बिहार चुनाव के लिए बीजेपी की पहली लिस्ट जारी, सम्राट चौधरी समेत 71 को टिकट, पार्टी ने काटा विधानसभा अध्यक्ष का टिकट
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी सरगर्मी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी पहली उम्मीदवार सूची जारी कर दी, जिसमें 71 प्रत्याशियों के नाम शामिल हैं। इस सूची को लेकर पार्टी के भीतर और बाहर दोनों ही स्तर पर हलचल मच गई है। जहां कुछ नेताओं को दोबारा मौका मिला है, वहीं कई पुराने चेहरों का टिकट काट दिया गया है। सबसे बड़ा नाम विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव का है, जिन्हें इस बार टिकट नहीं दिया गया।
पहली सूची में 71 प्रत्याशी, कई दिग्गजों को मिला मौका
बीजेपी की पहली सूची में कुल 71 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। इस सूची में पार्टी ने अपने कई वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं पर भरोसा जताया है। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को तारापुर सीट से मैदान में उतारा गया है, जबकि दूसरे डिप्टी सीएम विजय सिन्हा को लखीसराय से टिकट दिया गया है। इसके अलावा मंत्री मंगल पांडे, नीतीश मिश्रा, नीरज कुमार बबलू, जीवेश मिश्रा, राजू सिंह, कृष्ण कुमार मंटू, सुरेंद्र मेहता, डॉ. सुनील कुमार, संजय सरावगी, नितिन नवीन और डॉ. प्रेम कुमार जैसे नाम भी सूची में शामिल हैं। इन सभी नेताओं का राजनीतिक अनुभव और संगठनात्मक पकड़ पार्टी के लिए अहम मानी जा रही है। बीजेपी ने इस बार उम्मीदवार चयन में सामाजिक समीकरणों और स्थानीय जनाधार को प्राथमिकता दी है ताकि हर क्षेत्र में मजबूत मुकाबला पेश किया जा सके।
विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव का टिकट कटा
इस सूची में सबसे चौंकाने वाला नाम विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव का है, जिन्हें टिकट नहीं दिया गया। नंदकिशोर यादव पटना शहर के वरिष्ठ नेता हैं और कई बार विधायक रह चुके हैं। उनका टिकट कटना पार्टी के अंदर बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी इस बार नई पीढ़ी को आगे लाने और संगठन में ताजगी लाने की रणनीति पर काम कर रही है।
2020 की तुलना में कम सीटों पर लड़ेगी बीजेपी
2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से उसे 74 सीटों पर जीत मिली थी। इस बार पार्टी ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यानी कि पिछली बार की तुलना में नौ सीटें कम होंगी। सीटों की संख्या घटने का कारण एनडीए के भीतर सीट बंटवारे की नई व्यवस्था बताई जा रही है। वर्तमान में बिहार विधानसभा में बीजेपी के 80 विधायक हैं। पार्टी का दावा है कि इस बार वह न केवल सत्ता में वापसी करेगी, बल्कि पिछली बार से अधिक सीटें जीतकर नया इतिहास बनाएगी।
उम्मीदवार चयन में सामाजिक और जातीय समीकरणों पर जोर
बीजेपी ने इस बार टिकट वितरण में सामाजिक और जातीय संतुलन का विशेष ध्यान रखा है। हर सीट पर जातीय गणित, पिछले चुनावी नतीजों और उम्मीदवार की लोकप्रियता का गहन विश्लेषण किया गया। पार्टी के रणनीतिकारों ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि एनडीए गठबंधन की हर सीट पर मुकाबला मजबूत हो और विपक्ष को कोई अवसर न मिल सके। विशेष रूप से सवर्ण, पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा और दलित समुदाय के नेताओं को संतुलित प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है। पार्टी का उद्देश्य स्पष्ट है — सामाजिक समरसता और व्यापक जनाधार के सहारे जीत की राह आसान बनाना।
सीट शेयरिंग पर कई दौर की बैठकें
बीजेपी ने इस बार भी एनडीए में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सीट बंटवारे की प्रक्रिया की अगुआई की। घटक दलों — जनता दल (यूनाइटेड), हम (हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के साथ कई दौर की बैठकों के बाद सीट बंटवारे का फार्मूला तय किया गया। प्रत्येक दल को उसके संगठन की ताकत और क्षेत्रीय प्रभाव के अनुसार सीटें दी गईं। इस बीच कुछ सीटों को लेकर मतभेद भी उभरे, लेकिन अंततः सभी सहयोगी दलों ने साझा फार्मूले पर सहमति जता दी। बीजेपी नेतृत्व ने इस प्रक्रिया में संतुलन बनाए रखने पर विशेष ध्यान दिया ताकि गठबंधन में किसी प्रकार की नाराजगी न उत्पन्न हो।
संगठन और नेतृत्व पर बीजेपी का भरोसा
बीजेपी ने अपने उम्मीदवार चयन में संगठन के निचले स्तर की सिफारिशों को प्राथमिकता दी। पार्टी ने बूथ से लेकर जिला स्तर तक के कार्यकर्ताओं से राय ली और सर्वे रिपोर्ट के आधार पर उम्मीदवार तय किए। यही कारण है कि इस बार कई नए चेहरे भी मैदान में उतरेंगे, जिनका स्थानीय स्तर पर मजबूत जनसंपर्क और कार्यकर्ता नेटवर्क है। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा की दोहरी भूमिका भी इस चुनाव में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। दोनों नेता एक ओर अपने क्षेत्र में चुनाव लड़ेंगे, तो दूसरी ओर पूरे राज्य में पार्टी प्रचार अभियान की कमान भी संभालेंगे।
बीजेपी का दावा — पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन
बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने दावा किया है कि पार्टी इस बार पहले से ज्यादा सीटें जीतेगी। उनके अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, राज्य सरकार के विकास कार्य और संगठन की मजबूती पार्टी के लिए निर्णायक साबित होगी। पार्टी की रणनीति है कि वह हर सीट पर एनडीए के वोटों का अधिकतम ध्रुवीकरण सुनिश्चित करे। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए बीजेपी की पहली सूची ने चुनावी माहौल को और गरमा दिया है। एक ओर जहां पार्टी ने अपने भरोसेमंद चेहरों पर दांव लगाया है, वहीं कुछ पुराने नेताओं को किनारे करके यह संदेश भी दिया है कि संगठन में बदलाव और युवा नेतृत्व को तरजीह दी जाएगी। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि आगामी चरणों में पार्टी किन चेहरों को मौका देती है और क्या यह रणनीति उसे सत्ता तक पहुंचाने में सफल होती है या नहीं।







