देश में दो रुपए महंगा हुआ अमूल दूध, बढ़ी कीमतें आज से हुई लागू

नई दिल्ली। देश की दो प्रमुख डेयरी कंपनियों, अमूल और मदर डेयरी ने 1 मई से दूध की कीमतों में बढ़ोतरी की घोषणा कर दी है, जिससे आम आदमी की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। दोनों कंपनियों ने प्रति लीटर दूध की कीमत में 2 रुपये तक की वृद्धि की है। यह वृद्धि देशभर में लागू हो गई है और इसका प्रभाव फुल-क्रीम, टोंड, डबल-टोंड और गाय के दूध पर भी देखा जा रहा है। बढ़ती महंगाई के इस दौर में यह फैसला उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय बन गया है।
अमूल दूध के दामों में बदलाव
अमूल ने अपने सभी दूध उत्पादों की कीमतों में इजाफा किया है। एक लीटर दूध पर 2 रुपये और आधा लीटर वाले पाउच पर 1 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। इसका असर छोटे और बड़े दोनों पैकों पर पड़ा है। अमूल द्वारा यह निर्णय उत्पादन लागत में हुई वृद्धि के चलते लिया गया है। कंपनी का कहना है कि किसानों से कच्चे दूध की खरीद लागत में बढ़ोतरी हुई है, जिसे संतुलित करने के लिए यह कदम उठाना आवश्यक हो गया।
मदर डेयरी की नई कीमतें
मदर डेयरी ने भी 1 मई से दूध के दाम बढ़ाने की घोषणा की है। कंपनी के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों में कच्चे दूध की खरीद लागत 4 से 5 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गई है। इस कारण उन्होंने दूध की कीमत में 2 रुपये प्रति लीटर तक की वृद्धि की है। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में यह बढ़ी हुई कीमतें लागू हो गई हैं। उदाहरण के तौर पर टोंड दूध की कीमत अब 56 रुपये से बढ़कर 57 रुपये प्रति लीटर हो गई है। इसी तरह फुल क्रीम दूध की कीमत 68 रुपये से बढ़कर 69 रुपये, डबल टोंड दूध की कीमत 49 रुपये से 51 रुपये और गाय के दूध की कीमत 57 रुपये से 59 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है।
कीमत बढ़ने के कारण
गर्मियों की शुरुआत और लू की स्थिति ने पशुओं की उत्पादकता को प्रभावित किया है। इससे कच्चे दूध की आपूर्ति में कमी आई है और कीमतें बढ़ी हैं। मदर डेयरी ने स्पष्ट किया है कि इस मूल्य संशोधन का उद्देश्य केवल बढ़ी हुई लागत को आंशिक रूप से संतुलित करना है। कंपनी का यह भी कहना है कि वह किसानों की आजीविका को सुरक्षित रखने और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण दूध की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उपभोक्ताओं पर प्रभाव
इस कीमत वृद्धि का सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा, खासकर उन परिवारों पर जो रोजाना बड़ी मात्रा में दूध का सेवन करते हैं। रोजमर्रा की वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के बीच यह नया बोझ मध्यमवर्गीय और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। दूध की कीमतों में यह बढ़ोतरी एक आवश्यक निर्णय के रूप में सामने आई है, लेकिन इसका प्रभाव व्यापक रूप से महसूस किया जाएगा। हालांकि कंपनियों ने इसे लागत संतुलन और किसानों के हित में उठाया गया कदम बताया है, फिर भी उपभोक्ताओं के लिए यह एक और आर्थिक दबाव बन गया है। आने वाले समय में यदि मौसम या अन्य कारकों में सुधार होता है, तो इन कीमतों में स्थिरता या राहत की संभावना भी बनी रह सकती है।

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