PATNA : कंकड़बाग में बिहार पुलिस का जवान गिरफ्तार, सिपाही भर्ती परीक्षा के दौरान वायरस की थी ‘आंसर की’
पटना। सिपाही भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में पटना पुलिस ने एक सिपाही को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार सिपाही का नाम कमलेश है, जो गया का रहने वाला है और नालंदा में पोस्टेड था। पटना के कंकड़बाग थाने की पुलिस ने उसके घर पर छापेमारी की और वहीं से उसे गिरफ्तारी किया है। पुलिस की पूछताछ में कई महत्वपूर्ण बातें सामने आई है। गिरफ्तार सिपाही को बुधवार को कोर्ट में पेश किया गया और वहां से ज्यूडिशियल कस्टडी में जेल भेज दिया है। केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) की ओर से आयोजित सिपाही बहाली की परीक्षा के पेपर लीक मामले में किसी पुलिसकर्मी की यह पहली गिरफ्तारी है। पटना सदर ASP ने इस गिरफ्तारी की पुष्टि की है। सिपाही बहाली के पहले चरण की परीक्षा 1 अक्टूबर को हुई थी। सूत्रों के अनुसार सिपाही कमलेश की ड्यूटी पटना के कंकड़बाग स्थित रामकृष्ण द्वारिका कॉलेज में नहीं लगी थी। इसके बावजूद भाई मोनू को आंसर की लेकर पहुंचा था। इसी कॉलेज में कमलेश का एक भाई परीक्षा दे रहा था। उस दिन सेंटर सुपरिटेंडेंट ने अपनी जांच के दौरान नकल करते हुए 6 परीक्षार्थियों को पकड़ा था। इनके पास से चिट भी बरामद हुए थे। सेंटर पर शुरुआती पूछताछ के बाद सभी को कंकड़बाग थाने की पुलिस के हवाले कर दिया गया था। थाना में पूछताछ की गई तो सारे राज खुल गए। इनमें एक परीक्षार्थी सिपाही कमलेश का भाई निकला। फिर उसने असलियत बताई। सबूतों के आधार पर पटना पुलिस ने अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ाया। सबसे पहले सिपाही की पहचान की गई। फिर उसकी तलाश शुरू हुई। सिपाही तब तक पटना छोड़ चुका था। वो अपने घर नालंदा जा चुका था। पूछताछ में पता चला कि सेंटर्स के जरिए सवालों का जवाब (आंसर की) सिपाही कमलेश को उसके मोबाइल फोन पर भेजा गया। इसके बाद उसने आंसर की का प्रिंट निकाला। फिर परीक्षा हॉल में बैठे अपने भाई समेत 6-7 परीक्षार्थियों को आंसर की उपलब्ध कराया। पुलिस के साथ-साथ आर्थिक अपराध इकाई की टीम भी सिपाही की भूमिका और उसके कनेक्शन की जांच कर रही है। कमलेश के मोबाइल को जब्त कर लिया गया है। किस नंबर से उसे आंसर की भेजे गए थे? अभी इसकी जांच चल रही है। दूसरी तरफ आर्थिक अपराध इकाई ने अपनी जांच तेज कर दी है। जिन जिलों में आंसर की परीक्षा से पहले आए, वहां के परीक्षा केंद्रों पर केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) की ओर से कितने और कौन-कौन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी? इसकी जानकारी आर्थिक अपराध इकाई ने पर्षद से मांगी है।


