छठ महापर्व में घर-घर गंगाजल पहुंचाएगा नगर निगम, 12 टैंकर तैयार, लोगों को नहीं होगी परेशानी
पटना। लोक आस्था का महान पर्व छठ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक सहयोग, पवित्रता और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। इस दौरान व्रती सूर्य देव और छठी मैया की उपासना करते हुए पवित्रता, अनुशासन और संयम का पालन करते हैं। छठ के प्रत्येक अनुष्ठान में गंगाजल का विशेष महत्व होता है। इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए पटना नगर निगम ने इस बार श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए एक सराहनीय पहल की है। नगर निगम की ओर से शहर के घर-घर तक गंगाजल पहुंचाने की व्यवस्था की गई है, ताकि व्रतियों को जल लाने में किसी भी प्रकार की कठिनाई या असुविधा न हो।
गंगाजल पहुंचाने के लिए विशेष टैंकरों की व्यवस्था
नगर निगम ने छठ की शुरुआत के साथ ही लगभग 12 विशेष टैंकर तैयार किए हैं। ये टैंकर पटना नगर निगम क्षेत्र के छह अंचलों में घूमेंगे। प्रत्येक अंचल के लिए दो-दो टैंकर निर्धारित किए गए हैं, जो गंगा नदी से शुद्ध गंगाजल भरकर शहर के वार्डों, गली-मोहल्लों और आवासीय इलाकों तक पहुंचाएंगे। इससे वे परिवार जिन्हें दूरी या स्वास्थ्य कारणों से घाट पर जाना कठिन होता है, उन्हें गंगाजल प्राप्त करने में कोई परेशानी नहीं होगी। निगम कर्मचारियों की टीम इन टैंकरों के साथ तैनात रहेगी, ताकि जल वितरण की प्रक्रिया सुचारु और बिना किसी अव्यवस्था के संपन्न हो सके।
छोटे तालाबों और जलाशयों में भी गंगाजल का प्रबंध
कई स्थानों पर लोग पारंपरिक रूप से घरों के नजदीक बने छोटे तालाबों, कुओं या कृत्रिम जलाशयों में अर्घ्य देते हैं। नगर निगम ने यह सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है कि उन जल स्रोतों में भी गंगाजल डाला जाएगा। इससे व्रतियों को दूर जाकर घाटों तक पहुंचने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और छठ का धार्मिक स्वरूप, पवित्रता और भावनात्मक मूल्यों की रक्षा भी होगी। इस कार्य के लिए निगम की विशेष टीमें गठित की गई हैं।
छठ और गंगाजल का धार्मिक महत्व
छठ व्रत में प्रकृति और पर्यावरण की पूजा का गहरा संदेश मिलता है। सूर्य देव और जल के प्रति आभार प्रकट करने के लिए अर्घ्य दिया जाता है। गंगाजल इस पूजा का अभिन्न अंग है, क्योंकि इसे शुद्ध और पवित्र मानकर व्रती अपने पूजा के सभी चरणों में इसका उपयोग करते हैं। गंगाजल की उपलब्धता में कठिनाई होने पर व्रती मानसिक रूप से विचलित हो सकते हैं। इसलिए नगर निगम का यह कदम श्रद्धालुओं की भावनाओं और विश्वास का सम्मान करने वाला कदम कहा जा सकता है।
घाटों पर स्वच्छता और ‘स्वच्छता कलश’ की व्यवस्था
छठ के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा घाटों पर पूजा करते हैं। पूजा के बाद फूल, माला, दीप और अन्य सामग्री नदी में प्रवाहित कर देने की प्रवृत्ति रहती है, जिससे नदी में प्रदूषण बढ़ सकता है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए नगर निगम ने प्रमुख घाटों पर ‘स्वच्छता कलश’ स्थापित किए हैं। श्रद्धालु पूजा सामग्री को इन कलशों में डाल सकेंगे। नगर निगम की टीम प्रतिदिन इन कलशों को खाली कर सफाई सुनिश्चित करेगी, ताकि गंगा नदी प्रदूषित न हो। यह व्यवस्था स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक महत्वपूर्ण कदम है।
किन घाटों पर लगाए गए स्वच्छता कलश
फिलहाल स्वच्छता कलश पांच प्रमुख घाटों पर लगाए गए हैं, जिनमें कलेक्ट्रेट घाट, गांधी घाट, कंगन घाट, भद्र घाट और 93 घाट शामिल हैं। आने वाले समय में छठ के दौरान और भी स्थानों पर इनकी संख्या बढ़ाने की योजना है। छठ महापर्व श्रद्धा, विश्वास और पवित्रता का प्रतीक है। नगर निगम द्वारा घर-घर गंगाजल पहुंचाने और घाटों पर स्वच्छता व्यवस्था को मजबूत करने की पहल सामाजिक सरोकार और जन-आस्था का सम्मान करने वाला महत्वपूर्ण कदम है। यह व्यवस्था न केवल श्रद्धालुओं को सुविधा प्रदान करेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, सामूहिकता और धार्मिक मर्यादा की रक्षा में भी सहायक सिद्ध होगी। छठ के पावन अवसर पर यह पहल श्रद्धा, स्वच्छता और सेवा भाव का अनुपम संगम प्रस्तुत करती है।


