महाराष्ट्र में हिंदी भाषी लोगों पर हो रहे हमले, राज ठाकरे के कार्यकर्ता कर रहे मारपीट, एक्शन ले केंद्र सरकार : राजेश वर्मा

पटना। महाराष्ट्र में बिहार और उत्तर प्रदेश से गए हिंदी भाषी लोगों पर हो रहे हमलों को लेकर देशभर में चिंता जताई जा रही है। यह मुद्दा अब संसद में भी उठ चुका है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सांसद राजेश वर्मा ने लोकसभा में इस विषय पर गंभीरता से बात रखते हुए केंद्र सरकार से कार्रवाई की मांग की है।
सांसद राजेश वर्मा ने की केंद्र से कार्रवाई की मांग
बिहार के खगड़िया से सांसद राजेश वर्मा ने लोकसभा में कहा कि महाराष्ट्र में राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ता लगातार हिंदी भाषी लोगों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग रोज़ी-रोटी के लिए मजबूरी में अपने राज्य से बाहर जाते हैं और वहां जाकर उन्हें प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है, जो निंदनीय है। वर्मा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इस मामले पर संज्ञान लेने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।
मराठी न बोलने पर हमले की घटनाएं
हाल ही में महाराष्ट्र के पोवई इलाके में एक सिक्योरिटी गार्ड को सिर्फ इसलिए थप्पड़ मारा गया क्योंकि वह मराठी भाषा नहीं बोल पा रहा था। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोगों में नाराजगी फैल गई। इससे पहले वर्सोवा में एक डी-मार्ट के कर्मचारी के साथ भी इसी वजह से मारपीट की गई थी। इन घटनाओं में मनसे के कार्यकर्ताओं की भूमिका सामने आई है।
राज ठाकरे पर निशाना
राजेश वर्मा ने अपने बयान में कहा कि राज ठाकरे का राजनीतिक अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है और ऐसे में उनकी पार्टी सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए इस तरह की ओछी हरकतें कर रही है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी राज्य में काम करने जाए, यह उसका संवैधानिक अधिकार है, और किसी भी भाषा या क्षेत्र के आधार पर भेदभाव करना पूरी तरह से असंवैधानिक है।
मुख्यमंत्री फडणवीस की प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मराठी भाषा को बढ़ावा देना गलत नहीं है, लेकिन अगर कोई कानून हाथ में लेता है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
राजनीतिक और सामाजिक बहस तेज
इन घटनाओं ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। हिंदी भाषी समुदाय में असुरक्षा की भावना बढ़ी है और कई सामाजिक संगठनों ने भी इसकी निंदा की है। यह मुद्दा अब सिर्फ भाषा तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि क्षेत्रीयता और नागरिक अधिकारों की बड़ी बहस बन चुका है। आने वाले समय में इस पर सख्त कदम उठाना सरकार के लिए आवश्यक होगा, ताकि देश की एकता और अखंडता बनी रहे।
