पटना में गंगा में डूबकर नाबालिक की दर्दनाक मौत, नहाने के दौरान हुआ हादसा, गुजरात से आया था घर
पटना। जिले के बाढ़ अनुमंडल के पंडारक थाना क्षेत्र में बुधवार सुबह हुई एक दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया। गंगा स्नान के दौरान एक 14 वर्षीय किशोर की डूबने से मौत हो गई। यह हादसा उस समय हुआ जब परिवार के सदस्य पंडारक काली स्थान घाट पर स्नान करने पहुंचे थे। त्योहार के उल्लास के बीच घटी इस त्रासदी ने पूरे गांव को गमगीन कर दिया है।
हादसे की दर्दनाक सुबह
बुधवार की सुबह गुलशन कुमार अपने परिवार के छह अन्य सदस्यों के साथ गंगा स्नान के लिए पंडारक काली स्थान घाट गया था। छठ पर्व के पहले कई लोग गंगा में स्नान करने जाते हैं ताकि शुद्ध होकर पर्व की तैयारी की जा सके। लेकिन इस पवित्र स्नान के दौरान ही गुलशन का पैर फिसल गया और वह अचानक गहरे पानी में चला गया। परिजनों और अन्य लोगों ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन गंगा की तेज धारा और अधिक गहराई के कारण उसे बचाया नहीं जा सका। कुछ देर की मशक्कत के बाद गोताखोरों को बुलाया गया, जिन्होंने खोजबीन कर उसका शव बरामद किया।
मृतक की पहचान और पारिवारिक स्थिति
मृतक की पहचान पंडारक प्रखंड के छबिलातर गांव निवासी गुलशन कुमार के रूप में हुई है। वह अपने परिवार के साथ गुजरात में रहता था और कुछ दिन पहले ही छठ पर्व मनाने के लिए अपने गांव लौटा था। परिवार ने बताया कि गुलशन होनहार और चंचल स्वभाव का था। उसकी अचानक हुई मौत ने पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। मां-बाप का रो-रोकर बुरा हाल है, जबकि गांव के लोगों ने भी परिवार को सांत्वना देने की कोशिश की। लेकिन इस हादसे ने पूरे इलाके में शोक की लहर फैला दी है।
घाट की स्थिति और सुरक्षा की कमी
पंडारक काली स्थान घाट को स्थानीय लोग धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र मानते हैं। यहां पर छठ और कार्तिक पूर्णिमा जैसे अवसरों पर बड़ी संख्या में लोग गंगा स्नान करने आते हैं। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि इस घाट पर सुरक्षा व्यवस्था का अभाव है। गांववालों ने बताया कि घाट के आसपास का इलाका दलदली है और नदी का बहाव भी काफी तेज रहता है। कई जगह अचानक पानी गहरा हो जाता है, जिसके कारण यहां पहले भी डूबने की घटनाएं हो चुकी हैं। इसके बावजूद प्रशासन की ओर से कोई स्थायी सुरक्षात्मक इंतजाम नहीं किए गए हैं। लोगों का कहना है कि न तो घाट पर सुरक्षा कर्मियों की तैनाती होती है, न ही बचाव नौकाएं या रस्सियां मौजूद रहती हैं। इस लापरवाही के कारण हर साल ऐसे हादसे दोहराए जाते हैं।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही पंडारक थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने स्थानीय गोताखोरों की मदद से शव को नदी से बाहर निकलवाया और पोस्टमॉर्टम के लिए बाढ़ अनुमंडल अस्पताल भेज दिया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट रूप से दुर्घटना का मामला प्रतीत हो रहा है। मृतक के परिवार के बयान दर्ज किए जा रहे हैं और शव को पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया जाएगा।
गांव में पसरा मातम
गुलशन की मौत की खबर जैसे ही गांव में पहुंची, पूरा माहौल शोकमय हो गया। छठ पर्व की तैयारियों के बीच गांव का माहौल गम में बदल गया। आसपास के लोग परिवार के घर पहुंचकर उन्हें ढांढस बंधा रहे हैं। परिजन लगातार यही कह रहे हैं कि अगर घाट पर सुरक्षा के इंतजाम होते, तो यह हादसा टल सकता था। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि हर साल घाट पर डूबने की घटनाएं होती हैं, लेकिन प्रशासन इस ओर कभी गंभीरता से ध्यान नहीं देता। हर हादसे के बाद थोड़े दिनों के लिए सुरक्षा की बातें होती हैं, परंतु फिर स्थिति जस की तस हो जाती है।
त्योहारों के समय सतर्कता की जरूरत
यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि छठ, कार्तिक स्नान और गंगा दशहरा जैसे अवसरों पर प्रशासन को अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। ऐसे पर्वों में हजारों लोग घाटों पर पहुंचते हैं, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल होती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि घाटों पर स्थायी सुरक्षा इंतजाम जैसे चेतावनी बोर्ड, बैरिकेडिंग, बचाव नाव और प्रशिक्षित गोताखोरों की तैनाती अनिवार्य की जानी चाहिए। इससे न केवल हादसों को टाला जा सकेगा, बल्कि श्रद्धालुओं में भी सुरक्षा का भरोसा बनेगा। पंडारक काली स्थान घाट पर गुलशन कुमार की मौत केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही की भी कहानी है। हर साल ऐसे हादसे लोगों की जान ले लेते हैं, परंतु सुरक्षा के नाम पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। 14 वर्षीय गुलशन की मौत ने यह सवाल एक बार फिर खड़ा कर दिया है कि क्या हमारी धार्मिक आस्थाएं हमारी सुरक्षा व्यवस्था से बड़ी हैं? त्योहारों की खुशी में डूबे समाज को यह समझना होगा कि थोड़ी सी सावधानी और प्रशासनिक जिम्मेदारी से कई मासूम जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।


