October 28, 2025

बांका में पोखर में डूबकर किशोर की मौत, छठ घाट की सफाई में हुआ दर्दनाक हादसा

  • इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर परिजनों ने किया हंगामा, पुलिस ने संभाली स्थिति

बांका। छठ महापर्व की तैयारी के बीच बुधवार को बांका जिले के अमरपुर थाना क्षेत्र में एक दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया। पवई गांव स्थित महादेवा पोखर में छठ घाट की सफाई के दौरान एक 17 वर्षीय किशोर की डूबकर मौत हो गई। मृतक की पहचान इंद्रदेव कुमार, पिता महादेव शर्मा, निवासी बिहपुर ननकार गांव, भागलपुर के रूप में हुई है। बताया जाता है कि इंद्रदेव बचपन से ही अमरपुर के पवई डीह गांव में अपने नाना विजय मंडल के घर रहकर पढ़ाई करता था और मेढ़ियानाथ उच्च विद्यालय का दसवीं कक्षा का छात्र था। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, बुधवार की शाम इंद्रदेव छठ पर्व के लिए घाट की सफाई करने महादेवा पोखर के पास गया था। सफाई के दौरान उसका पैर फिसल गया और वह सीधे पोखर के गहरे पानी में जा गिरा। पोखर की गहराई अधिक होने के कारण वह बाहर नहीं निकल सका। आसपास मौजूद लोगों ने जब उसे डूबते देखा, तो शोर मचाकर ग्रामीणों और परिजनों को सूचना दी। ग्रामीणों ने तत्काल बचाव कार्य शुरू किया और काफी मशक्कत के बाद किशोर को पोखर से बाहर निकाला गया। अचेत अवस्था में इंद्रदेव को तत्काल अमरपुर रेफरल अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टर पंकज कुमार ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। हालांकि, परिजनों ने डॉक्टर की बात मानने से इनकार कर दिया और यह कहते हुए कि “शायद अभी जान बाकी है,” वे उसे शहर के एक निजी क्लिनिक ले गए। लेकिन निजी क्लिनिक में ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण डॉक्टरों ने उन्हें वापस रेफरल अस्पताल भेज दिया। अस्पताल पहुंचने पर परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। स्थिति को संभालने के लिए चिकित्सा प्रभारी डॉ. सुनील कुमार चौधरी और डॉ. दीप्ति सिन्हा मौके पर पहुंचे। उन्होंने तुरंत मरीज का ईसीजी जांच कराया, जिसमें दिल की धड़कन बंद पाई गई। इसके बाद डॉक्टरों ने दोबारा इंद्रदेव को मृत घोषित कर दिया। मृत्यु की पुष्टि के बाद परिजनों और ग्रामीणों का गुस्सा और बढ़ गया। वे डॉक्टरों पर “समय पर इलाज न करने” का आरोप लगाकर अस्पताल परिसर में ही धरना देने लगे। स्थिति तनावपूर्ण होने पर सूचना पाकर अमरपुर थानाध्यक्ष पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने आक्रोशित लोगों को समझा-बुझाकर शांत कराया और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए बांका सदर अस्पताल भेज दिया। घटना के बाद मृतक के परिवार में कोहराम मच गया। मां मनीषा देवी सहित अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। गांव में भी मातम का माहौल छा गया है। ग्रामीणों का कहना है कि इंद्रदेव एक होनहार और विनम्र छात्र था, जो हर सामाजिक कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता था। वह हर साल छठ पर्व के मौके पर घाट की सफाई में मदद करता था। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि पोखरों और घाटों के आसपास सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए जाएं ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। उनका कहना है कि छठ पर्व के दौरान पोखरों की गहराई और फिसलन लोगों के लिए बड़ा खतरा बन जाती है, इसलिए सुरक्षा रस्सी, चेतावनी बोर्ड और बचाव कर्मियों की तैनाती आवश्यक है। अमरपुर थानाध्यक्ष ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह मामला दुर्घटनावश डूबने से हुई मृत्यु का प्रतीत होता है। हालांकि, पुलिस ने एहतियात के तौर पर यूडी केस दर्ज कर लिया है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस हादसे ने न केवल एक परिवार की खुशियों को मातम में बदल दिया, बल्कि पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। छठ पर्व की तैयारी में जुटे ग्रामीण अब शोक में डूब गए हैं। दीप और सजावट की जगह अब हर ओर सन्नाटा है।

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