मुख्यमंत्री ने आज बुलाई कैबिनेट की बैठक, सफाई कर्मचारी आयोग समेत कई प्रस्ताव के फैसलों पर लगेगी मुहर

पटना। बिहार की राजनीति में मंगलवार सुबह एक बार फिर हलचल देखी गई जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्य सचिवालय के कैबिनेट हॉल में एक अहम बैठक बुलाई। यह बैठक कई मायनों में खास मानी जा रही है, क्योंकि इसमें कुछ ऐसे प्रस्तावों पर मुहर लगने की संभावना जताई जा रही है जो सीधे तौर पर आम जनता और विशेष वर्गों से जुड़े हैं। इसके साथ ही यह बैठक राज्य सरकार की आगामी चुनावी रणनीति का संकेत भी देती है।
पत्रकारों की पेंशन में बढ़ोतरी का प्रस्ताव
इस बैठक में पत्रकारों की पेंशन राशि को वर्तमान 6000 रुपये से बढ़ाकर 15000 रुपये किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है। अगर इस पर स्वीकृति मिलती है तो राज्य के पत्रकारों के लिए यह एक बड़ी राहत साबित होगी। पत्रकार लंबे समय से पेंशन राशि में वृद्धि की मांग कर रहे थे और सरकार के इस कदम को उनके प्रति एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
सफाई कर्मचारी आयोग का गठन
एक अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव बिहार राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के गठन से जुड़ा हुआ है। लंबे समय से सफाई कर्मचारियों के हितों और उनकी समस्याओं को लेकर आवाज उठाई जा रही थी। इस प्रस्ताव पर मुहर लगती है तो यह साफ-सफाई और नगर निकायों से जुड़े लाखों कर्मचारियों के लिए एक बड़ी जीत मानी जाएगी। आयोग के माध्यम से इनके अधिकारों की रक्षा और शिकायतों का समाधान तेज़ी से संभव हो सकेगा।
चुनावी दृष्टिकोण से कैबिनेट के फैसले
नीतीश कुमार की यह बैठक विधानमंडल सत्र के बाद बुलाई गई है, जब सरकार पर ठोस फैसले लेने का दबाव बढ़ गया है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह बैठक सिर्फ प्रशासनिक नहीं बल्कि रणनीतिक रूप से भी बेहद अहम है। मुख्यमंत्री पहले ही 15 और 18 जुलाई को दो बड़ी बैठकों में 30 से अधिक अहम एजेंडों को मंजूरी दे चुके हैं। इनमें एक करोड़ रोजगार, कोसी परियोजना, बीएलओ को विशेष मानदेय, पटना मेट्रो की देखरेख और 125 यूनिट फ्री बिजली जैसी योजनाएं शामिल थीं।
सभी वर्गों को साधने की कोशिश
इस ताज़ा बैठक को सरकार की “सर्वसमावेशी नीति” का हिस्सा माना जा रहा है। पत्रकार, सफाईकर्मी, किसान, युवा—हर वर्ग को ध्यान में रखकर फैसले लिए जा रहे हैं। इन नीतियों के पीछे सरकार की यह रणनीति साफ दिखाई देती है कि जनता के सभी तबकों तक लाभ पहुंचाया जाए ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में वोट बैंक को मजबूती मिल सके।
राजनीतिक विश्लेषण और जनप्रतिक्रिया
सरकार के इन फैसलों पर विपक्ष भले ही सवाल उठाए, लेकिन जनता के बीच इन योजनाओं की सराहना भी हो रही है। खासकर मध्यम वर्ग, कर्मचारी वर्ग और शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए ये घोषणाएं राहत का सबब बन रही हैं। वहीं, ग्रामीण इलाकों के लिए रोजगार और बिजली योजना जैसी घोषणाएं अहम साबित हो सकती हैं। नीतीश कुमार की यह कैबिनेट बैठक केवल प्रशासनिक फैसलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सोच-समझकर बनाई गई चुनावी रणनीति का हिस्सा है। पत्रकारों की पेंशन में वृद्धि और सफाई कर्मचारी आयोग का गठन जैसे फैसले यह दर्शाते हैं कि सरकार हर वर्ग को साधने की कोशिश में जुटी है। अब सबकी निगाहें बैठक के बाद जारी होने वाले आदेशों पर टिकी हैं, क्योंकि यही फैसले 2025 की चुनावी पटकथा में सरकार के लिए ‘फुल टॉस’ बन सकते हैं।
