क्रिकेटरों की मौत का बदला लेने की तैयारी में अफगानिस्तान, पाकिस्तानी सीमा पर तनाव बढ़ा, बुलाई गई आपातकालीन शांति वार्ता
दोहा। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। पाकिस्तान की ओर से अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में किए गए हवाई हमलों में कम से कम 10 नागरिकों की मौत हो गई, जिनमें तीन स्थानीय क्रिकेटर भी शामिल हैं। इस घटना के बाद अफगान तालिबान शासन ने पाकिस्तान पर “युद्धविराम तोड़ने” का आरोप लगाते हुए प्रतिशोध की चेतावनी दी है। वहीं पाकिस्तान का दावा है कि यह कार्रवाई आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के ठिकानों पर की गई थी। बढ़ते तनाव के बीच दोनों देशों ने कतर की राजधानी दोहा में आपातकालीन शांति वार्ता करने का निर्णय लिया है। वार्ता के लिए पाकिस्तान की ओर से रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और खुफिया एजेंसी के प्रमुख जनरल आसिम मलिक के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को दोहा पहुंच चुका है। अफगानिस्तान की ओर से रक्षा मंत्री मौलवी मोहम्मद याकूब मुजाहिद के नेतृत्व में दल शनिवार को पहुंचेगा। बताया जा रहा है कि कतर इस बैठक की मध्यस्थता कर रहा है।
48 घंटे के युद्धविराम के बाद हुआ हमला
यह हमला उस अस्थायी 48 घंटे के युद्धविराम के तुरंत बाद हुआ है, जो बुधवार शाम से प्रभावी हुआ था और हाल ही में दोहा वार्ता के समापन तक बढ़ाया गया था। अफगानिस्तान के तालिबान शासन ने पाकिस्तान की कार्रवाई को “विश्वासघात” बताया है। तालिबान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एएफपी से कहा, “पाकिस्तान ने युद्धविराम का उल्लंघन किया और पक्तिका में तीन स्थानों पर बमबारी की। अफगानिस्तान इसका जवाब देगा।” प्रांतीय अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, पक्तिका प्रांत के अर्गुन और बरमल जिलों में हुए हमलों में 10 नागरिकों की मौत हुई, जिनमें दो बच्चे और तीन क्रिकेटर शामिल हैं। घायलों की संख्या 12 बताई जा रही है। अफगान क्रिकेट बोर्ड के प्रवक्ता सैयद नसीम सादात ने पुष्टि की कि मारे गए क्रिकेटर हाल ही में एक स्थानीय टूर्नामेंट में खेलने के बाद अपने घर लौट रहे थे।
पाकिस्तानी सेना का दावा, आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई”
पाकिस्तान ने अपने बयान में कहा है कि यह हवाई हमला “सटीक सैन्य कार्रवाई” थी, जिसका निशाना टीटीपी के ठिकाने थे, जो अफगानिस्तान की सीमा के भीतर सक्रिय हैं। पाकिस्तान का कहना है कि हाल के महीनों में इन आतंकी समूहों द्वारा सीमा पार से हमले तेज हो गए हैं, जिनमें उसके दर्जनों सैनिक और नागरिक मारे गए हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को इस्लामाबाद में कहा, “हम काबुल के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन अफगानिस्तान को हमारी सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से लेना होगा। टीटीपी जैसे आतंकी समूह पाकिस्तान की शांति के लिए खतरा हैं और अब हमारा धैर्य जवाब दे रहा है।”
अफगानिस्तान का पलटवार — “गलत सूचना फैला रहा है पाकिस्तान”
वहीं तालिबान सरकार ने पाकिस्तान के आरोपों को “झूठ और प्रचार” बताया है। अफगान गृह मंत्री खलीफा सिराजुद्दीन हक्कानी ने ईरानी अधिकारियों के साथ बैठक में कहा कि अफगानिस्तान पड़ोसी देशों के साथ “सौहार्दपूर्ण संबंध” चाहता है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से बार-बार सीमा पार हमले तनाव को बढ़ा रहे हैं।
संघर्ष की पृष्ठभूमि
सीमा पर यह तनाव नया नहीं है। हालिया झड़पों की शुरुआत 11 अक्टूबर को हुई थी, जब अफगान बलों ने पाकिस्तान के कुर्रम जिले में सैन्य चौकियों पर गोलीबारी की थी। जवाब में पाकिस्तान ने कंधार और हेलमंद प्रांतों में ड्रोन हमले किए, जिसमें 19 तालिबान लड़ाकों की मौत का दावा किया गया। इसके बाद तालिबान ने भी जवाबी हमला किया और पाकिस्तानी ठिकानों पर हमला कर 58 सैनिकों की मौत का दावा किया। पाकिस्तान ने 23 सैनिकों के शहीद होने की पुष्टि की है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अब तक के संघर्ष में कम से कम 18 लोगों की मौत और 360 से अधिक घायल हुए हैं।
सीमा पर हालात नाजुक
सीमा क्षेत्रों में तनाव के कारण नागरिकों में दहशत का माहौल है। चमन जिले के एक निवासी नजीबुल्लाह खान ने बताया, “गोलियां घरों में गिर रही हैं, लोग जान बचाने के लिए भाग रहे हैं।” दूसरी ओर, स्पिन बोल्दाक जिले में तालिबान के लड़ाके टैंकों पर गश्त कर रहे हैं, जबकि पाकिस्तान ने डुरंड लाइन पर अतिरिक्त सैनिक तैनात कर दिए हैं।
संयुक्त राष्ट्र की अपील
संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दोनों देशों से संयम बरतने और कूटनीतिक समाधान अपनाने की अपील की है। फिलहाल, दोहा में होने वाली वार्ता पर सबकी नजरें टिकी हैं, जो इस तनावपूर्ण स्थिति को कुछ हद तक कम कर सकती है। स्थिति फिलहाल बेहद नाजुक है — सीमा पर दोनों देशों की सेनाएं अलर्ट पर हैं, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को डर है कि अगर वार्ता विफल रही, तो दक्षिण एशिया एक और बड़े संघर्ष की ओर बढ़ सकता है।


