नीति आयोग की बैठक में ममता नाराज, माइक बंद करने पर बाहर निकली, पीएम पर किया हमला

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दिल्ली में चल रही नीति आयोग की बैठक को बीच में ही छोड़कर बाहर निकल गईं। नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे थे। इस बैठक में भाजपा और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए थे। ममता ने बैठक का वॉकआउट करने की वजह बताते हुए कहा कि बैठक में विपक्ष की ओर से केवल वह ही शामिल थीं। बैठक के दौरान ममता बनर्जी को 5 मिनट बोलने का समय दिया गया, जबकि भाजपा के मुख्यमंत्रियों को 15 मिनट का समय मिला। जब ममता पश्चिम बंगाल के मुद्दे पर बोल रही थीं, तो उनका माइक बंद कर दिया गया। इस पर ममता ने कहा कि उन्हें अपनी पूरी बात रखने का मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा, “क्या राज्य के मुद्दों को रखना गलत है?” ममता ने आगे कहा कि यह न केवल बंगाल का, बल्कि सभी क्षेत्रीय दलों का भी अपमान है। ममता बनर्जी ने बताया कि बैठक में इंडिया ब्लॉक के 7 राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल नहीं हुए। इनमें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्‌डी, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और नई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शामिल थे। ममता ने कहा कि वह इस बैठक में इसलिए भाग ले रही थीं क्योंकि सहकारी संघवाद को मज़बूत करने में उनकी अधिक रुचि है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग के पास कोई वित्तीय शक्तियां नहीं हैं, जिससे यह कैसे काम करेगा? इसे वित्तीय ताकत दें या योजना आयोग को वापस लाएं। ममता ने अपना विरोध दर्ज कराते हुए बैठक से बाहर निकल गईं। ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि भाजपा के मुख्यमंत्री को ज्यादा समय दिया गया और उन्हें बोलने नहीं दिया गया। यह भेदभावपूर्ण व्यवहार है। उन्होंने कहा कि वह विपक्ष की ओर से अकेली थीं और उन्हें बोलने से रोकने का प्रयास किया गया। बैठक के बाद ममता ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “मैं बोल रही थी और मेरा माइक बंद कर दिया गया। मैंने पूछा कि आपने मुझे क्यों रोका? आप भेदभाव क्यों कर रहे हैं? मैं बैठक में भाग ले रही हूं, इसके बजाय आप जो दे रहे हैं, आपको खुश होना चाहिए।” इस पूरे घटनाक्रम के बाद ममता ने अपना विरोध दर्ज कराया और बाहर निकल गईं। उन्होंने कहा कि यह केवल बंगाल का अपमान नहीं है, बल्कि सभी क्षेत्रीय दलों का अपमान है। ममता ने कहा कि नीति आयोग के पास वित्तीय ताकत नहीं है, जिससे वह कैसे काम करेगा? इसे वित्तीय ताकत देनी चाहिए या योजना आयोग को वापस लाना चाहिए। ममता बनर्जी ने बैठक से एक दिन पहले कहा था कि नीति आयोग खत्म करके, योजना आयोग को वापस लाओ। योजना आयोग, नेताजी सुभाष चंद्र बोस का आइडिया था। उन्होंने आगे कहा- ये सरकार आपसी लड़ाई में गिर जाएगी, इंतजार कीजिए। इस दौरे में मेरे पास ज्यादा समय नहीं है, इसीलिए किसी नेता से मेरी मुलाकात नहीं हो रही।
भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने पर चर्चा जारी
नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की मीटिंग में विकसित भारत @ 2047 को लेकर चर्चा की जाएगी। भारत को विकसित बनाने के लिए राज्यों की भूमिका पर भी चर्चा की जाएगी। नीति आयोग का कहना है कि देश 5 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। भारत 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य को हासिल करेगा।
केंद्र ने नीति आयोग की नई टीम बनाई
केंद्र सरकार ने 16 जुलाई को नीति आयोग की नई टीम का ऐलान किया। इसमें चार पूर्णकालिक सदस्यों के अलावा भाजपा और NDA के सहयोगी दलों के 15 केंद्रीय मंत्रियों को पदेन सदस्य या विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। राष्ट्रपति भवन की तरफ से इससे जुड़ा नोटिफिकेशन जारी किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आयोग के अध्यक्ष और इकोनॉमिस्ट सुमन के बेरी उपाध्यक्ष बने रहेंगे। इसके अलावा साइंटिस्ट वी के सारस्वत, एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट रमेश चंद, बाल रोग विशेषज्ञ वी के पॉल और मैक्रो-इकोनॉमिस्ट अरविंद विरमानी पूर्णकालिक सदस्य बने रहेंगे। नोटिफिकेशन में बताया गया है कि मोदी ने नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (नीति आयोग) की संशोधित संरचना को मंजूरी दी है। नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया को नीति (NITI) आयोग के नाम से जाना जाता है। यह भारत सरकार का एक नीति थिंक टैंक है, जो सरकार के कामों और नीतियों की जानकारी देता है। केंद्र की मोदी सरकार ने 2015 में 65 साल पुराने योजना आयोग की जगह नीति आयोग का गठन किया था। योजना आयोग देश के विकास से संबंधित योजनाएं बनाने का काम करता था।

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