आरा में गंगा में डूबे युवक शव बरामद, स्नान के दौरान हुआ था हादसा, परिवार में कोहराम

आरा। जिले में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां गंगा नदी में डूबे युवक का शव दूसरे दिन बरामद किया गया। यह हादसा भोजपुर जिले के सिन्हा थाना क्षेत्र अंतर्गत महुली घाट के पास हुआ, जहां संतोष कुमार चौधरी नामक युवक स्नान करते समय गहरे पानी में चला गया और डूब गया। शव मिलने के बाद इलाके में शोक और सनसनी का माहौल बन गया।
दाह संस्कार में शामिल होने गया था युवक
मृतक की पहचान टाउन थाना क्षेत्र के वलीगंज वार्ड संख्या 29 निवासी स्वर्गीय जयराम चौधरी के पुत्र संतोष कुमार चौधरी के रूप में हुई है। वह पेशे से बिजली मिस्त्री था और उम्र लगभग 30 वर्ष थी। जानकारी के अनुसार, गुरुवार को संतोष अपने मित्र निशु साह की मां के निधन पर उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए महुली घाट गया था। दाह संस्कार के बाद जब वह घाट पर स्नान कर रहा था, तभी अचानक गहरे पानी में चला गया और डूब गया।
स्थानीय लोगों ने दी सूचना, शुरू हुई खोजबीन
घटना के तुरंत बाद वहां मौजूद लोगों ने शोर मचाया और परिजनों को इस दुर्घटना की जानकारी दी। परिजन मौके पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीम को बुलाया। टीम ने गुरुवार की शाम तक युवक की खोजबीन की लेकिन सफलता नहीं मिल पाई।
एसडीआरएफ की मेहनत से शव बरामद
शुक्रवार को भी एसडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रखा और काफी मशक्कत के बाद शाम को युवक का शव गंगा नदी से बरामद किया गया। शव मिलने के बाद पुलिस ने उसे पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा, जहां कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई।
परिवार में पसरा मातम, रो-रोकर बेहाल मां
घटना के बाद से मृतक के घर में मातम पसरा हुआ है। संतोष कुमार चौधरी अपने परिवार में सबसे छोटा था। उसके चार बड़े भाई – राजेश चौधरी, विनोद चौधरी, मुनमुन चौधरी और प्रमोद चौधरी हैं तथा एक बहन माया देवी है। संतोष की मां और अन्य परिजन अपने बेटे की असामयिक मौत से सदमे में हैं और उनका रो-रोकर बुरा हाल है। पूरे मुहल्ले में शोक की लहर दौड़ गई है।
समाज में सुरक्षा को लेकर बढ़ी चिंता
यह घटना न सिर्फ एक व्यक्तिगत नुकसान है, बल्कि समाज के लिए भी चिंता का विषय बन गई है। गंगा घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था की कमी को लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल इस तरह की घटनाएं होती हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर घाटों पर चेतावनी बोर्ड या लाइफगार्ड की नियुक्ति नहीं होती। लोगों ने मांग की है कि घाटों पर निगरानी व्यवस्था सुदृढ़ की जाए ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके। महुली घाट पर हुई यह दुखद घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि सार्वजनिक स्थलों, विशेष रूप से नदियों और घाटों पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं होते। संतोष की असमय मौत न केवल एक परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है, बल्कि यह प्रशासन के लिए एक चेतावनी भी है कि समय रहते आवश्यक कदम उठाए जाएं, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं टाली जा सकें।
