पटना समेत बिहार के अन्य जिलों में सक्रिय हुआ सेक्सटॉर्शन गिरोह; कई लोगों से की ठगी, रहे सावधान

पटना। बिहार की राजधानी पटना समेत बिहार के अन्य जिलों में इन दिनों सेक्सटॉर्शन के कई मामले सामने आए हैं। बताया जा रहा है कि इन दिनों राज्य में सेक्सटॉर्शन करने वाला गिरोह काफी पैर पसार चुका है। यह गिरोह आमतौर पर सोशल मीडिया से लोगों की जानकारियां निकाल कर उन्हें व्हाट्सएप या सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से संपर्क करने का प्रयास करता है और ठगी करने का काम करता है। बताया जा रहा हैं की इस गिरोह के शातिरों ने शहर ही नहीं बल्कि, ग्रामीण इलाकों के एक दर्जन से अधिक लोगों को शिकार बनाया है। इक्का-दुक्का मामलों को छोड़ दें तो पीड़ित बदनामी के डर से पुलिस या थाने में शिकायत तक करने नहीं जा रहे हैं। इससे यह गिरोह हावी होता जा रहा है। ऐसे पीड़ित लोगों को ब्लैकमेल कर लाखों रुपये वसूल चुका है। सेक्सटॉर्शन गिरोह में मुख्य भूमिका लड़कियों की होती है। वह किसी व्यक्ति के मोबाइल नंबर को टारगेट करती हँ। फिर रात में उसी नंबर पर वीडियो कॉल करती हैं। अर्द्धनग्न अवस्था वीडियो कॉल को स्क्रीन रिकॉर्डर से रिकॉर्ड किया जाता है। इसके बाद उक्त शख्स का चेहरे का इस्तेमाल किसी दूसरे अर्द्धनग्न शरीर वाले शख्स के साथ एडिट कर जोड़ दिया जाता है। इसके बाद ब्लैकमेल करने का धंधा शुरू होता है।
एसीपी बताकर करता है कॉल, रहे सावधान
उस एडिट किए गए वीडियो को पीड़ित के नंबर पर भेजा जाता है। फिर वह लड़की कॉल कर पांच से दस लाख रुपये की डिमांड करती है। जब वह व्यक्ति आनाकानी करता है तो वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल करने की धमकी दी जाती है। इसके बाद दूसरे अंजान नंबरों से कॉल किए जाते हैं। कॉल करने वाला खुद को एसीपी बताते हुए कहता है कि तुम पर केस किया जाएगा। विभिन्न तरीकों से पीड़ित को डराया-धमकाया जाता है।
अपशब्द कहे तब बंद हुआ कॉल आना
वही खुफिया विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि उनके दो परिचित लोग इस गिरोह के जाल में फंस गए थे। संयोगवश वे दोनों उनके संपर्क में आए और पूरा घटनाक्रम बताया। फिर उन्होंने उसी के मोबाइल से कॉल किया। सामने से वही बात दोहराई गई कि मैं मध्य प्रदेश का एसीपी बात कर रहा हूं। अगर पैसे नहीं भेजे तो केस दर्ज कर उसे जेल भेज दिया जाएगा। जब खुफिया विभाग के अधिकारी ने अपना परिचय दिया और जमकर अपशब्द कहे तो इसके बाद से कॉल आना बंद हो गया। इस तरह दो लोग इस गिरोह का शिकार होने से बच गए। वही हाल में पटना अलग-अलग थानों में इस तरह के चार केस दर्ज हुए हैं। लेकिन, पुलिस की कार्रवाई इससे आगे नहीं बढ़ सकी। पुलिस जांच में पता लगा कि सभी नंबर या तो फर्जी थे या वीपीएन कॉल का इस्तेमाल किया गया था। पुलिस की जांच वहीं पर अटकी रह गई। गिरोह का शिकार होने वाले कई लोग बदनामी के डर से पुलिस के पास शिकायत करने नहीं जाते हैं।

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