November 1, 2025

मुजफ्फरपुर में विपक्ष पर पीएम का हमला, कहा- कांग्रेस और राजद ने छठी मइया का अपमान किया, कुशासन और करप्शन जंगलराज की पहचान

मुजफ्फरपुर/पटना। मुजफ्फरपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण से कुछ दिन पहले एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस और राजद पर तीखा राजनीतिक हमला बोला। अपने संबोधन में उन्होंने बिहार की जनता, विशेषकर युवाओं और छठ पर्व की सांस्कृतिक आस्था का उल्लेख करते हुए चुनाव को सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि बिहार के भविष्य की दिशा तय करने वाला निर्णय बताया। उन्होंने अपने भाषण में बिहार के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक पहलुओं को जोड़ते हुए एक स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की कि विकास का रास्ता केवल एनडीए की सरकार से ही होकर गुजरता है।
छठ पूजा और सांस्कृतिक भावनाओं का संदर्भ
प्रधानमंत्री मोदी ने सभा की शुरुआत में मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध लीची का उदाहरण देते हुए वहां के लोगों की बोली और व्यवहार की मिठास की प्रशंसा की। आगे उन्होंने छठ पूजा का विशेष उल्लेख किया, जो बिहार की पहचान और आस्था का महत्वपूर्ण पर्व है। उन्होंने कहा कि छठ पूजा केवल धर्म या आस्था का विषय नहीं बल्कि बिहार की सांस्कृतिक धरोहर है, जो समाज को एकसूत्र में बांधती है। प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि विपक्ष ने इस पवित्र पर्व का अपमान किया है। उनके अनुसार, कांग्रेस और राजद से जुड़े कुछ नेताओं ने छठ पूजा को नाटक और दिखावा कहा, जो लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली बात है। उन्होंने सवाल उठाया कि जो माताएं और बहनें निर्जला व्रत रखकर इस पूजा को करती हैं, क्या वे ऐसे अपमान को सहन करेंगी? उन्होंने इसे सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक अस्मिता का प्रश्न बताया।
बिहार के विकास पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विकसित भारत का सपना तभी पूरा हो सकता है, जब बिहार का विकास सुनिश्चित हो। उनके अनुसार, बिहार को पिछड़ापन, बेरोज़गारी और अवसंरचना की कमी से उबारने के लिए स्थिर और सुशासन वाली सरकार की आवश्यकता है। उन्होंने यह दावा किया कि एनडीए सरकार ने पिछले वर्षों में आधारभूत संरचना, स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा और रोजगार के अवसरों पर सकारात्मक काम किया है, जिसे आगे बढ़ाने की जरूरत है।
जंगलराज को लेकर राजद के शासनकाल पर सीधा हमला
अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने राजद और कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उन्होंने बिहार को वर्षों तक केवल भ्रष्टाचार, कुशासन और भय की राजनीति दी। उन्होंने कहा कि राजद-कांग्रेस के शासनकाल को जंगलराज के रूप में याद किया जाता है, जहां अपराधियों का बोलबाला था और आम लोग असुरक्षा के भय में जीते थे। उन्होंने कट्टा, क्रूरता, कटुता, कुशासन और करप्शन को उस दौर की पहचान बताते हुए कहा कि इस तरह की राजनीति को बिहार की जनता अब स्वीकार नहीं करना चाहती।
गोलू अपहरण कांड की याद दिलाई, राजद और कांग्रेस पर बरसे पीएम
उन्होंने गोलू अपहरण कांड सहित कई आपराधिक घटनाओं का उल्लेख किया और कहा कि उस समय अपहरण उद्योग जैसा फल-फूल रहा था। उनके अनुसार, उस दौर में 35 से 40 हजार अपहरण की घटनाएँ हुईं और इस दौरान मासूम बच्चों तक को नहीं बख्शा गया। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थितियों में रोते-बिलखते परिवारों की पीड़ा से राजद और कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ता था।
छठ महापर्व को वैश्विक पहचान देने का प्रयास
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि छठ पूजा सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि अब दुनिया के कई हिस्सों में मनाई जाती है। उन्होंने बताया कि सरकार छठ पर्व को यूनेस्को की सांस्कृतिक विरासत सूची में दर्ज करवाने का प्रयास कर रही है, जिससे बिहारियों को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान और गर्व मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में छठ गीतों को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा, ताकि नए कलाकार और नई पीढ़ी इस परंपरा को आगे बढ़ा सके।
एनडीए उम्मीदवारों के पक्ष में मांगे वोट
यह जनसभा स्पष्ट रूप से राजनीतिक संदेश देने का माध्यम थी कि एनडीए की सरकार सुशासन, विकास और सांस्कृतिक सम्मान की सरकार है, जबकि विपक्ष को उन्होंने अतीत की नकारात्मक राजनीति से जोड़कर प्रस्तुत किया। प्रधानमंत्री ने युवाओं की बड़ी उपस्थिति को इस बात का संकेत बताया कि बिहार अब पुराने ढर्रे की राजनीति नहीं चाहता, बल्कि नए अवसरों और प्रगति की ओर देखना चाहता है। अपने भाषण के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने जनता से अपील की कि वे आने वाले चुनाव में विचारपूर्वक मतदान करें और ऐसी सरकार चुनें जो उनके विश्वास और विकास की आकांक्षाओं पर खरी उतर सके। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता उनके लिए मालिक है और वह सदैव उनके हितों के लिए काम करते रहेंगे। इस प्रकार, उनकी यह रैली सांस्कृतिक आस्था, राजनीतिक मुद्दों और विकास के वादों को जोड़ते हुए एक व्यापक संदेश देने वाली थी।

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