बिहार के स्कूली बच्चों को इस महीने के अंत तक मिलेगी किताबें, शिक्षा मंत्री ने दी जानकारी

पटना। बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के लिए एक राहत की खबर आई है। शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने हाल ही में जानकारी दी है कि इस महीने के अंत तक राज्य के सभी शेष विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध करा दी जाएंगी। राज्य सरकार की ओर से इसे एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि लंबे समय से किताबों की अनुपलब्धता के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी।
शेष 7.92 लाख विद्यार्थियों को किताबें बांटने की तैयारी
शिक्षा मंत्री ने बताया कि अब केवल 7.92 लाख विद्यार्थियों को ही किताबें बांटी जानी हैं। इससे पहले राज्य के लगभग सभी जिलों में जिला शिक्षा पदाधिकारियों की देखरेख में किताबों का वितरण पूरा किया जा चुका है। इस प्रक्रिया में कुछ तकनीकी अड़चनों और वितरण व्यवस्था में कमी के कारण अब तक कुछ बच्चों को किताबें नहीं मिल सकी थीं।
समुचित निगरानी के अभाव में हुई देरी
गौरतलब है कि शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 की शुरुआत में ही यह आदेश जारी कर दिया था कि कक्षा एक से आठ तक के सभी बच्चों को 2 मई 2025 तक किताबें उपलब्ध करा दी जाएं। लेकिन निगरानी की कमी और वितरण तंत्र में खामियों के चलते यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। इसके कारण लगभग 26 लाख बच्चों को समय पर किताबें नहीं मिल पाईं।
पुस्तक निगम ने निभाई अहम भूमिका
शिक्षा विभाग ने जिलों से किताबों की आवश्यकता संबंधी जानकारी जुटाकर बिहार पाठ्यपुस्तक निगम को भेजी थी। निगम ने भी तेजी से कार्य करते हुए किताबों की छपाई और वितरण की योजना बनाई। अब आखिरी चरण में बचे हुए बच्चों तक किताबें पहुंचाने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
बच्चों की पढ़ाई में आई बाधा
किताबों की कमी का असर बच्चों की पढ़ाई पर साफ दिखा है। ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरों के स्कूलों तक, शिक्षक और अभिभावक दोनों ही इस बात को लेकर चिंतित थे कि किताबें न होने से बच्चे पाठ्यक्रम में पिछड़ जाएंगे। कई स्कूलों में बच्चों को पुरानी किताबों से काम चलाना पड़ा। कहीं-कहीं शिक्षक अपनी तरफ से नोट्स और फोटोकॉपी के माध्यम से पढ़ाई करा रहे थे।
अभिभावकों की चिंता दूर होने की उम्मीद
अब जब शिक्षा मंत्री ने खुद किताबें देने की अंतिम तिथि की घोषणा की है, तो अभिभावकों ने राहत की सांस ली है। माता-पिता का कहना है कि समय पर किताबें मिलने से बच्चों की पढ़ाई फिर से पटरी पर लौट सकेगी। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चों के परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हैं और निजी तौर पर किताबें खरीद पाना उनके लिए मुश्किल है।
किताब वितरण की निगरानी होगी सख्त
इस बार शिक्षा विभाग ने दावा किया है कि किताबों के वितरण में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती जाएगी। जिला शिक्षा पदाधिकारियों को विशेष निर्देश दिए गए हैं कि वे सुनिश्चित करें कि कोई भी बच्चा किताबों से वंचित न रहे। साथ ही, जरूरत पड़ने पर स्कूलों में कैंप लगाकर किताबें वितरित की जाएंगी।
शिक्षा की गुणवत्ता पर होगा असर
विशेषज्ञों का मानना है कि किताबों की अनुपलब्धता से बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ता है। बच्चों के सीखने की गति धीमी हो जाती है और शिक्षक भी पाठ्यक्रम को ठीक से कवर नहीं कर पाते। किताबें मिलने के बाद पढ़ाई की रफ्तार तेज होगी और बच्चों को भी समय पर परीक्षा की तैयारी करने में आसानी होगी।
सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा
बिहार सरकार ने इस साल शिक्षा को प्राथमिकता देने की बात कही है। किताब वितरण के अलावा स्कूलों में आधारभूत संरचनाओं को मजबूत करने, शिक्षकों की नियुक्ति और प्रशिक्षण जैसे कई कदम उठाए जा रहे हैं। शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि अगले सत्र से किताबों के वितरण में कोई देरी न हो, इसके लिए अभी से तैयारी की जाएगी।
आशा की किरण
अंत में यह उम्मीद जताई जा रही है कि किताबों के समय पर वितरण से राज्य के लाखों बच्चों को पढ़ाई में मजबूती मिलेगी और बिहार शिक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा में आगे बढ़ सकेगा। सरकार, अधिकारी और शिक्षक अगर मिलकर काम करें तो आने वाले वर्षों में किताबों की कमी की समस्या इतिहास बन सकती है।

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