बिहार बोर्ड ने मात्र 29 दिनों में इंटर का रिजल्ट जारी कर बनाया रिकॉर्ड, 2.11 फीसदी अधिक रहा परिणाम, वस्तुनिष्ठ प्रश्नों ने किया कमाल

पटना। बिहार बोर्ड की तरफ से इंटर के रिजल्ट की घोषणा कर दी गई है। इस बार इंटर का रिजल्ट 80.15% रहा है। जो पिछले साल 78.04% की तुलना में 2.11% अधिक है। वहीं 2020 की तुलना में 0.29% कम है। इंटर का रिजल्ट 2017 के बाद से लगातार बेहतर हो रहा है। 2019 की तुलना में 2020 में 0.68% की बढ़ोतरी हुई थी। 2017 से 2020 की बात करें तो 44.58% रिजल्ट बढ़ा है। 2020 की तुलना में 2021 में 2.40 फीसदी रिजल्ट कम हुआ था तो इस साल 2.40 % बढ़ गया। बिहार बोर्ड ने इंटर की 70 लाख कॉपियों और 70 लाख OMR शीट का मूल्यांकन मांत्र 19 दिनों में किया गया। इंटर की कॉपियों का मूल्यांकन 24 फरवरी से 10 मार्च तक हुआ। ऐसा कर बिहार बोर्ड ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है। बोर्ड कोरोना काल मे देश का पहला बोर्ड बन गया है जिसने एग्जाम कराकर रिजल्ट जारी कर दिया है। उत्तीर्णता का प्रतिशत बढ़ाने के लिए बोर्ड की तरफ से लगातार हर साल कुछ ना कुछ बेहतर किया जा रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण 2020 में पूरे साल स्कूल बंद रहे। इसको देखते हुए बोर्ड ने तीनों संकाय के सभी विषयों में सौ फीसदी विकल्प वाले प्रश्नों को शामिल किया था।

2018 में 50 फीसदी ओबजेक्टिव प्रश्नों ने बदली रिजल्ट की सूरत

बोर्ड ने 2018 में सभी विषयों में 50 फीसदी वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को लागू किया था। लघु उत्तरीय प्रश्नों में 50 फीसदी अतिरिक्त विकल्प दिया गया। असर हुआ कि 2017 की तुलना में 2018 में 17 फीसदी रिजल्ट में वृद्धि हुई। 2020 में विकल्प वाले प्रश्नों की संख्या बढ़ा दी गयी। इसके पूर्व 2017 में बिहार बोर्ड ने परीक्षा में सख्ती दिखाई तो रिजल्ट 12 प्रतिशत गिरकर 35 फीसदी पर पहुंच गया। देशभर में सबसे खराब रिजल्ट बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का ही रहा। परीक्षा विशेषज्ञों के अनुसार इतना खराब रिजल्ट बिहार बोर्ड के इतिहास में कभी नहीं आया। इसके बाद बिहार बोर्ड ने परीक्षा पैटर्न में बदलाव के साथ ही अपनी पूरी कार्य संस्कृति में ही बदलाव कर दिया। पारदर्शी परीक्षा के लिए पूरी ताकत झोंक दी। 2018 में 52.95 प्रतिशत रिजल्ट के साथ बिहार बोर्ड ने एक बार फिर अपना प्रदर्शन सुधारा था।

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