ने बताया कि मृतक और उसकी बहन लॉज में साथ रहते थे। बहन के लाइब्रेरी जाने के दौरान यह घटना घटी। उन्होंने यह भी बताया कि परिवार के लोगों और आस-पास के लोगों से पूछताछ की जा रही है ताकि किसी और कारण की भी जांच की जा सके। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट है कि आत्महत्या का मुख्य कारण परीक्षा से जुड़ा मानसिक दबाव ही है।
नीट परीक्षा से पहले की गई थी तैयारियां
गौरतलब है कि 4 मई को नीट यूजी 2025 की परीक्षा होनी है, जिसमें इस बार करीब 23 लाख छात्र हिस्सा ले रहे हैं। 30 अप्रैल को ही एडमिट कार्ड जारी किए गए थे और एनटीए ने परीक्षा को लेकर कई दिशानिर्देश भी जारी किए थे। यह परीक्षा छात्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन इसके साथ जुड़ा मानसिक तनाव कई बार घातक साबित हो जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता
यह घटना एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के तनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए। छात्रों को न केवल शैक्षणिक सहयोग की आवश्यकता होती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक समर्थन भी उतना ही जरूरी है। परिवार, शिक्षक और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई छात्र दबाव में आकर अपनी जिंदगी न गंवाए।
