October 28, 2025

कैमूर में तालाब में डूबकर 12 वर्षीय बच्चे की मौत, पैर फिसलने से हादसा, परिवार में मचा कोहराम

कैमूर। बिहार के कैमूर जिले में शुक्रवार को एक दुखद और संवेदनशील घटना हुई, जिसने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया। मोहनिया थाना क्षेत्र के दसौती गांव में एक 12 वर्षीय बच्चे की तालाब में डूबने से मौत हो गई। यह हादसा सुबह के समय हुआ जब बच्चे नहाने के लिए गांव के बाहर स्थित तालाब गए थे। बच्चे की अचानक हुई मृत्यु ने न केवल उसके परिवार को बल्कि पूरे गांव को शोक और चिंता में डाल दिया है। घटना के अनुसार, मृतक बच्चे कन्हैया खरवार, मोहनिया थाना क्षेत्र के दसौती गांव निवासी प्रेमचंद खरवार का पुत्र था। वह कुछ अन्य लड़कों के साथ सुबह-सुबह गांव के पास बने तालाब में नहाने गया था। तालाब का पानी कुछ जगहों पर काफी गहरा था। नहाते समय कन्हैया का पैर फिसल गया और वह गहरे पानी में चला गया। उसके साथ आए अन्य बच्चों ने तुरंत इसकी सूचना गांव में दौड़कर दी। घटना की सूचना मिलने के बाद ग्रामीण तुरंत तालाब के पास पहुंचे। उन्होंने पानी में डूब रहे बच्चे को बाहर निकाला और उसे मोहनिया अनुमंडल अस्पताल ले गए। अस्पताल में तैनात चिकित्सकों ने बच्चे को जांचने के बाद मृत घोषित कर दिया। इस दुखद घटना की जानकारी मोहनिया पुलिस को दी गई। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुँचकर आवश्यक कागजी कार्रवाई की और शव को पोस्टमार्टम के लिए भभुआ के सदर अस्पताल भेज दिया। इस हादसे के बाद परिजनों में कोहराम मच गया। बच्चे के माता-पिता और परिवारजन गहरे शोक में हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बच्चे बेहद चंचल और मिलनसार थे। उसकी अचानक हुई मौत ने पूरे गांव में शोक की लहर फैला दी। बच्चे के परिवार का कहना था कि वे तालाब में नहाने जाने की इस घटना की कल्पना भी नहीं कर सकते थे और वे हमेशा इसके लिए सजग रहने की सीख देंगे। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार यह हादसा गलती और लापरवाही का परिणाम था। गहरे पानी में जाने के कारण बच्चे का संतुलन बिगड़ा और पैर फिसल जाने से वह डूब गया। ग्रामीणों और पुलिस के अनुसार, तालाब में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे। साथ ही बच्चों के अकेले नहाने जाना भी इस हादसे की मुख्य वजहों में से एक माना जा रहा है। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाना कितना आवश्यक है। तालाब और जलाशयों के पास चेतावनी बोर्ड और सुरक्षात्मक इंतजाम किए जाने चाहिए। बच्चों को पानी में अकेले न जाने की चेतावनी और उन्हें बचाने के लिए तैराकी का प्रशिक्षण देना भी जरूरी है। किशोर उम्र में किसी भी आकस्मिक हादसे का शिकार होना बेहद दुखद है। कन्हैया खरवार की मृत्यु केवल उसके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे गांव और समाज के लिए एक चेतावनी है कि बच्चों की सुरक्षा को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। तालाबों और अन्य जल स्रोतों के पास सुरक्षा उपायों को बढ़ाना, बच्चों को जागरूक करना और अभिभावकों की सतर्कता बढ़ाना इस तरह के दुखद हादसों को कम करने में मदद कर सकता है। किसी भी बच्चे की आकस्मिक मृत्यु की खबर हमेशा समाज को झकझोर देती है और हमें यह याद दिलाती है कि छोटे बच्चों की सुरक्षा और देखभाल में किसी भी तरह की कोताही भारी पड़ सकती है। इस घटना से पूरे समुदाय ने यह सीखा कि बच्चों की सुरक्षा केवल परिवार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज और प्रशासन की भी साझा जिम्मेदारी है।

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