बच्चों के ‘बाल आधार’ का बायोमैट्रिक अपडेट करना अनिवार्य, नहीं करवाने पर बंद होगी सेवाएं, यूआईडीएआई का निर्देश जारी

नई दिल्ली। आज के समय में आधार कार्ड केवल पहचान पत्र नहीं बल्कि हर नागरिक के लिए जरूरी दस्तावेज बन चुका है। यह स्कूल में दाखिला लेने से लेकर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने तक हर जगह अनिवार्य हो गया है। खासकर बच्चों के लिए बनाए गए ‘बाल आधार’ की अहमियत भी अब लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी यूआईडीएआई ने बच्चों के आधार को लेकर एक जरूरी निर्देश जारी किया है।
यूआईडीएआई की नई गाइडलाइन
यूआईडीएआई ने साफ कहा है कि जिन बच्चों की उम्र 5 से 7 साल के बीच है, उनका आधार कार्ड में बायोमेट्रिक अपडेट यानी एमबीयू प्रोसेस जरूर कराया जाए। इस बायोमेट्रिक अपडेट के तहत बच्चों के फिंगरप्रिंट, आइरिस स्कैन और नवीनतम फोटो को आधार रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से मुफ्त है, यदि इसे 7 साल की उम्र से पहले कराया जाए।
समय पर अपडेट नहीं कराया तो हो सकती है परेशानी
यूआईडीएआई ने चेतावनी दी है कि यदि बच्चों के आधार कार्ड में निर्धारित समय पर बायोमेट्रिक अपडेट नहीं कराया गया, तो उनका आधार कार्ड डिएक्टिवेट हो सकता है। इसका सीधा असर उन सुविधाओं पर पड़ेगा, जो आधार आधारित सेवाओं से जुड़ी हुई हैं। इसमें स्कूल एडमिशन, प्रवेश परीक्षाओं में भागीदारी, छात्रवृत्ति (स्कॉलरशिप) और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) जैसी योजनाएं शामिल हैं। ऐसे में बच्चों के लिए इन सेवाओं से वंचित होने की आशंका बन जाती है।
बाल आधार की पहचान और प्रक्रिया
बाल आधार कार्ड सामान्य आधार कार्ड से अलग होता है और इसका रंग नीला होता है। यह कार्ड 0 से 5 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए बनाया जाता है। इस दौरान किसी भी प्रकार की बायोमेट्रिक जानकारी नहीं ली जाती। केवल बच्चे की फोटो, नाम, जन्मतिथि, पता और माता-पिता के आधार कार्ड के आधार पर यह जारी किया जाता है। लेकिन जैसे ही बच्चा 5 साल का होता है, उसके बाद बायोमेट्रिक अपडेट जरूरी हो जाता है।
खर्च और प्रक्रिया की जानकारी
यूआईडीएआई ने स्पष्ट किया है कि 5 से 7 वर्ष की आयु के बीच यह अपडेट नि:शुल्क होता है। लेकिन यदि कोई अभिभावक 7 साल की उम्र के बाद इस कार्य को कराते हैं, तो उन्हें 100 रुपये शुल्क देना होगा। इसलिए यह सलाह दी गई है कि सभी अभिभावक समय रहते इस प्रक्रिया को निपटा लें ताकि बाद में किसी तरह की असुविधा या अतिरिक्त खर्च से बचा जा सके।
अभिभावकों को जागरूक करने की पहल
यूआईडीएआई द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) और एसएमएस के माध्यम से भी अभिभावकों को सतर्क किया जा रहा है। यह बताया जा रहा है कि बायोमेट्रिक अपडेट करवाने से बच्चों की शिक्षा और कल्याण से जुड़ी सेवाओं तक पहुंच आसान हो जाती है। इसके अलावा सरकार द्वारा चलाई जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सीधे बच्चों तक पहुंच सके, इसके लिए भी आधार का सक्रिय और अपडेट रहना जरूरी है। बच्चों के भविष्य और उनकी बुनियादी सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए आधार का बायोमेट्रिक अपडेट अनिवार्य कर दिया गया है। यह केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि बच्चों की पहचान और अधिकारों की सुरक्षा का एक माध्यम है। ऐसे में सभी अभिभावकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे समय पर अपने बच्चों का बायोमेट्रिक अपडेट कराकर उन्हें भविष्य की असुविधाओं से बचाएं।

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