जब सवाल सुनकर नाराज हो गये थे भोला सिंह, पत्रकार को कहा था-‘जितनी आपकी उम्र है उससे कहीं ज्यादा मेरा राजनीति में तजुर्बा है’

-अभिषेक मिश्रा

अमृतवर्षाः पत्रकारिता के दौरान कई बार ऐसी स्थितियों-परिस्थितियों से दो चार होना पड़ता है जब आपके सवाल आप हीं पर भारी पड़ जाते हैं। एक ऐसा हीं वाक्या मेरे साथ भी जुड़ा है। यह वाक्या बीजेपी सांसद भोला सिंह से जुड़ा है। उनके निधन से पूरा देश स्तब्ध है। उनके निधन को पूरे राजनीतिक जगत ने अपूरणीय क्षति बताया है। उनके साथ मेरी भी एक छोटी सी याद जुड़ी है। ठीक से याद तो नहीं है लेकिन शायद 2006 या 2007 का वक्त रहा होगा। भोला सिंह बिहार सरकार में नगर विकास मंत्री थे। मुझे उनका इंटरव्यू लेने जाना था। हमारे दफ्तर में इंटर्न के तौर पर काम कर रहे हमारे एक साथी ने जिद की साथ चलने की। मैंने मना किया तो वरिष्ठों ने आदेश दिया कि आप इन्हें साथ ले जाईए। खैर शाम में तकरीबन 7 बजे हमलोंग पटना स्थित उनके सरकारी आवास पर पहुंचे। हमें इसी टाइम पर इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। वहां जाकर पता चला कि मंत्री जी बाहर गये हैं थोड़ी देर में आएंगे। खैर तब तक हमने पानी पिया। हमारे जो सहयोगी साथ थे उनके उछलकूद से मैं डरता था। उछलकूद यानि मुझे डर था कि अगर नासमझी में अगर वे कुछ बोल गये तो फिर इंटरव्यू का जायका खराब भी हो सकता है। तो खैर थोड़ी देर में भोला सिंह आए। हमलोगों को इंटरव्यू देने के लिए बुलाया। जहां तक मुझे याद है थोड़ी देर होने पर उन्होंने इस देरी के लिए माफी भी मांगी और फिर इंटरव्यू शुरू हुआ। तब चूकी भोला सिंह नगर विकास मंत्री थे और बारिश होने पर पटना के कई इलाके जलमग्न हो जाया करते जैसे कि आज भी हो हीं जाते हैं। तो विपक्ष यह तंज कसता कि बिहार सरकार पटना को पेरिस बनाने की बात होती है लेकिन पटना तो वेनिस (तैरता हुआ शहर) बना है। विपक्ष के इस आरोप का हवाला देकर हमने उनसे सवाल पूछा। मंत्री जी का जवाब था कि पटना के ड्रेनेज सिस्टम को दुरूस्त किया जा रहा है और काम अभी प्राथमिक अवस्था में है। इंटरव्यू ठीक ठाक चल रहा था कि हमारे सहयोगी ने बार-बार उनसे एक हीं सवाल पूछना शुरू किया जिसका जवाब वो कई बार दे चुके थे। सहयोगी को यह ताकिद थी कि आप सिर्फ इंटरव्यू को देखेंगे समझेंगे लेकिन वे नहीं माने और उन्होंने वही किया जिसका मुझे डर था। उनके सवालों से नाराज भोला सिंह उनपर बरस पड़े और कहा जितनी आपकी उम्र है उससे कहीं ज्यादा राजनीति में मेरा तजुर्बा है। मंत्री जी के इस गुस्से को मैं भांप गया और मैं यह भी समझ गया था कि यह मेरे सहयोगी की नासमझी के कारण वाली नाराजगी है । मैं बिना कुछ वहां से उठकर सीधे घर आया। दफ्तर को यह जानकारी दी और अपने उस सहयोगी के साथ कहीं भी किसी भी इंटरव्यू में जाने से हमेशा के लिए तौबा कर ली।

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