November 1, 2025

चुनाव में उम्मीदवारों की बढ़ाई गई सुरक्षा, तैनात रहेंगे सुरक्षा कर्मी, पुलिस मुख्यालय का निर्देश जारी

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और मतदान की तिथि जैसे-जैसे करीब आ रही है, राजनीतिक गतिविधियां भी तेज होती जा रही हैं। विभिन्न पार्टियों के प्रत्याशी लगातार जनसभाएं कर रहे हैं, लोगों के बीच जाकर समर्थन जुटा रहे हैं और चुनावी माहौल पूरे राज्य में गर्म है। ऐसे समय में प्रत्याशियों की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय बनकर सामने आया है। चुनाव के दौरान किसी भी अनहोनी या असुरक्षा की स्थिति न पैदा हो, इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने विशेष सुरक्षा निर्देश जारी किए हैं।
नामांकन के बाद सुरक्षा का मूल्यांकन
चुनावी प्रक्रिया में उम्मीदवारों की सुरक्षा व्यवस्था नामांकन दाखिल होने के साथ ही शुरू हो जाती है। जैसे ही कोई प्रत्याशी नामांकन करता है, जिला पुलिस प्रशासन उनकी सुरक्षा स्थिति का मूल्यांकन करता है। यह मूल्यांकन प्रत्याशी की व्यक्तिगत पृष्ठभूमि, विपक्षी माहौल, स्थानीय राजनीतिक तनाव और पिछले अनुभवों के आधार पर किया जाता है। यदि प्रत्याशी के लिए खतरे की संभावना अधिक पाई जाती है, तो उन्हें तुरंत सुरक्षा मुहैया कराई जाती है।
प्रत्याशी के साथ अनिवार्य रहेगा पीएसओ
पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी ताज़ा निर्देशों में कहा गया है कि प्रत्येक ऐसे प्रत्याशी जिन्हें जोखिम की श्रेणी में रखा गया है, उनके साथ एक पीएसओ यानी पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर अनिवार्य रूप से रहेगा। पीएसओ का कार्य केवल किसी संभावित हमले को रोकना नहीं, बल्कि प्रत्याशी के हर सार्वजनिक और निजी कार्यक्रम में सुरक्षा सुनिश्चित करना है। चाहे प्रत्याशी दिन में गांव-गांव दौरा कर रहे हों या रात में चुनावी बैठकें कर रहे हों, उनके साथ सुरक्षा अधिकारी का होना जरूरी है। पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि कोई प्रत्याशी बिना सुरक्षा व्यवस्था के यात्रा या भीड़ में जाता है, तो यह सुरक्षा उल्लंघन माना जाएगा।
चुनावी दौरों में बढ़ाई जाएगी सतर्कता
चुनावी सभाओं और जुलूसों पर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं। ऐसे समय पर सुरक्षा के लिहाज से हल्की चूक भी गंभीर परिणाम दे सकती है। इसलिए निर्देश दिए गए हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान सुरक्षा कर्मी प्रत्याशी के पास ही तैनात रहें और स्थिति पर हर समय निगरानी बनाए रखें। मोबाइल सुरक्षा दलों के साथ-साथ स्थानीय थाने की विशेष टीमों को भी सक्रिय किया गया है। बड़े कार्यक्रमों में भीड़ नियंत्रण एवं प्रवेश बिंदुओं की जांच विशेष रूप से की जाएगी।
सीसीटीवी और ड्रोन से निगरानी
चुनावों के दौरान अशांति या हिंसा की संभावना को देखते हुए तकनीकी निगरानी बढ़ाई जा रही है। संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं और बड़े रैलियों व सभाओं पर ड्रोन कैमरों से निगरानी की जाएगी। इससे किसी भी संदिग्ध गतिविधि या भीड़ के असामान्य व्यवहार का पता तुरंत चल सकेगा और पुलिस तत्काल हस्तक्षेप कर सकेगी।
मतदाताओं की सुरक्षा भी प्राथमिकता
यह व्यवस्था केवल प्रत्याशियों की सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि मतदाताओं की सुरक्षा को भी ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। चुनाव का उद्देश्य यह है कि हर नागरिक सुरक्षित माहौल में मतदान कर सके और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग ले सके। पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि चुनाव शांतिपूर्ण वातावरण में करवाना केवल कानूनी प्रक्रिया नहीं बल्कि जनता के प्रति जिम्मेदारी भी है। बिहार विधानसभा चुनाव सिर्फ राजनीतिक परिवर्तन का माध्यम नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रयोग का अवसर है। प्रत्याशियों की सुरक्षा सुनिश्चित करके सरकार और पुलिस प्रशासन ने संकेत दिया है कि चुनाव स्वतंत्र, सुरक्षित और निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराए जाएंगे। यह कदम राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों और मतदाताओं – तीनों के लिए विश्वास और सुरक्षा का वातावरण तैयार करेगा। सुरक्षित माहौल में ही सशक्त लोकतंत्र पनपता है, और यह सुरक्षा व्यवस्था उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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