बिहार के एक दर्जन से अधिक बीएड कॉलेज पर कार्रवाई, नामांकन पर रोक, कारण बताओं नोटिस जारी

पटना। बिहार में बीएड (बैचलर ऑफ एजुकेशन) कॉलेजों को लेकर राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने कड़ा रुख अपनाया है। राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए एनसीटीई ने एक दर्जन से अधिक बीएड कॉलेजों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कुछ संस्थानों पर नामांकन प्रक्रिया रोकने की भी तैयारी है, जिससे इन कॉलेजों में पढ़ाई और छात्रों का भविष्य दोनों संकट में आ सकते हैं।
शिक्षकों की कमी और बुनियादी ढांचे की खामियां
एनसीटीई द्वारा की गई जांच में पाया गया कि कई बीएड कॉलेज आवश्यक शैक्षणिक मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं। इनमें सबसे प्रमुख समस्याएं हैं– योग्य शिक्षकों की कमी, अपर्याप्त भवन और कक्षाएं, पुस्तकालय की स्थिति कमजोर होना, और तयशुदा फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की राशि जमा न करना। ये सभी ऐसे बुनियादी मानक हैं जिनके बिना किसी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान को मान्यता नहीं दी जा सकती।
कई नामी कॉलेज भी घेरे में
नोटिस पाने वाले संस्थानों में कुछ प्रतिष्ठित और लंबे समय से संचालित कॉलेज भी शामिल हैं। जिन कॉलेजों को नोटिस भेजा गया है, उनमें एसएम जाहिर आलम टीचर ट्रेनिंग कॉलेज (दरभंगा), चंद्रगुप्त मौर्य कॉलेज ऑफ एजुकेशन (बिहटा, पटना), कांति देवी टीचर ट्रेनिंग कॉलेज (पटना), आर्यभट्ट टीचर ट्रेनिंग कॉलेज (दुल्हिन बाजार, पटना), बैद्यनाथ कॉलेज ऑफ एजुकेशन (नवादा), राजमुनी देवी बीएड कॉलेज (औरंगाबाद), साईं बीएड एंड डीएलएड कॉलेज (रोहतास), और प्रह्राद राय टीचर ट्रेनिंग कॉलेज (बक्सर) जैसे संस्थान प्रमुख रूप से सूची में शामिल हैं।
विश्वविद्यालयों से संबद्धता पर नजर
इन बीएड कॉलेजों की संबद्धता मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय और बीएन मंडल विश्वविद्यालय जैसे बड़े शैक्षणिक निकायों से है। कुछ कॉलेजों को बीएन मंडल विश्वविद्यालय से हटाकर पूर्णिया विश्वविद्यालय में स्थानांतरित करने की भी प्रक्रिया चल रही है। साथ ही कई संस्थानों से कहा गया है कि वे तत्काल एफडी की रकम जमा करें, नहीं तो उन पर मान्यता रद्द करने की कार्रवाई की जा सकती है।
एनसीटीई की चेतावनी और अगला कदम
एनसीटीई की तरफ से स्पष्ट कहा गया है कि जिन कॉलेजों को नोटिस भेजा गया है, यदि वे निर्धारित समयसीमा के भीतर सभी खामियों को नहीं दूर करते हैं और जरूरी कागजात जमा नहीं करते हैं, तो उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है। इससे उन कॉलेजों में नए सत्र के लिए नामांकन पर पूरी तरह से रोक लग सकती है। यह चेतावनी शिक्षा के क्षेत्र में अनुशासन और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए दी गई है।
नामांकन प्रक्रिया और छात्रों को सलाह
बिहार में वर्तमान में 339 बीएड कॉलेजों में नामांकन प्रक्रिया चल रही है। पहले राउंड में 37,150 सीटों में से 36,000 सीटों के लिए मेधा सूची जारी हो चुकी है। यह प्रक्रिया 15 जुलाई तक जारी रहेगी। इस बीच छात्रों और उनके अभिभावकों को सलाह दी गई है कि वे किसी भी कॉलेज में दाखिला लेने से पहले उसकी मान्यता, बुनियादी सुविधाओं और एनसीटीई की स्थिति की भलीभांति जांच कर लें।
उच्च शिक्षा विभाग और प्रबंधन की जिम्मेदारी
इस पूरे मामले से राज्य के उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय प्रशासन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। कॉलेजों की निगरानी और नियमित निरीक्षण की व्यवस्था अगर पहले से होती, तो शायद यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती। अब देखना है कि संबंधित संस्थान और विश्वविद्यालय इन खामियों को किस हद तक दूर करते हैं और छात्रों के हितों की रक्षा कैसे सुनिश्चित की जाती है। यह मामला शिक्षा की गुणवत्ता और भविष्य के शिक्षकों के प्रशिक्षण से जुड़ा है। यदि समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो न केवल छात्रों का नुकसान होगा, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की साख पर भी प्रश्नचिन्ह लग जाएगा।
