चौथी लहर के खतरे के बीच महिलाओं और बच्चों में बढ़ा एनीमिया, स्वास्थ्य विभाग ने दिए खास निर्देश

पटना। प्रदेश में कोरोना की चौथी लहर के खतरे के बीच स्वास्थ्य विभाग को महिलाओं और बच्चों में एनीमिया की चिंता सताने लगी है। खून की कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने बिहार में बड़ी प्लानिंग की है। राजधानी पटना से लेकर राज्य के सभी जिलों में खून बढ़ाने वाली दवाएं देने की तैयारी है। एनीमिया मुक्त बिहार को लेकर सरकार का अभियान चलाती है, लेकिन कोविड के समय इसे युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। आयरन फोलिक एसिड की पिंक गोली स्कूली छात्राओं को एवं लाल गोली 20 से 24 वर्ष की महिलाओं को दी जा रही हैं। 6 महीने से 59 महीने तक के बच्चों को आयरन फोलिक एसिड सिरप ऑटो डिस्पेंसर के माध्यम से सप्ताह में दो दिन बुधवार और शनिवार को दिया जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का कहना है कि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के साथ समन्वय बनाकर 5 से 9 साल के स्कूल जाने वाले बच्चों को आयरन फॉलिक एसिड की पिंक टैबलेट हर बुधवार को विद्यालय में मध्याह्न भोजन के बाद दी जा रही है। 5 से 9 वर्ष के ऐसे बच्चे, जो स्कूल नहीं जाते हैं, उन्हें आशा डोर टू डोर जाकर आईएफए पिंक की एक गोली हर बुधवार को दे रही हैं। वही अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक 6 माह से 59 महीने के 35 लाख 45 हजार 814 बच्चों को आयरन फोलिक एसिड सिरप की बोतल दी गई है। वहीं 5 से 9 साल तक के 31 लाख एक हजार 582 बच्चों को स्कूल या आंगनबाड़ी सेंटर पर आयरन फोलिक एसिड की टैबलेट बांटी जा रही है।
महिलाओं को दी जा रही हैं वीकली गोली
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बुधवार के दिन 20 से 24 आयु वर्ग की महिलाओं को वीकली आयरन फोलिक एसिड की लाल गोली के के संबंध में जागरुकता के साथ सप्ताह में एक दिन खाने के लिए वितरण भी किया जा रहा है। आशा कार्यकर्ता 6 माह से 59 माह के बच्चों के माता या अभिभावक को बुधवार या शनिवार को आयरन एंड फोलिक एसिड सिरप की एक बोतल देती हैं। उन्हें पिलाने के बारे में भी प्रशिक्षण देती हैं। सिरप देने के बाद पहले सप्ताह में आशा स्वयं बच्चों को ऑटो डिस्पेंसर के माध्यम से (एक मिलीलीटर) सिरप पिलाकर प्रशिक्षित करती हैं और दूसरे सप्ताह में माता अपने बच्चे को सिरप पिलाती है।

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