ऐन्द्र योग में गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई को, श्रीहरि व गुरु की होगी पूजा

इसी दिन लग रहा साल का तृतीय उपछाया चन्द्र ग्रहण


पटना। आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा दिन रविवार यानि 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र व ऐन्द्र योग में मनायी जायेगी। यह पर्व गुरु के प्रति सम्मान व कृतज्ञता को दशार्ता है। सनातन धर्म मे गुरु को ईश्वर से भी ऊंचा स्थान दिया गया है। गुरु कृपा से ही शांति, आंनद और मोक्ष प्राप्त होता है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरंभ में होता है। इसी दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं।
गुरु पूर्णिमा व उपछाया चंद्रग्रहण एक साथ
कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पं. राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही साल का तीसरा उपछाया चंद्रग्रहण लग रहा है, लेकिन यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, न ही उसका कोई प्रभाव होगा। ग्रहण जहां दिखता है, सूतक भी वहीं मान्य होता है। इस ग्रहण को अमेरिका, यूरोप और आस्ट्रेलिया में ही देखा जाएगा। यह ग्रहण लगभग पौने तीन घंटे का होगा।
वेद व्यास के सम्मान में व्यास पूर्णिमा
पंडित झा ने बताया कि गुरु पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म हुआ था। वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की रचना की थी। इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है।
मंगलकारी होगी श्रीहरि की पूजा
गुरू पूर्णिमा का पर्व बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाता है। प्राचीन काल में जब विद्यार्थी गुरु के आश्रम में नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करता था तो इसी दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर अपने गुरु का पूजन करके उन्हें अपनी शक्ति सामर्थ्यानुसार दक्षिणा देकर कृतकृत्य होता था। आज भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है। पारंपरिक रूप से शिक्षा देने वाले विद्यालयों में, संगीत और कला के विद्यार्थियों में आज भी यह दिन गुरू को सम्मानित करने का होता है। आज के दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करके मंदिरों में श्रीहरि विष्णु की पूजा करते हैं। पंडित झा के कहा कि आषाढ़ के पूर्णिमा में भगवान सत्यनारायण की पूजन, शंख पूजन के बाद शंख ध्वनि से घरों में सुख-समृद्धि का आगमन एवं निरोग काया की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
व्यास के अंश होते हैं गुरु
ज्योतिषी झा के अनुसार अपने गुरु की स्मृति को मन मंदिर में हमेशा ताजा बनाए रखने के लिए हमें इस दिन अपने गुरुओं को व्यासजी का अंश मानकर उनकी पाद-पूजा करनी चाहिए तथा अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए गुरु का आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए। न केवल अपने गुरु-शिक्षक का ही नहीं, अपितु माता-पिता, बड़े भाई-बहन आदि की भी पूजा करे एवं उपहार देकर आशीर्वाद लेनी चाहिए। गुरु का आशीर्वाद सभी-छोटे-बड़े तथा हर विद्यार्थी के लिए कल्याणकारी तथा ज्ञानवर्द्धक होता है। गुरु पूजन में “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुदेर्वो महेश्वर:। गुरु: साक्षात परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम:॥ मंत्र से पूजा करने से गुरु का आशीष मिलता है।

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